मध्यप्रदेश में मंत्रिमंडल में फेरबदल की चर्चा, बीजेपी क्यों बदल रही है और क्यों बढ़ रही हैं मंत्रालय के अफसरों की धड़कनें?

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Harish Divekar
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मध्यप्रदेश में मंत्रिमंडल में फेरबदल की चर्चा, बीजेपी क्यों बदल रही है और क्यों बढ़ रही हैं मंत्रालय के अफसरों की धड़कनें?

BHOPAL. साउथ की बयार से नॉर्थ तक सरगर्मी है। अरे भैया, मैं मौसम नहीं, माहौल की बात कर रहा हूं। कर्नाटक में बिना किसी नाटक के 'हाथ' के हाथ बाजी लग गई। कहते हैं कि इतिहास खुद को दोहराता है, लेकिन कर्नाटक के मामले में 38 साल से एक इतिहास कायम है। वहां जनता हर 5 साल बाद सत्ता बदलने का गुर जानती है। कांग्रेस के लिए ये किसी संजीवनी से कम नहीं। 'जहरीला सांप', 'बजरंग बली' जैसी तमाम उक्तियां भगवा ब्रिगेड को दोबारा काबिज कराने में नाकाम रहीं। जीत के रथ पर सवार 'साहेब' भले ही कुछ ना बोलें, पर उनके और उनके सबसे करीबी 'मोटा भाई' के लिए घोर चिंतन का विषय जरूर होगा। देशभर के कांग्रेसी जश्न मना रहे हैं। अपने कटाक्ष भरे बयानों के लिए मशहूर राघौगढ़ के 'राजा' ने तो यहां तक कह दिया कि कर्नाटक में कांग्रेस की ही सरकार बनेगी, वहां कोई सिंधिया नहीं है। राजा साहब 1 तीर से 2 नहीं, कई निशाने साधने के लिए विख्यात हैं। वैसे साल के आखिर में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में चुनाव होने से पारा ऊपर-नीचे हो रहा है। मध्यप्रदेश में एक पूर्व सीएम के बेटे 'हाथ' थाम ही चुके हैं। यहां के भगवा खेमे के वरिष्ठ नेता की भविष्यवाणी 'आंध्र और कर्नाटक में, बीजेपी घुस गई फाटक में' सच होने पर कांग्रेसी मिठाई खिलाने पहुंच गए। बोले- गुरु महाराज, मध्यप्रदेश के लिए भी ऐसी ही वाणी बोल दीजिए। छत्तीसगढ़ में भी बीजेपी के कद्दावर नेता कांग्रेसी हो चुके हैं। राजस्थान में पायलट अपना विमान कहां लैंड कराना चाहते हैं, ये अभी तक साफ नहीं है। इधर, मध्यप्रदेश में 30 हजार कमाने वाली एक असिस्टेंट इंजीनियर की 'करामात' खासी चर्चा में है। इत्ती संपत्ति मिली कि अच्छे-अच्छों के होश फाख्ता हो गए।...खैर, खबरें तो कई पकीं, कई पकते-पकते रह गईं, कुछ ने खुशबू बिखेरी, आप तो सीधे अंदरखाने चले आइए...



दिल है कि मानता नहीं...



भोपाल में जाट समाज का शक्ति प्रदर्शन चर्चा का विषय बना हुआ है। जाट महाकुंभ को लेकर पूरे भोपाल में कमल पटेल के होर्डिंग्स लगे हुए हैं। कर्नाटक चुनाव से हाईकमान फ्री हो चुके हैं, अब मध्यप्रदेश पर पूरा फोकस होगा। कुछ उठापटक भी होने के संकेत हैं, ऐसे में अपने समाजों का शक्ति प्रदर्शन कर मंत्री हाईकमान की नजर में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाना चाहते हैं। 4 जून को ब्राह्मण समाज शक्ति प्रदर्शन करने जा रहा है। मुख्यमंत्री बनने की चाह रखने वाले मंत्री अच्छे से जानते हैं कि मामा जी ने फेवीकॉल का जोड़ लगा रखा है, लेकिन दिल है कि मानता नहीं। चौका मारने का मौका देखते ही रहते हैं। लगे रहिए, आज नहीं तो कल सफलता तो मिल ही जाएगी, हमारी भी शुभकामनाएं हैं।



