BHOPAL. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट को सीएम शिवराज का 'नायक' अंदाज पसंद नहीं आया, सीएम शिवराज पिछले कुछ दिनों से अपने दौरे के दौरान मंच से कुछ अधिकारियों को सस्पेंड करते आ रहे हैं। ऐसा ही कुछ सीएम ने छिंदवाड़ा में भी किया था, लेकिन यहां पदस्थ शासकीय कर्मचारी सीएम के इस 'नायक' रुप के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंच गया और स्टे लेकर आ गया। दोबार जब सीएम शिवराज फिर छिंदवाड़ा पहुंचे तो इस अधिकारी पर फिर उनकी नजर पड़ी और इस बार उसे सस्पेंड कर दिया। दोबार ये सरकारी कर्मचारी हाईकोर्ट से स्टे लेकर आया है।
पहली बार किया था तबादला
दरअसल छिंदवाड़ा सीएमएचओ डीसी चौरसिया को सितंबर में सीएम ने छिंदवाड़ा से हटा दिया था। सीएम शिवराज सितंबर के महीने में मुख्यमंत्री जनसेवा अभियान के तहत पूरे प्रदेश में शिविरों का आयोजन कर रहे थे, सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इन शिविरों में जाकर जनता की समस्याओं को मौके पर ही सुलझाने की कोशिश की। जिन अधिकारियों के खिलाफ सीएम को शिकायत मिली थी, तो उन्होंने इस पर तत्काल कार्रवाई भी की। इसी कड़ी में जब सीएम सितंबर महीने में छिंदवाड़ा के रामाकोना गए थे, यहां उन्होंने छिंदवाड़ा के सीएमएचओ डीसी चौरसिया को मंच से ही हटाने के आदेश दे दिए थे। सीएम के इस फैसले के खिलाफ डीसी चौरसिया हाईकोर्ट चले गए इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने उनकी छिंदवाड़ा में ही सीएमएचओ के पद पर बहाली के आदेश दे दिए थे।
दूसरी बार सीएम ने 'हटाया', हाईकोर्ट ने फिर 'बैठाया'
एक बार फिर 9 दिसंबर को शिवराज सिंह चौहान छिंदवाड़ा पहुंचे, जहां उन्होंने मंच से कहा कि मैंने तो सीएमएचओ को हटाने के लिए कहा था क्या ये फिर से यहां आ गए। सीएम ने भरी सभा में कहा कि अबकी बार सीएमएचओ को सस्पेंड करता हूं। सस्पेंशन के इस फैसले को लेकर सीएमएचओ डीसी चौरसिया ने एक बार फिर हाईकोर्ट की शरण ली और कहा कि पद से हटाए जाने के बाद हाईकोर्ट के आदेश पर वो छिंदवाड़ा सीएमएचओ के पद पर बहाल हुए थे तब मुख्यमंत्री उन्हें किस तरह से सस्पेंड कर सकते हैं ?
सीएम शिवराज ने सस्ती लोकप्रियता के लिए ऐसा किया: याचिकाकर्ता के वकील
याचिकाकर्ता की तरफ से कोर्ट में पैरवी कर रहे वकील देवेंद्र कुमार त्रिपाठी ने कोर्ट के सामने दलील दी कि 'हजारों लोगों के सामने इस तरह से सस्पेंड किए जाने पर याचिकाकर्ता की छवि को ठेस पहुंची, अधिकारी भी जनसेवक होते हैं और उनका भी आत्मसम्मान होता है'। 'सीएम शिवराज ऐसा कर केवल सस्ती लोकप्रियता और वोट बैंक बटोरना चाहते हैं, लेकिन उनके इस कदम से याचिकाकर्ता के आत्मसम्मान को ठेस पहुंची।' सरकारी वकील की तरफ से कोर्ट में दलील दी गई कि याचिकाकर्ता चाहें तो इस सस्पेंशन ऑर्डर के खिलाफ अपील कर सकता है, लेकिन कोर्ट ने कहा कि सीएम ने ही सस्पेंड किया है तो अपील करने का सवाल ही नहीं उठता। इसलिए कोर्ट ने सस्पेंड किए जाने के ऑर्डर पर स्टे दे दिया।