देव श्रीमाली, GWALIOR. ग्वालियर रेलवे स्टेशन से दस वर्ष पूर्व अचानक लापता हुए एक नाबालिग को जीआरपी पुलिस नेपाल बॉर्डर से ढूंढ लाई। अब वह बालिग हो चुका है। बच्चे का परिवार हैदरावाद का रहने वाला है और ट्रेन से दिल्ली जाते समय वह गायब हुए था। जीआरपी ने यह कार्यवाही ऑपरेशन मुस्कान के तहत की।
ऐसे गायब हुआ था बालक
थाना जीआरपी ग्वालियर की निरीक्षक बबीता कठेरिया ने बताया कि 29 जनवरी 2013 को जहीर मोहम्मद अपने परिचितों के साथ हैदराबाद से लौटकर नई दिल्ली जा रहे थे और ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर अब्दुल गफ्फार कुछ और लड़कों के साथ पानी पीने के लिए उतरा था। उसी दौरान अन्य लोग तो ट्रेन पर न चढ़ गये लेकिन मानसिक हालात ठीक न होने के कारण वह नहीं चढ़ सका और फिर यहां से भी लापता हो गया। गायब हो गया था। बरामद युवक की मानसिक स्थिति भी ठीक नहीं बताई गई थी।
जीआरपी ने पता बताने वाले को इनाम की भी घोषणा की थी
इस मामले में गुमशुदा बालक के पिता जहीर मोहम्मद की शिकायत पर जीआरपी थाना में अपहरण की एफआईआर दर्ज की गई थी। लंबे समय से इस मामले की जांच पड़ताल की जा रही थी। जीआरपी पुलिस ने बालक की सूचना देने वाले को₹10000 इनाम की घोषणा भी की थी। तब से यह मामला जांच में चल रहा था।
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नेपाल के मेले में घूमता मिला
जीआरपी थाने की प्रभारी बबिता कठेरिया ने बताया कि जांच पड़ताल के दौरान एक क्लू मिला था कि ग्वालियर से गायब हुआ नाबालिग नेपाल बॉर्डर के पास देखा गया है। यह सूचना नेपाल सीमा में चल रहे एक मेले से मिली थी। इसको तस्दीक करने के लिए एक टीम तैयार कर पहले मधुबनी भेजी गई और वहां से नेपाल बॉर्डर के अंदर लगे मेले में गयी तो वहां वह लड़का मिल गया। उससे और अन्य लोगों से पूछताछ से साफ हो गया कि यह ग्वालियर से गायब हुआ लड़का ही है जिसकी मन:स्थिति ठीक नही है। परिजनों ने भी उसे पहचान लिया और उसने भी परिजनों को पहचान लिया। सूचना सच निकली और जीआरपी की टीम वहां से उक्त युवक को बरामद करके ग्वालियर लाई। युवक अब्दुल गफ्फार 10 वर्ष पूर्व जब ग्वालियर रेलवे स्टेशन से गायब हुआ था तब उसकी उम्र 18 वर्ष से कम थी और वह नाबालिग था जो कि अब बालिक हो चुका है।
परिजनों की आंखों में आए आंसू
दस वर्ष पहले गायब बच्चे के मिलने की सूचना पर उसके परिजन यहां आए और जब उन्होंने बालिग हो गए बच्चे को देखा तो उनकी आंखों में खुशी के आंसू छलक उठे। बाद में पुलिस ने कानूनी औपचारिकता पूरी करने के बाद उसे परिजनों को ही सौंप दिया।