संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर में एक निर्माणाधीन शिव मंदिर को तोड़ने से बड़ा विवाद हो गया। सूर्य देव नगर बी सेक्टर में बने इस मंदिर को तोड़ने के लिए सुबह नगर निगम का भारी अमला पहुंच गया और भारी पुलिस बल भी मौजूद था और मंदिर को आनन-फानन में तोड़ दिया गया। इसके बाद रहवासियों ने इसे लेकर विरोध जताया और मौके पर नगर निगम के एमआईसी सदस्य अभिषेक बबलू शर्मा भी पहुंच गए। उन्होंने जब पूछा कि कार्रवाई कहां से हुई तो बताया गया है कि इंदौर कलेक्टर ने इसको तोड़ने के आदेश दिए थे। लेकिन कहां से प्रक्रिया पूरी चली इसकी जानकारी कोई नहीं दे पाया। जानकारी के अनुसार मंगलवार को जनसुनवाई के दौरान रहवासियों ने बगीचे में अवैध निर्माण को लेकर शिकायत की थी जिसके बाद कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी ने मामला नगर निगम को आगे फॉरवर्ड कर दिया था। लेकिन इस मामले में इंदौर कलेक्टर द्वारा फॉरवर्ड किया मामले को आदेश मानते हुए बिना किसी सीनियर अधिकारियों को सूचना दिए हुए निगम के अधिकारियों ने मंदिर को तोड़ दिया।
नेता बोले अधिकारी बेकाबू हो रहे
वहीं, इसे लेकर नेताओ में तीखी प्रतिक्रिया रही है कि अधिकारी कितने बेकाबू हो गए हैं कि बिना किसी जनप्रतिनिधि से बात किए हुए ही मंदिर को तोड़ दिया। पूरे मामले में नगर निगम द्वारा मामला इंदौर कलेक्टर पर ढोला जा रहा है और वह इस मामले में नेताओं को सफाई दे रहे, कि उनके संज्ञान में मामला नहीं है जनसुनवाई का मामला नगर निगम को आगे फॉरवर्ड किया था।
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शिवराज सरकार को भी घेरा
हिंदू संगठनों का कहना है कि शिवराज सरकार आखिरकार क्यों सनातन धर्म के विरुद्ध हो रही है इसके पहले बावड़ी हादसे के बाद श्रीबालेश्वर मंदिर पटेल नगर में आनन-फानन में पूरी तरह से तोड़ दिया गया। जब विरोध हुआ उसके बाद सीएम ने वापस मंदिर बनाने की घोषणा की लेकिन वहां एक ईंट तक आज तक नहीं लग पाई है। लोगों ने यहां तक कहा कि शायद सरकार पर बाबर का भूत आ गया है सरकार हिंदू धर्म के निर्माण को तो अवैध मानते हुए तोड़ रही है लेकिन अन्य धर्मस्थल पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
एमआईसी सदस्य बगीचे में बैठ गए
उधर एमआईसी सदस्य अभिषेक बबलू शर्मा तत्काल मौके पर पहुंच गए उन्होंने आरोप लगाया कि मंदिर को तोड़ने के लिए नगर निगम द्वारा और जिन अधिकारियों द्वारा यह हरकत की गई है उन पर सख्त कार्रवाई होना चाहिए। यहां पर ऐसे पुलिस बल लगाया गया जैसे कि कोई आतंकवादी हमला हो रहा हो ना किसी जनप्रतिनिधि को बताया गया ना ही किसी तरह से किसी को भरोसे में लिया गया और मंदिर को अचानक तोड़ दिया गया उन्होंने अधिकारियों को निशाने पर लेते हुए कहा कि जब हम अधिकारी को बताते हैं कि यहां नशे के अड्डे हैं इन्हें तोड़ो यह होटल अवैध हैं या गलत गतिविधियां हो रही है, तोड़ो वहां तो कार्रवाई करते नहीं लेकिन मंदिर को तोड़ने के लिए तत्काल पहुंच जाते हैं। किसी को कोई सूचना नहीं कि आखिर कार्रवाई कहां से चली है और इस मामले में मैं बगीचे में बैठा रहूंगा। जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई होना चाहिए।
नियम तो यह है कि मौके पर एसडीएम को रहना चाहिए
किसी भी धार्मिक स्थल पर कार्रवाई को लेकर नियम है कि उसको नोटिस देने के साथ ही जिला प्रशासन की मंजूरी के बाद ही उसको कार्रवाई हो सकती है। मौके पर मजिस्ट्रियल अधिकारी एसडीएम, तहसीलदार का भी मौके पर रहना जरूरी है इस पूरी कार्रवाई के बाद जिला प्रशासन ने अपना हाथ झटक लिया है उनका कहना है कि हमें कोई जानकारी नहीं है हमने तो सिर्फ नगर निगम को मामला रेफर किया था, वहीं नगर निगम का कहना है कि हमने तो इंदौर कलेक्ट्रेट के आदेश का पालन किया था उसके तहत कार्रवाई हुई। लेकिन इसकी फाइल कहां चली किस ने पुलिस को सूचना दी और मौके पर कोई भी नहीं था तो आखिरकार कैसे मंदिर टूट गया। इसका जवाब ना प्रशासन के पास है नगर निगम के पास है।