Jabalpur. मध्यप्रदेश के बहुचर्चित पैरामेडिकल स्कॉलरशिप स्कैम के केस में लगातार दूसरे दिन जबलपुर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि जिन संस्थाओं ने नोटिस के बावजूद राशि जमा नहीं कराई है, जल्द ही उनकी संपत्ति नीलाम कर दी जाएगी। सरकार की ओर से यह भी बताया गया कि कुछ संस्थाओं के खिलाफ कुर्की की कार्रवाई भी की जा रही है। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने सरकार को अगली सुनवाई में जबलपुर के साथ-साथ ग्वालियर के कॉलेजों पर भी कार्रवाई की रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं। अगली सुनवाई 12 जून को नियत की गई है।
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सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि जिन कॉलेजों की संपत्ति सील कर दी गई है, यदि वे पैसा जमा कर देते हैं तो उनकी संपत्तियों को मुक्त कर दिया जाए। साथ ही अदालत ने इंदौर खंडपीठ द्वारा वसूली पर दिए गए स्थगन आदेश को इस शर्त पर बहाल रखा है कि उक्त कॉलेज वसूली योग्य राशि में से 50 फीसदी राशि इंदौर कलेक्टर के पास जमा कराएंगे। यह राशि उक्त याचिकाओं के अंतिम निर्णय की अधीन रहेगी।
यह है मामला
लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अधिवक्ता विशाल बघेल ने जनहित याचिका दायर कर हाईकोर्ट को बताया था कि साल 2010 से 2015 के बीच प्रदेश के सैकड़ों निजी पैरामेडिकल कॉलेज संचालकों ने फर्जी छात्रों को प्रवेशित दिखाकर सरकार से करोड़ों रुपए की छात्रवृत्ति डकार ली थी। इस मामले में शिकायतों के बाद जब जांच हुई तो पाया गया कि जिन छात्रों के नाम पर राशि हड़पी गई वे कभी परीक्षा में बैठे ही नहीं थे। इसके अलावा एक छात्र के नाम पर कई कॉलेजों ने एक ही समय में स्कॉलरशिप निकाली थी। मामले में जांच के बाद 100 से ज्यादा कॉलेज संचालकों पर मामले दर्ज हुए थे। जिसके बाद हाईकोर्ट ने शासन से हड़पी गई 24 करोड़ रुपए की राशि की वसूली करने के निर्देश सरकार को दिए थे, लेकिन 8 सालों से यह राशि वसूली नहीं जा सकी। अभी भी शासन को 37 संस्थाओं से करीब 16 करोड़ रुपए वसूलना बाकी है।