CBI ने खोली नर्सिंग काउंसिल के दावों की पोल, HC बेंच ने कहा- निदेशक मेडिकल एजुकेशन पर चलना चाहिए केस

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Neha Thakur
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CBI ने खोली नर्सिंग काउंसिल के दावों की पोल, HC बेंच ने कहा- निदेशक मेडिकल एजुकेशन पर चलना चाहिए केस

जितेंद्र सिंह, GWALIOR. मध्य उच्च न्यायालय खंडपीठ ग्वालियर के आदेश पर सीबीआई की अंतरिम जांच ने सरकार, मेडिकल एजुकेशन और नर्सिंग काउंसिल के दावों की पोल खोलकर रख दी है। सीबीआई रिपोर्ट से साफ है कि नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने में मानकों की अनदेखी की गई है। उच्च न्यायालय की युगलपीठ ने सीबीआई की अंतरिम रिपोर्ट पढ़ने के बाद नाराजगी जाहिर करते हुए सीबीआई को प्रदेश के समस्त 364 कॉलेजों की जांच कर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है। सरकार, जिला कलेक्टर और एसपी को सीबीआई को जांच में पूर्ण सहयोग करने के आदेश दिए हैं। सीबीआई को 27 जुलाई को अपनी रिपोर्ट न्यायालय में पेश करना है।



रिपोर्ट में 364 कॉलेज शामिल



उच्च न्यायालय खंडपीठ ग्वालियर की युगलपीठ ने सीबीआई को प्रदेश के 364 कॉलेजों में से अपनी इच्छा से कुछ कॉलेजों की जांच कर निर्धारित बिंदुओं में अंतरिम रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए थे। सीबीआई के डीएसपी दीपक पुरोहित ने न्यायालय में बंद लिफाफे में अंतरित रिपोर्ट पेश की, जिसे पढ़ने के बाद न्यायालय ने आश्चर्य जाहिर करते हुए कहा कि पिछली तारीख पर महाधिवक्ता प्रशांत सिंह तो दावा कर रहे थे कि प्रदेश के सभी कॉलेज मानक पूरा करते हैं। पर सीबीआई की अंतरिम रिपोर्ट तो उनके दावों के बिल्कुल विपरीत है। ऐसे में आवश्यक हो गया है कि अब सीबीआई प्रदेश के समस्त कॉलेजों की निस्पक्षता के साथ विस्तृत जांच कर रिपोर्ट पेश करें।



50 फीसदी सरकारी कॉलेजों के मानक अधूरे



न्यायालय में जस्टिस रोहित आर्या ने सीबीआई की रिपोर्ट को पढ़कर सुनाया। रिपोर्ट के अनुसार 50 फीसदी सरकारी कॉलेज नर्सिंग कॉलेज के लिए निर्धारित मानकों को पूरा नहीं करते हैं। वहीं, न्यायालय द्वारा प्रस्तावित बिंदुओं के अनुसार 10 वर्ष से पुराने 33 फीसदी कॉलेज की मानकों के अनुरूप चल रहे हैं। 10 वर्ष से कम और 5 वर्ष से अधिक समय से संचालित 67 फीसदी कॉलेज तथा 5 वर्ष से कम अवधि से संचालित 44 फीसदी कॉलेज की मानकों को पूरा करते हैं।



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1820 वर्गफीट में चल रहा कॉलेज, लाइब्रेरी में 20 किताब



जस्टिस रोहित आर्या ने सीबीआई की रिपोर्ट पढ़कर आश्चर्य जताया कि नर्सिंग कॉलेज के लिए न्यूनतम 18000 वर्गफीट स्थान आवश्यक है, लेकिन भोपाल का सविता इंस्टीट्यूट महज 1820 वर्गफीट में चल रहा है। लाइब्रेरी के नाम पर उसके पास सिर्फ 20 किताबें हैं। अन्य आवश्यक संसाधनों का अता-पता नहीं है। वहीं, नवोदय नर्सिंग कॉलेज भोपाल दिए हुए पते पर सीबीआई टीम को मिला ही नहीं।



