कूनो में रह रहे चीतों का नया घर बनेगी मंदसौर की गांधीसागर सेंक्चुरी; STR से पहली बार संजय गांधी पार्क भेजे जा रहे 15 बाइसन

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BP Shrivastava
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 कूनो में रह रहे चीतों का नया घर बनेगी मंदसौर की गांधीसागर सेंक्चुरी; STR से पहली बार संजय गांधी पार्क भेजे जा रहे 15 बाइसन

BHOPAL. मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में मौजूद चीतों में से 6 की मौत के बाद कई तरह की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया था। कहा जा रहा था चीतों  को 'कूनो' का माहौल सूट नहीं कर रहा है। इन्हें कहीं और शिफ्ट किया जा सकता है। इन अटकलों पर सोमवार (29 मई) को भोपाल में केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री भूपेंद्र यादव ने विराम लगा दिया और कहा कि कूनो नेशनल पार्क के चीतों को फिलहाल मप्र से बाहर शिफ्ट नहीं किया जाएगा, बल्कि प्रदेश में ही चीतों का दूसरा घर मंदसौर की गांधीसागर सेंचुरी में बनाया जाएगा। उन्होंने साफ किया कि इसके अलावा किसी विकल्प पर केंद्र सरकार विचार नहीं कर रही है। सीएम शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में सोमवार को भोपाल में चीता प्रोजेक्ट की हाईलेवल समीक्षा बैठक में और भी कई फैसले लिए गए। यहां बात दें, वर्तमान में कूनो नेशनल पार्क में 17 चीते मौजूद हैं, जबकि हाल में तीन शावकों समेत 6 की मौत हो चुकी है।



'प्रोजेक्ट को सफल होने में 5 साल लगेंगे'



केंद्रीय वन मंत्री यादव ने मप्र के अफसरों को समझाते हुए कहा कि चीता एक्शन प्लान में स्पष्ट है कि इनकी 50 प्रतिशत आबादी ही भारत में सर्वाइव कर पाएगी। प्रोजेक्ट को पूरी तरह सफल होने में 5 साल लगेंगे। इसलिए हाल में हुई कुछ मौतों से बिल्कुल घबराने की जरूरत नहीं हैं। बैठक में वनमंत्री विजय शाह ने चीता की मॉनिटरिंग में तैनात कर्मचारियों को सुरक्षा के लिए आधुनिक वाहन उपलब्ध कराने की मांग रखी।



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केंद्रीय मंत्री यादव की बातों से चिंता दूर हुई- शिवराज सिंह चौहान



बैठक में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि 3 चीता शावकों की असमय मृत्यु से मैं काफी चिंतित था। सोच रहा था कि चीतों की देखभाल के लिए सरकार पूरे प्रयास कर रही है, फिर भी ऐसा क्यों हो रहा है, लेकिन केंद्रीय मंत्री यादव की बातें सुनकर मेरे मन की चिंता अब दूर हो गई है। सीएम ने कहा कि चीतों शावकों का सर्वाइवल रेट भले ही कम है, लेकिन हमारे प्रयासों में कतई कमी नहीं रहेगी। सीएम ने बैठक के दौरान ही अफसरों को निर्देश दिए कि गांधीसागर सेंचुरी को युद्ध स्तर पर चीतों के लिए तैयार किया जाए। कोई लापरवाही अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।



मप्र को वित्तीय मदद करेगी केंद्र सरकार



केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने घोषणा की कि मध्यप्रदेश में चीतों के संरक्षण और प्रबंधन से जुड़े अफसरों को जल्द ही केंद्र सरकार अध्ययन प्रवास पर नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका भेजेगी। चीता प्रोटेक्शन फोर्स बनाने के लिए केंद्र सरकार मप्र को वित्तीय मदद मुहैया कराएगी।



सीधी के संजय टाइगर रिजर्व की शान बढ़ाएंगे बायसन



सतपुड़ा टाइगर रिजर्व (STR) से पहली बार भारतीय गौर यानी बाइसन संजय टाइगर रिजर्व, सीधी भेजे जाएंगे। संजय टाइगर रिजर्व में विलुप्त हो चुके बाइसन को दोबारा बसाने के लिए इस प्रोजेक्ट पर कार्य तेजी से जारी है। एसटीआर और कान्हा के बाइसन संजय टाइगर पार्क की शान बढ़ाएंगे। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और कान्हा नेशनल पार्क से करीब 50 बायसन भेजने की  प्लानिंग है। बाइसन को भेजने के बाद पार्क में कुनबा बढ़ाने पर कार्य होगा।



कुल 35 बाइसन संजय टाइगर पार्क शिफ्ट होंगे



जानकारी के मुताबिक करीब एक महीने के अंदर सतपुड़ा रिजर्व से 15 और कान्हा टाइगर रिजर्व से 35 बाइसन संजय टाइगर पार्क भेजे जाएंगे। एक नर बाइसन के साथ तीन मादा बाइसन को रखने की योजना है। बाइसन के अनुकूल पार्क का जंगल, समतल मैदान, बड़े-बड़े चारागाह, पीने के लिए पानी भी है। घास के मैदान के साथ बारहमासी नदियां बाइसन के रहने के लिए अनुकूल माहौल होगा।



एसटीआर में सबसे ज्यादा बायसन 



जंगलों में सबसे बड़ी प्रजाति भारतीय बाइसन की है। जिसे गौर भी कहा जाता है। जो काफी शक्तिशाली और कद-काठी में विशाल होते हैं। प्रदेश में सबसे ज्यादा करीब 5 हजार बाइसन सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में हैं। एसटीआर के फील्ड डायरेक्टर एल कृष्णमूर्ति ने बताया कि एसटीआर में ही करीब 5 हजार बायसन हैं। जो मप्र में सबसे ज्यादा है। पहली बार एसटीआर से 15 बाइसन को संजय टाइगर रिजर्व भेजा रहा है।



25 साल बाद पार्क में नजर आएंगे बायसन



सीधी के संजय टाइगर रिजर्व में करीब 1998 के बाद बाइसन नहीं देखे गए। 25 साल बाद पार्क में बाइसन नजर आएंगे। एसटीआर और कान्हा के बाइसन पार्क की शोभा बढ़ाएंगे। भारतीय गौर की आबादी को पुनर्जीवित करने के लिए संजय दुबरी टाइगर रिजर्व में फिर से बाइसन को लाया जा रहा है।

भारतीय गौर यानी बाइसन काफी बड़े और मोटे होते है। जंगली भैंस की तरह होते हैं। यह हमेशा झुंड में रहते हैं। भारतीय गौर को इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) रेड लिस्ट में असुरक्षित के रूप में चिह्नित किया गया है। यह इतने ताकतवर होते हैं कि जंगल के खूंखार जानवर बाघ, तेंदुआ को भी कभी-कभी घेर लेते हैं। इस सब के बाद भी टाइगर, तेंदुआ, शेर अक्सर बाइसन का शिकार कर लेते हैं।


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