Jabalpur. रामनवमीं पर इंदौर में हुई दिल दहला देने वाली दुर्घटना के बाद भी शहर की एतिहासिक बावड़ियों के प्रति नगर निगम कोई ध्यान नहीं दे रहा है। शहर की सघन बस्तियों और इलाकों में आधा दर्जन से ज्यादा बावड़ियां अभी भी खुली हुई हैं। बता दें कि इंदौर हादसे के बाद सीएम ने अधिकारियों को प्रदेश भर की बावड़ियों और कुओं को ढंकने के निर्देश दिए थे। लेकिन जबलपुर में इस ओर कोई सुध नहीं ले रहा।
कचरे से अटी पड़ी हैं बावड़ियां
बता दें कि जबलपुर में रानीताल उजारपुरवा, शास्त्री नगर, गढ़ा, बादशाह हलवाई मंदिर, महाराजपुर क्षेत्र में प्राचीन बावड़ियां हैं। इन सभी में कचरा बजबजा रहा है। कई बार बावड़ियों की सफाई कराई जा चुकी है लेकिन लोग फिर इन्हें कचरे से भर देते हैं। दुर्गंध से भरा पानी और बदबू मच्छरों और कीट पतंगों का प्रकोप बढ़ा रहा है।
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कुछ बावड़ियों में लगी है जाली
हालांकि कुछ बावड़ियों में निगम की ओर से जाली लगवाई गई थी। लेकिन लंबे समय से सफाई नहीं कराई गई है। बड़ी खेरमाई मंदिर में स्थित बावड़ी का यही हाल है। यहां मोटर पंप के जरिए निस्तार योग्य पानी की सप्लाई भी होती है, पर सफाई के अभाव में इस बावड़ी के बुरे हाल हैं।
नगर निगम आयुक्त स्वप्निल वानखेड़े ने बताया कि खुली बावड़ियों का निरीक्षण कराया जा रहा है। जल्द ही इन्हें ढंकवाया जाएगा, सफाई भी कराई जानी है। कलेक्टर ने भी इस संबंध में निर्देश दिए हैं।
लोग भी जिम्मेदार
दरअसल बावड़ियों की ऐसी हालत के लिए केवल नगर निगम नहीं बल्कि स्थानीय लोग भी जिम्मेदार हैं। लोग जानबूझकर बावड़ी में कचरा फेंकते हैं। तीज त्यौहार में पूजन सामग्री का विसर्जन भी इनकी हालत खराब कर देता है। कुछ दिन बाद पूरी बावड़ी में दुर्गंध आने लगती है। वैसे तो सभी जानते हैं कि बावड़ी के कारण आसपास के क्षेत्र का जलस्तर बढ़ा हुआ रहता है, लेकिन फिर भी लोग इनमें कचरा फेंकने से बाज नहीं आते।