प्रशिक्षण का नहीं रखा जाता रिकॉर्ड



सीबीआई ने न्यायालय को बताया कि कॉलेज संचालकों के पास प्रशिक्षण के लिए भेजे जाने वाले विद्यार्थियों का कोई रिकॉर्ड नहीं है। जिन अस्पतालों में प्रशिक्षण के लिए भेजने का दावा किया जा रहा है उनके पास भी कोई जानकारी नहीं मिली है। इस पर न्यायालय ने सीबीआई से कॉलेज संचालकों से नोटरी पर शपथ पत्र लेने को कहा है कि उनके यहां प्रशिक्षण दिए जाने वाले छात्रों का रिकॉर्ड नहीं रखा जाता है।



एक नजर में समझ मामला




  • नर्सिंग कॉलेज की मान्यता को लेकर उच्च न्यायालय खंडपीठ ग्वालियर में लंबित है जनहित याचिका।


  • न्यायालय ने सीबीआई को दिया था कॉलेजों की अंतरिम जांच कर रिपोर्ट पेश करने का आदेश।

  • सीबीआई की अंतरिम रिपोर्ट के अनुसार 50 फीसदी सरकारी नर्सिंग कॉलेज मानक पूरा नहीं करते।

  • 10 वर्ष से पुराने 33 प्रतिशत कॉलेज ही नर्सिंग काउंसिल के मानकों के अनुरूप चल रहे।

  • 10 वर्ष से कम और 5 वर्ष से अधिक 33 फीसदी कॉलेज नहीं चल रहे मानकों के अनुरूप।

  • सीबीआई रिपोर्ट के अनुसार 05 वर्ष से कम पुराने 56 फीसदी कॉलेज के पास नहीं अनिवार्य सुविधाएं। 

  • महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने न्यायालय को पूर्व में बताया था कि प्रदेश के समस्त 364 कॉलेज मानक पूरा करते हैं। 

  • न्यायालय ने सरकार, मेडिकल एजुकेशन और नर्सिंग काउंसिल की कार्यप्रणाली पर चताई चिंता।

  • भोपाल का सविता इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग महज 1820 वर्गफीट में संचालित, जबकि न्यूनतम 18000 वर्गफीट आवश्यक।

  • नर्सिंग कॉलेज के पास लाइब्रेरी के नाम पर महज 20 किताबें, अन्य सुविधाओं नामोंनिशान नहीं।

  • सीबीआई रिपोर्ट के अनुसार नवोदय नर्सिंग कॉलेज भोपाल दिए गए पते पर संचालित होता नहीं पाया गया।

  • नर्सिंग कॉलेज छात्रों के प्रशिक्षण का नहीं रखते रिकॉर्ड, अस्पतालों के पास भी ट्रेनिंग लेने वाले विद्यार्थियों की जानकारी नहीं।



  • प्रशिक्षण का नहीं रखा जाता रिकॉर्ड



    न्यायालय द्वारा पूछे जाने पर सीबीआई ने न्यायालय को बताया कि कॉलेज संचालकों के पास प्रशिक्षण के लिए भेजे जाने वाले विद्यार्थियों का कोई रिकॉर्ड नहीं है। जिन अस्पतालों में प्रशिक्षण के लिए भेजने का दावा किया जा रहा है उनके पास भी कोई जानकारी नहीं मिली है। इस पर न्यायालय ने सीबीआई से कहा कि, कॉलेज संचालकों से नोटरी पर शपथ पत्र लिए जाएं कि वह रिकॉर्ड नहीं रखते हैं।



    जब मानक नहीं तो मान्यता कैसे



    याचिकाकर्ता के अधिवक्ता जितेंद्र कुमार शर्मा ने न्यायालय को  बताया कि विश्विधालय की कार्यसमिति की 27 अप्रैल को बैठक में फिर से पिछली तारीख से कॉलेजों को संबद्धता प्रदान की है, जिसके बाद न्यायालय ने सरकार से जवाब मांगा है। उच्च न्यायालय की युगलपीठ के जस्टिस रोहित आर्या ने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि जब कॉलेज मानक पूरा नहीं करते हैं तो ऐसे सभी कॉलेजों को मान्यता दिया जाना वो भी पिछली डेट से कैसे संभव है।



    कलेक्टर और एसपी को आदेश



    न्यायालय ने प्रदेश के सभी कलेक्टर को आदेश दिया है कि वह सीबीआई को जाँच में सहयोग के लिए सीबीआई अधिकारी उपलब्ध करवाएं। साथ ही डीजीपी को आदेश दिया कि सभी एसपी को पर्याप्त सुरक्षाबल उपलब्ध करवाने को कहा जाए। न्यायालय ने कहा कि सीबीआई को जाँच में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं आना चाहिए।


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