इंदौर में 36 मौतों का मामला; हाईकोर्ट में लगी 3 याचिकाएं, एक में हाईकोर्ट जज से दूसरे में सीबीआई जांच की मांग

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Jitendra Shrivastava
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इंदौर में 36 मौतों का मामला; हाईकोर्ट में लगी 3 याचिकाएं, एक में हाईकोर्ट जज से दूसरे में सीबीआई जांच की मांग

संजय गुप्ता, INDORE. श्री बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर के बावड़ी हादसे में हुई 36 मौतों का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। इसमें एक नहीं बल्कि दो याचिकाएं दायर हुई है। पूर्व पार्षद दिलीप कौशल और अधिवक्ता डॉ. मनोहर दलाल की याचिका में घटना की जांच हाईकोर्ट के सिटिंग जज से कराने और दोषियों पर कठोर कार्रवाई की मांग की गई है। वहीं पूर्व पार्षद महेश गर्ग और कांग्रेस नेता प्रमोद द्विवेदी ने भी अलग-अलग दो जनहित याचिकाएं दायर की है। यह याचिकाएं अधिवक्ता मनीष यादव और अधिवक्ता अदिति मनीष यादव के माध्यम से दायर हुई जिसमें उच्च न्यायालय से हस्तक्षेप कर इसकी जांच CBI से करवाने की मांग की गई है। 



अलग-अलग याचिकाओं में ये कहा गया...




  • पूर्व पार्षद महेश गर्ग द्वारा लगाई गई याचिका में मांग की गई है कि मृतकों के परिजनों को 25-25 लाख का मुआवजा दिया जाए।  साथ ही  दोषी नेताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। शहर की विभिन्न बावड़ियों और कुओं से तत्काल कब्जे हटाए जाएं। 


  • इसी तरह प्रमोद दिवेदी की याचिका में मामले की जांच उच्च न्यायालय की निगरानी में गठित कमेटी से कराए जाने की मांग की गई है, इसके साथ ही मुआवजा दिए जाने और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की गई है।

  • तीसरी याचिका में यचिकाकर्ता दिलीप कौशल ने याचिका में इंदौर नगर निगम पर गंभीर आरोप लगाया। न्यायालय के समक्ष नगर निगम द्वारा पूर्व में किए गए सर्वे के बाद अलग-अलग समय जारी हुए हजारों नोटिसों पर भी कुछ नहीं होने की बात कही गई है।



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    सिटिंग जज के कराने और विधिक कारवाई करने की मांग की



    नागरिकों की संविधान अनुसार अधिकारों को सुरक्षित करने के साथ साथ नगर निगम के दोषी अफसरों की जांच उच्च न्यायलय के सिटिंग जज के कराने और विधिक कारवाई करने की मांग की। कहा गया कि घटना ने  नगर निगम एवं प्रशासन की पोल खोल कर रख दी है सरकार एक तरह स्मार्ट सिटी की नाम पर करोड़ों रुपए के विकास कार्यों का दावा कर रही है। 



    जवाबदार नेताओं को पद से तुरंत त्याग-पत्र दे देना चाहिए



    जबकि वास्तविकता में स्मार्ट सिटी और सफाई में नंबर वन शहर इंदौर में सुरक्षा, पार्किंग और आपदा से निपटने की लिए पर्याप्त संसाधन ही नहीं है। नगर निगम के भवन अधिकारी अफसरों और नेताओं की चाटुकारिता में लगे रहते हैं। सीएम हेल्पलाइन पर भी असत्य जवाब देते हैं। अधिवक्ता डॉ. मनोहर दलाल के माध्यम से लगी इस याचिका में कहा गया है कि जवाबदार नेताओं को पद से तुरंत त्याग-पत्र दे देना चाहिए।


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