सिंगरौली के बच्चे दोनों हाथों से लिखने में माहिर, रीवा के 2 गूगल बॉय और बालाघाट की दिव्यांग ‘गूगल’ का बड़ा कारनामा

author-image
Vijay Choudhary
एडिट
New Update
सिंगरौली के बच्चे दोनों हाथों से लिखने में माहिर, रीवा के 2 गूगल बॉय और बालाघाट की दिव्यांग ‘गूगल’ का बड़ा कारनामा

REWA/SINGRAULI. कहते हैं एमपी अजब है और यहां के लोग गजब हैं। आज 14 नवंबर को  बाल दिवस पर हम आपके लिए ऐसे ही बच्चों की कहानी लेकर आए हैं, जिन्हें पढ़कर आप भी यही कहेंगे कि छोटा पैकेट, बड़ा धमाका। बच्चों की उम्र छोटी है, लेकिन नॉलेज के मामले में बड़ों को मात दे दें। 



दोनों हाथों से लिखने में माहिर



सिंगरौली के एक स्कूल में पढ़ने वाले 100 बच्चों की एक साथ दोनों हाथों से लिखने में महारत है। रीवा जिले के 'दो लिटिल गूगल बॉय' की देश-दुनिया में चर्चा हो रही है। सिर्फ 2 साल की उम्र में दोनों ने मेमोरी पॉवर से यह उपलब्धि हासिल की है। एक यशस्वी मिश्रा तो दूसरे का अविराज तिवारी है। यशस्वी मिश्रा दुनिया के सभी 195 देशों के झंडे पहचान लेता है, तो अविराज तिवारी कई देशों के अलावा भारत के सभी राज्यों के नक्शे देखकर उनकी पहचान कर लेता है। इसी वजह से अविराज का नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ है। बालाघाट की 11 साल की आस्था की मेमोरी पावर भी गजब की है।



आइए जानते हैं इन बच्चों  के बारे में...



पहली कहानी सिंगरौली से…



सिंगरौली जिले के छोटे से गांव बुधेला में रहने वाले 100 बच्चे दोनों हाथ से एक साथ लिखने में माहिर हैं। ये सभी बच्चे वीणा वादिनी पब्लिक स्कूल में पढ़ते हैं। ये दोनों हाथों से एक साथ पेन चलाते हैं, वो भी तेजी से। इन्हें क्लास में किसी भी होमवर्क को करने में सामान्य बच्चों के मुकाबले आधा समय लगता है। इन्हें हिंदी, संस्कृत, इंग्लिश, उर्दू और स्पैनिश भाषाएं आती हैं। इन्हें कोई 'थ्री इडियट्स' फिल्म का 'प्रोफेसर वीरू सहस्त्रबुद्धे' तो कोई हैरी पॉटर वाला जादूगर 'वॉल्ट मोर' कहता है। बच्चों को यह हुनर उनके स्कूल में सिखाया जाता है। गांव के वीरंगद शर्मा ने बताया कि जबलपुर में आर्मी की ट्रेनिंग ले रहे थे। सेना के लिए तैयारी के समय देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के बारे में बताया गया कि वे दोनों हाथ से लिखते थे। इस पर जिज्ञासा बढ़ी तो कुछ अलग करने के लिए गांव में 1999 में यह स्कूल शुरू किया।



1999 से संचालित वीणा वादिनी पब्लिक स्कूल में अब तक 17 बैच में ऐसे 480 बच्चे पासआउट हो चुके हैं, जो दोनों हाथ से लिखते हैं। 50 से ज्यादा स्टूडेंट्स सिविल सर्विसेज, आर्म्ड फोर्स, पैरामिलिट्री फोर्स समेत कई सरकारी नौकरियों में हैं। एक बच्चे को तैयार होने में चार से 5 साल लगते हैं।



बच्चों से जुड़े रोचक तथ्य…



वीणा वादिनी पब्लिक स्कूल में 1st से 8वीं तक 145 बच्चे पढ़ते हैं। इनमें से 100 बच्चे दोनों हाथ से लिख लेते हैं। 1 बच्चा 11 घंटे में 24 हजार शब्द लिख लेता है। पढ़ाई के साथ बच्चों को रोज डेढ़ घंटे ध्यान और योग की शिक्षा दी जाती है। बच्चे उर्दू में 1 से 100 तक की गिनती 45 सेकंड में, रोमन गिनती 1 मिनट में, देवनागरी लिपि में 1 मिनट में लिख लेते हैं। दो भाषाओं के 250 शब्दों का अनुवाद भी 1 मिनट में कर देते हैं। 17 तक का पहाड़ा भी 1 मिनट में लिख लेते हैं। 75 बच्चे ऐसे हैं, जो एक हाथ से 2 का पहाड़ा लिखते हैं, तो दूसरे से तीन का। चार और पांच का पहाड़ा भी एक साथ दोनों हाथ से लिख लेते हैं।



