मध्यप्रदेश में किसकी धार्मिक यात्राओं की चर्चा, चुनावी समर में प्रमोटी IAS के जलवे; संघ सुप्रीमो के सामने किसने चमकाई राजनीति?

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Harish Divekar
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मध्यप्रदेश में किसकी धार्मिक यात्राओं की चर्चा, चुनावी समर में प्रमोटी IAS के जलवे; संघ सुप्रीमो के सामने किसने चमकाई राजनीति?

BHOPAL. 'आज सुबह जब मैं जगा...', शब्बीर भाई के इस गाने के जरिए मुझे किसी ने याद नहीं किया, बल्कि सुबह-सुबह हल्की ठंडक-सी महसूस हुई। दिल को सुकून महसूस हुआ कि चलो, अप्रैल तक ये सुहानापन बरकरार है। अब कितने दिन ऐसा रहेगा, इसकी गारंटी नहीं है। खैर... गारंटी तो आज किसी चीज की नहीं है। कुछ दिन बाद सूरज देवता ऐसे लगने लगेंगे कि 15 करोड़ किलोमीटर दूर नहीं, बल्कि 15 मीटर दूर रहकर 'तरंगें' फेंक रहे हों। मध्यप्रदेश में काफी गहमागहमी दिख रही है। प्रदेश की राजधानी में 2 दिन में 2 दिग्गज जलवा दिखाकर चले गए। सिंधी समाज के बड़े कार्यक्रम में पहले संघ प्रमुख आए। पाकिस्तान का जिक्र भी हुआ। इसके दूसरे दिन प्रधानमंत्री आए। देश के दिल को देश की राजधानी से जोड़ने वाली एक हाई स्पीड ट्रेन की सौगात दे गए। पीएम का वैसे भी रानी कमलापति स्टेशन से गहरा नाता हो चुका है। इन सब कवायदों के पीछे जाएं तो अभी कहीं नेपथ्य में खड़े विधानसभा चुनाव नजर आते हैं। वैसे प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर में बड़ा हादसा भी हो गया। एक लापरवाही और प्रशासन के जागते हुए सोते रहने से 36 लोग काल के गाल में समा गए। अब सब 'तेज' बनने की कोशिश कर रहे हैं। वैसे मध्यप्रदेश में कई खबरें पकीं, कुछ ने खुशबू बिखेरी तो कुछ ने 'पकाया', आप तो सीधे अंदरखाने चले आइए...



मामा की धार्मिक यात्राएं



इन दिनों मामा की धार्मिक यात्राएं चर्चा में हैं। ऐसा नहीं है कि मामा पहली बार धार्मिक स्थलों पर यात्राएं कर रहे हैं, लेकिन थोड़े अंतराल में कई धार्मिक यात्राएं करना राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। मामा हैदराबाद और केरल के आश्रम और मंदिर में गए, फिर मिर्जापुर की विंध्यवासिनी देवी के दर्शन के लिए गए। इसी बीच मामा ने गोवर्धन परिक्रमा भी मामी के साथ नंगे पैर लगाई। मामा वैसे भी धार्मिक हैं हर साल मंदिर, मठ और आश्रम में जाकर आशीर्वाद लेते रहते हैं, लेकिन जलने वालों का क्या करें, उनकी ताबड़तोड़ हुई धार्मिक यात्राओं को भी राजनीतिक चश्मे से देख रहे हैं।



चुनावी समर में प्रमोटियों के जलवे



चुनावी बेला नजदीक आ गई है, ऐसे में मैनेजमेंट का खेल शुरू हो गया है। इस खेल में कौन जीतेगा कौन हारेगा ये तो बाद में तय होगा, हाल फिलहाल प्रमोटी आईएएस अफसरों की बल्ले-बल्ले हो गई है। प्रदेश के 10 संभागों में से 7 संभागों में प्रमोटी आईएएस अफसरों को कमिश्नर की कुर्सी मिल गई। अब बारी जिले की है, 1-2 महीने बाद यहां भी मैनेजमेंट के लिहाज से पोस्टिंग होगी। अभी 52 जिलों में से 35 में डायरेक्ट और 17 जिलों में प्रमोटी आईएएस कलेक्टर हैं। यानी साफ है पहली बार कलेक्टरी करने वालों को मंत्रालय में बाबू बनना पड़ सकता है। उनकी जगह अनुभवी खिलाड़ियों को मैदान में उतारा जाएगा।



