अरुण तिवारी, Bhopal. प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव (Madhya Pradesh urban body elections) करीब आ गए हैं। बीजेपी और कांग्रेस (BJP-Congress) के लिए ये चुनाव अगले विधानसभा चुनाव (Assembly elections) का लिटमस टेस्ट के साथ प्रतिष्ठा का प्रश्न भी बन गए हैं। यदि पिछले विधानसभा चुनाव का वोटिंग ट्रेंड देखा जाए तो बीजेपी ओर कांग्रेस के बीच महज 29 हजार वोटों का अंतर है। यानी भोपाल मेयर (Bhopal mayor) की कुर्सी इस बार बीजेपी के लिए आसान नहीं है। ये वोटिंग ट्रेंड कांग्रेस के लिए भी उम्मीद की किरण बनकर आया है। लोकसभा चुनाव में बीजेपी—कांग्रेस के बीच करीब ढाई लाख का अंतर था लेकिन जानकार मानते हैं कि वो मोदी लहर का अंतर था और निकाय चुनाव सीधे तौर पर स्थानीय मुदृों पर होते हैं इसलिए इसका ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। विधानसभा और लोकसभा चुनाव (Lok Sabha elections) के वोटिंग पैटर्न ने मेयर के लिए मुक़ाबला कड़ा कर दिया है।
ये है विधानसभा चुनाव 2018 का वोटिंग ट्रेंड
2018 के विधानसभा चुनाव में भोपाल की छह विधानसभा सीटों में से तीन सीटें बीजेपी के खाते में गईं और तीन सीटें कांग्रेस के हिस्से में आईं। छह सीटों की कुल वोटिंग का अंतर देखा जाए तो वो महज 29 हजार वोट का है।
साल 2018 विधानसभा चुनाव-
भोपाल उत्तर विधानसभा : कांग्रेस एमएलए
- कुल वोटर- 234489
नरेला विधानसभा सीट : बीजेपी एमएलए
- कुल वोटर — 309769
दक्षिण पश्चिम विधानसभा सीट : कांग्रेस एमएलए
- कुल वोटर — 215937
मध्य विधानसभा सीट : कांग्रेस एमएलए
- कुल वोटर — 235421
गोविंदपुरा विधानसभा सीट : बीजेपी एमएलए
- कुल वोटर — 355265
हुजूर विधानसभा सीट : बीजेपी एमएलए
- कुल वोटर — 291396
सभी विधानसभाओं के कुल वोटर - 1642280
- वोट पड़े — 927272
लोकसभा का वोटिंग ट्रेंड
विधानसभा चुनाव के करीब छह महीने के अंतर पर लोकसभा चुनाव हो गए। 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में वोटिंग ट्रेंड बिल्कुल बदला हुआ था। लोकसभा चुनाव में मोदी लहर पर सवार बीजेपी ने कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया। भोपाल लोकसभा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार दिग्विजय सिंह को बीजेपी की प्रज्ञा ठाकुर ने साढ़े तीन लाख वोटों से हराया जिसमें सीहोर और बैरसिया को हटा दिया जाए तो ये अंतर ढाई लाख वोटों का था। चुनाव विश्लेषक मानते हैं कि ये लोकसभा चुनाव मोदी लहर पर था लेकिन नगर निगम चुनाव स्थानीय मुद्दों पर आधारित होते हैं इसलिए ये ट्रेंड नगर निगम चुनाव में नजर नहीं आ सकता। इसीलिए यहां पर मेयर पद के लिए बीजेपी—कांग्रेस के लिए कड़ी चुनौती है।
ये है भोपाल लोकसभा चुनाव 2019 का वोटिंग ट्रेंड : बीजेपी सांसद
सीहोर, बैरसिया हटाकर कुल वोटर — 1724348
- बीजेपी को मिले — 654721
कांग्रेस के सामने उम्मीद की किरण
पिछले दो महापौर चुनाव में लगातार कांग्रेस, बीजेपी से हारती रही है। इसके अलावा भोपाल लोकसभा पर भी लगातार बीजेपी का कब्जा रहा है। लेकिन इस बार कांग्रेस को उम्मीद की किरण नजर आई हे। विधानसभा चुनाव के नतीजे कांग्रेस में जीत की आस जगा रहे हैं। कांग्रेस नेता भूपेंद्र गुप्ता कहते हैं कि लोग बीजेपी सरकार से नाराज हैं, बिजली—पानी जैसे स्थानीय मुद्दों पर जनता नाराज है इसलिए वो कांग्रेस को समर्थन देगी। रही बात लोकसभा चुनाव की तो राष्ट्रवाद और हिंदू—मुस्लिम जैसे मुद्दे स्थानीय चुनाव में नहीं चलेंगे इसलिए इस बार कांग्रेस का मेयर होगा।
बीजेपी को जीत का भरोसा
वहीं बीजेपी मेयर चुनाव में हैट्रिक लगाने का दावा कर रही है। बीजेपी को लगता है कि 2018 के विधानसभा चुनाव का अंतर और बढ़ जाएगा। मुद्दे भले ही स्थानीय हों लेकिन जनता का साथ बीजेपी के साथ है। सड़क,बिजली और पानी के मुद्दों पर सरकार ने बहुत काम किया है। मेयर के चुनाव में इस बार बीजेपी का अंतर कांग्रेस से बहुत ज्यादा होगा।