अब कहानी रीवा से



रीवा के 'दो लिटिल गूगल बॉय' इन दिनों चर्चा में हैं। महज 2 साल की उम्र में ही दोनों का दिमाग कंप्यूटर से भी तेज चलता है। पहले बच्चे का नाम यशस्वी मिश्रा तो दूसरे का अविराज तिवारी है। यशस्वी दुनिया के सभी 195 देशों के झंडे तुरंत पहचान लेता है। इसके लिए उसे 3 अवॉर्ड मिल चुके हैं। इनमें लंदन की संस्था का वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड, हार्वर्ड वर्ल्ड रिकॉर्ड और इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड शामिल हैं। वहीं, अविराज कई देशों का नक्शा पहचान सकता है। हाल ही में वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड में नाम दर्ज हुआ है। वे भारत के नक्शे को देखकर राज्य और उसकी राजधानी का नाम चंद सेकेंड में बता देता है।



यशस्वी मिश्रा की खासियत 



3 रिकॉर्ड मिलने के बाद यशस्वी इन दिनों विज्ञान, भौतिकी, गणित, रसायन शास्त्र, इतिहास, भूगोल और सामान्य ज्ञान से जुड़ी नॉलेज अपडेट कर रहे हैं। यशस्वी इन सभी विषयों से जुड़े नाम, चित्र और वस्तुओं से जुड़े 1000 से ज्यादा फ्लैश कार्ड चंद सेकंड में पहचान लेते हैं। यशस्वी के पिता संजय मिश्रा रीवा की गुढ़ तहसील के अमिलिहा गांव के रहने वाले हैं। वे फिलहाल लखनऊ में रहकर एक विज्ञापन कंपनी में जॉब कर रहे हैं। उनके दो बेटे हैं। बड़ा बेटा 5 साल का और छोटा बेटा यशस्वी 23 महीने का है। यशस्वी का जन्म 25 दिसंबर 2020 को हुआ।



अविराज तिवारी की गजब की मेमोरी



अविराज की मेमोरी इतनी तेज है कि जिसे भी एक बार देख लेते हैं, उसे कभी नहीं भूलता। 6 महीने पहले माता-पिता ने उनकी प्रतिभा को पहचानते हुए कुछ वीडियो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड वालों को भी भेजे। वीडियो देखने के बाद संस्था ने कहा कि 13 साल के बाद बच्चों को रिकॉर्ड देते हैं। अविराज इंडियन एयरफोर्स के सभी विमानों को देखते ही उसके नाम बता देते हैं।



भारत के सभी राज्यों का नक्शा पहचाने के लिए 4 नवंबर को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड लंदन की ओर से प्रमाण पत्र ​जारी किया गया है। अविराज के पिता रामकृष्ण तिवारी मूलत: रीवा के मनगवां तहसील अंतर्गत तिवनी गांव के रहने वाले हैं। पिता इंडियन एयरफोर्स में ऑफिसर हैं। वे परिवार समेत पंजाब राज्य के पठानकोट में रहते हैं। अविराज उनका इकलौता बेटा है। अविराज का जन्म 1 मार्च 2020 को हुआ।



बालाघाट की गूगल गर्ल



बालाघाट की 11 साल की आस्था दोनों आंखों से दिव्यांग है। कभी स्कूल नहीं गई, लेकिन आस्था में एक खासियत है- याद रखने की। वो जहां भी सफर करती है, रास्ते में आने वाले शहर या स्टेशन की जानकारी अपने पेरेंट्स से पूछती रहती है। फिर दोबारा यात्रा करने पर वो शब्दश: स्टेशन के नाम बता देती है। चाहे कोई स्टेशन हो या कोई तारीख। आस्था से किसी भी बीते या आने वाले किसी भी साल की कोई तारीख पूछी जा सकती है। वो तुरंत ही इसका जवाब दे देती है। बच्ची की मां ज्योति डहरवाल ने बताया कि बेटी जन्म से ही दिव्यांग है। गर्भधारण के 5 महीने बाद ही उसका जन्म हो गया था।


MP News Childrens Day 2022 Unique children of MP Singrauli Children writing with both hands Google Boy of Rewa Google Girl of Balaghat एमपी के अनोखे बच्चे सिंगरौली के बच्चे दोनों हाथों से लिखने में माहिर रीवा का गूगल बॉय बालाघाट की गूगल गर्ल