मंत्री जी का हजार करोड़ का इन्वेस्टमेंट



कहते हैं ना जो काम आप दो हाथों से करते हैं, उसे हजार आंखें देखती हैं। ऐसा ही कुछ एक मंत्री जी के साथ हुआ है। मंत्री ने अपने समर्थकों के नाम पर राजधानी में हजार करोड़ का इन्वेस्टमेंट करवा दिया। अब ये उनके समर्थकों का पैसा है या फिर बेनामी हम इस झमेले में नहीं पड़ना चाहते। क्योंकि मंत्री जी के चाहने वालों ने तो उनका बहीखाता बनाकर ऊपर वालों को भेज दिया है। अब देखना है कि उनसे पूछताछ होती है या नहीं। आप नाम जानने के लिए बैचेन हैं तो उसके लिए हमें माफ करें, मामला बेहद नाजुक है। हम आपको संकेतों में बता देते हैं ये निवेश बैरागढ़ के मेन मार्केट में हुआ है। थोड़ी मेहनत करेंगे तो आपको पूरी डीटेल मिल जाएगी।



मंत्रालय में गूंज रहा है जय भीम



अब वर्ग संघर्ष, राजनीति से निकलकर सीनियर अफसरों में पहुंच गया है। मंत्रालय में इन दिनों जय भीम की चर्चा हो रही है। कहने वाले कह रहे हैं कि बाबा साहब को मानने वाले अफसरों का दबदबा और रसूख बढ़ा है। सीनियर अफसरों में वर्ग विशेष का दबदबा पहली बार देखने में आ रहा है। इसके पहले क्षेत्रवाद चला करता था। पिछले सालों में कभी बिहारी ग्रुप भारी रहा तो कभी साउथ ग्रुप। आखिरी-आखिरी में पंजाब ग्रुप भी चर्चा में रहा, लेकिन कभी कोई वर्ग विशेष कभी फोकस में नहीं रहा। जब प्रदेश चलाने वाले ही आपस में ऐसी लाइन खीचेंगे, तो समझ सकते हैं कि इसकी आग कितनी दूर तक जाएगी और कितनों को जलाएगी।



मैडम का भी उठा डंगा-डोरा



साहब की प्रदेश से रवानगी के आदेश क्या हुए। मैडम का भी डंगा-डोरा उठ गया। साहब मंत्रालय छोड़ते उससे पहले उन्होंने अपने सामने मैडम का कैबिन भी खाली करवाया, जिससे बाद में कोई विवाद की स्थिति ना बने। साहब के रहते हुए मैडम ही पूरा विभाग चला रही थीं। हालांकि, मैडम शासकीय सेवक नहीं सिर्फ एक कंसल्टेंट थीं, लेकिन रुतबा किसी आईएएस से कम नहीं था। अब जब साहब की ही रवानगी हो गई तो मैडम ने भी अपनी रवानगी डालने में भलाई समझी। हम आपकी सुविधा के लिए बता दें ये साहब वही हैं जो पिछले कई दिनों से महिला प्रेम को लेकर चर्चा में बने हुए थे।



सुन रहे हो शंकर



बूढ़ा मरे या जवान, हमें तो सिर्फ राजनीति से काम!, ये कहावत इंदौर के सांसद शंकर लालवानी पर सटीक बैठती है। इंदौर बावड़ी हादसे में 36 लोगों ने अपनी जान गंवा दी। इंदौर में एक साथ कई अर्थियां उठीं। इसमें 13 सिंधी समाज के लोग भी शामिल थे। सिंधी समाज के कई लोगों ने हादसे से व्यथित होकर 31 मार्च को भोपाल में हुए सिंधी समाज के बड़े कार्यक्रम में जाने का प्लान कैंसिल कर दिया। हादसे के अगले दिन सिंधी समाज के लोग अपनों को कंधा देने के लिए इंदौर सांसद को ढूंढते रहे, लेकिन वो मिलते कैसे? वे तो भोपाल में मंच पर विराजमान थे। अब इसे संघ सुप्रीमो के सामने राजनीति चमकाना ना कहें तो और क्या कहें।



दमदार ठेकेदार



प्रदेश के आईएएस-आईपीएस से दमदार तो हमारे ठेकदार हैं। अरे अपने पंडित जी। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि लो-डेनसिटी एरिया में बनी आईएएस-आईपीएस अफसरों की व्हिसपरिंग पॉम अब तक झमेले से बाहर नहीं आ पा रही। वहीं ठेकेदार लॉ यूनिवर्सिटी के पीछे खंब ठोककर लो डेनसिटी एरिया में 35 एकड़ का प्रोजेक्ट ला रहे हैं। ठेकेदार इस दावे के साथ प्लॉट बेच रहे हैं कि नया मास्टर प्लान आएगा तो उनका एरिया आवासीय हो जाएगा। ठेकेदार की बात पर लोग इसलिए भरोसा कर रहे हैं क्योंकि उनकी सीधी पहुंच मंत्रालय में वहां पर है जहां से नियम-कायदे की गंगा निकलती है। ऐसे में माना जा सकता है कि खाता ना बही, ठेकेदार जो कहे वही सही।


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