छिंदवाड़ा के पातालकोट का नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल, भारिया और गौंड जनजाति की जीवन शैली के कारण है विख्यात

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The Sootr
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छिंदवाड़ा के पातालकोट का नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल, भारिया और गौंड जनजाति की जीवन शैली के कारण है विख्यात

बीके पाठे, CHHINDWARA. जिला मुख्यालय से करीब 45 किमी दूर पातालकोट एक खूबसूरत पहाड़ी स्थल है। भौगोलिक स्थिति और यहां निवासरत् भारिया और गौंड जनजाति की जीवन शैली के कारण यह पूरे विश्व में विख्यात है। अनेकों दुर्लभ जड़ी बूटियों का यहां प्रचुर मात्रा में भंडार है। इन्हीं तमाम खूबियों के चलते पातालकोट का नाम ऐड्वेन्चरस प्लेस ऑफ गोंडवाना लैंड- पातालकोट (छिंदवाड़ा) रखा गया था। अब इसे वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया। विल्हेम जेजलर, पूनम जेजलर, बेरिस्टर संतोष शुक्ला (प्रेसीडेंट एवं सीईओ, वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स) ने वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड का प्रमाण-पत्र प्रशासन को सौंपा। जूनारदेव विधायक सुनील उईके, मध्यप्रदेश पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी प्रदीप वाल्मीकि और छिंदवाड़ा के अतिरिक्त आयुक्त सत्येंद्र सिंह मरकाम ने इस प्रमाण-पत्र को प्राप्त किया। 





पर्यटकों का पसंदीदा स्थल है पातालकोट





पातालकोट पर्यटकों का यह पसंदीदा स्थल है, यहां मप्र के अलावा महाराष्ट्र और देश विदेश के पर्यटक पहुंचते हैं। साथ ही यहां से चौरागढ़ और महादेव पहाड़ी के साथ सतपुड़ा पहाड़ी की श्रृंखला की अद्भुत खूबसूरती का आनंद भी लिया जा सकता है। दूर-दूर तक फैले कुदरती आकर्षणों से मन को शांति मिलती है। 





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पातालकोट पहुंचने के लिए हैं घुमावदार सड़कें





घुमावदार सड़कों से कारेआम होते हुए पातालकोट पहुंचा जाता है। पातालकोट पहुंचने पर भारिया और गौंड जनजाति का पारंपरिक जीवन और खानपान लुभाता है। आज भी पातालकोट के गांव में निवासरत परिवार कोदो, कुटकी, ज्वार, बाजरा और मक्के को भोजन में शामिल करते हैं। 





कोरोना संक्रमण की पहुंच से दूर था पातालकोट





पूरी दुनिया जब कोरोना संक्रमण से ग्रसित थी। लोगों को अस्पताल में इलाज के लिए जगह और आवश्यक दवाइयां नहीं मिल रही थी। तब पातालकोट कोरोना संक्रमण से कोसों दूर था। पूरे कोरोना काल में यहां से कोई भी व्यक्ति संक्रमण का शिकार नहीं हुआ था, यहां के लोग आज भी औषधि चिकित्सा पर सबसे अधिक भरोसा करते हैं।  





तामिया ब्लॉक में दोपहर 12 बजे सूर्य की रोशनी पहुंचती है 





उल्लेखनीय है कि पातालकोट का उल्लेख विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, पौराणिक, जनजातिय, संस्कृति, अनोखी औषधिय वनस्पति की उपलब्धता को लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मिलता है। इसके अलावा भारत सरकार द्वारा पातालकोट को एडवेंचर प्लेस ऑफ गोंडवाना लैंड के नाम से पहचान दी गई थी। बता दें कि छिंदवाड़ा जिला मुख्यालय से 65 किमी दूर तामिया ब्लॉक में स्थिति पहाड़ी धरातल से 3000 हजार फीट नीचे स्थित है। यहां के गांवों में दोपहर 12 बजे सूर्य की रोशनी पहुंचती है।  



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