MP: बिजली संकट पर CM की मीटिंग, रबी के सीजन में 'बत्ती गुल' का संकट गहराने की आहट

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MP: बिजली संकट पर CM की मीटिंग, रबी के सीजन में 'बत्ती गुल' का संकट गहराने की आहट

भोपाल. मध्यप्रदेश में कोयले की कमी के चलते बिजली संकट गहराने लगा है। प्रदेश में बिजली संकट (Power Crisis) से निपटने के लिए 9 अक्टूबर को सीएम शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj) ने अफसरों की उच्च स्तरीय मीटिंग बुलाई। मीटिंग में सीएम ने कहा कि कोयले (Coal) पर निर्भरता को कम करने के लिए सौर ऊर्जा (Solar Energy) पर फोकस किया जाएगा। इसके लिए सौर ऊर्जा प्लांटों की स्थापना जरूरी है। सौर ऊर्जा प्लांट लगाने को प्रोत्साहन देने के लिए पॉलिसी बनाई जाएगी। गौरतलब है कि रबी की फसल के सीजन में सबसे ज्यादा बिजली की खपत होती है। जानकारी के मुताबिक अगले 2 महीनों में 16 हजार मेगावाट तक डिमांड पहुंच सकती है। सरकारी श्रीसिंगाजी प्लांट के पास सिर्फ 2520 मेगावॉट मतलब सिर्फ 2 दिन का ही स्टॉक बाकी है। वहीं, अमरकंटक प्लांट के पास 210 मेगावॉट, मतलब 7 दिन का स्टॉक, सारणी प्लांट के पास 1330 मेगावॉट, मतलब 5 दिन का स्टॉक और संजय गांधी प्लांट के पास 1340 मेगावॉट, 7 दिन का स्टॉक ही बाकी बचा है। इस कारण प्रदेश में बड़ा बिजली संकट गहरा सकता है।

किसानों को 10 घंटे बिजली

सीएम ने कहा कि किसानों को सिंचाई के लिए कम से कम 10 घंटे बिजली उपलब्ध कराई जाए। इसके लिए प्रत्येक स्तर पर व्यवस्था सुनिश्चित करें। यह बैठक रबी फसल के लिए बिजली आपूर्ति के संबंध में बुलाई थी, लेकिन कोयले की कमी से थर्मल पावर प्लांट में बिजली उत्पादन की वर्तमान स्थिति की समीक्षा की गई।  

कोयले की कमी के चलते बिजली संकट

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो मध्य प्रदेश के खंडवा स्थित सिंगाजी प्लांट में महज दो दिन का कोयला बचा है। यहां बिजली बनाने के लिए रोज 22 हजार मीट्रिक टन कोयले की जरूरत होती है, जबकि अभी प्लांट में 52 हजार मीट्रिक टन कोयला मौजूद है। सिंगाजी में रोज 6-7 रैक कोयले की जरूरत है। 

मध्यप्रदेश में 10 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन की डिमांड है।  इसे देखते हुए सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना की 1, 2 और 3 नंबर की यूनिट से बिजली उत्पादन किया जा रहा है। कोयले की सप्लाई थम जाएगी तो यहां बिजली उत्पादन ठप हो जाएगा। इससे बिजली संकट की स्थिति बन जाएगी। 

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