मंत्रिमंडल में फेरबदल की चर्चा



कर्नाटक चुनाव में बीजेपी की करारी हार के बाद अब मध्यप्रदेश में बीजेपी के शीर्ष नेताओं की धड़कनें बढ़ गई हैं। इन्हें डर है कि प्रदेश में तेजी से बढ़ी एंटीइन्कंबेंसी को रोकने के लिए हाईकमान कोई बड़ा कदम उठा सकता है। इसमें बड़े पदों में फेरबदल से लेकर कई मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाना भी शामिल है। कुल मिलाकर एक बार फिर प्रदेश में गुजरात फॉर्मूले को लेकर चर्चा होने लगी है। हर कोई अपने स्तर पर दिल्ली दरबार में सेंध लगाकर कुछ सूंघने की कोशिश कर रहा है। बहरहाल, आने वाले 15 दिनों में पिक्चर साफ हो जाएगी कि बीजेपी किस रणनीति के साथ आगे बढ़ने वाली है।



बीजेपी कार्यालय में कॉर्पोरेट लुक



बीजेपी बदल रही है, अब आपको प्रदेश बीजेपी कार्यालय का कर्मचारी बेतरतीब कपड़ों में नजर नहीं आएगा। कॉर्पोरेट स्टाइल में बीजेपी कार्यालय को लुक दिया जा रहा है। इसके चलते यहां के कर्मचारियों के लिए ड्रेस कोड लागू किया गया है। दरअसल, बीजेपी का नया मुख्यालय हाईटेक और फाइव स्टार होटल की तरह बन रहा है। नई बिल्डिंग के साथ कर्मचारियों के रहन-सहन और काम करने का तरीका कॉर्पोरेट स्टाइल में हो इसके लिए अभी से तैयारी की जा रही है।



इंदौरी अध्यक्षी कहां उलझी



कांग्रेस में गुटबाजी ना हो ऐसा हो ही नहीं सकता और गुटबाजी सार्वजनिक ना हो ऐसा तो कतई नहीं हो सकता। अब देखिए न, सत्ता में आने का सपना देख रही कांग्रेस 3 महीने से इंदौर में जिला अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं कर पा रही है। कुछ लोग इसे कमलनाथ की रणनीति का एक हिस्सा मान रहे हैं तो कुछ लोग स्थानीय नेताओं की दादागिरी जो अपने समर्थक को अध्यक्ष बनाने पर अड़े हुए हैं। मामला जो भी लेकिन, चुनावी साल में 3 महीने तक इंदौर जैसे जिले में अध्यक्ष ना होना चर्चा का विषय बना हुआ है।



मंत्री-साहब और ठेकेदार



ब्यूरोक्रेसी में बिशनखेड़ी में अवैध रूप से कट रही कॉलोनी को लेकर बड़ी चर्चा है। डूब क्षेत्र में आने वाली इस 35 एकड़ जमीन पर सर्वसुविधायुक्त कॉलोनी काटी जा रही है। बताया जा रहा है कि इस अवैध कॉलोनी के तार एक कद्दावर मंत्री, बड़े साहब और उनके करीबी ठेकेदार से जुड़े हैं, यही वजह है कि सारे नियमों को ताक पर रखकर इसकी मंजूरी दी गई है। मजेदार बात ये है कि कल तक बड़े साहब अपनी ही बिरादरी के लोगों की लो-डेनसिटी में बनी व्हिसपरिंग पॉम कॉलोनी के खिलाफ थे, इस फेर में मास्टर प्लान अटका हुआ है। अब चहेते ठेकेदार को करोड़ों की अवैध कॉलोनी काटने का फ्री हैंड देना विरोधी पक्ष के लिए मुद्दा बन गया है। बड़े साहब का नाम आते ही चाहने वाले कुंडली बनाने में लग गए हैं, हिसाब-किताब लगाया जा रहा है कि कितने करोड़ों का खेल रिटायरमेंट से पहले किया जा रहा है।



आ गया सीआर का मौसम



सीआर का मौसम आते ही मंत्रालय के अफसरों की धड़कनें बढ़ गई हैं। दरअसल, पिछली बार बड़े साहब ने 1 दर्जन से ज्यादा अफसरों की सीआर खराब कर दी थी। फिर वो चाहे प्रमुख सचिव हो सचिव हो या उप सचिव सारी धान एक पसेरी तोली गई। मंत्रालय में बड़े साहब के बारे में एक कहावत प्रचलित है, जो साहब की आंख में खटका वो निपटा। साहब की कलम चलने के बाद ने कोई अपील न दलील। इस माह सीआर लिखी जानी है, ऐसे में वो अफसर खासे परेशान हैं, जिनकी साहब पिछले साल सीआर बिगाड़ चुके हैं। उन्हें डर है कि साहब ने फिर लाल पेन चला दिया तो आगे की तरक्की की राह मुश्किल हो जाएगी।


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