देव श्रीमाली, GWALIOR. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने दहेज प्रताड़ना के मामले पर एक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा है कि घरेलू विवाद को दहेज प्रताड़ना का रूप देना कानून का दुरुपयोग है। ऐसे केस खारिज किए जाएं। भिण्ड के जेएमएफसी न्यायालय में चल रहे ऐसे ही एक (दहेज प्रताड़ना) केस को हाईकोर्ट ने निरस्त किया है। कोर्ट ने मामले में आरोपी बनाये गए रिश्तेदार और परिजन के नाम एफआईआर से निकालकर इसे खारिज करने के आदेश दिए।
दहेज प्रताड़ना मामले की सुनवाई में बोले हाईकोर्ट जज
दहेज प्रताड़ना के एक मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए कहा है कि परिवार में होने वाले छोटे-छोटे घरेलू विवाद को दहेज प्रताड़ना का रूप देना और फिर पूरे परिवार को पुलिस केस में फंसा देना कानून व न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है। ऐसे मामलों को खारिज कर देना चाहिए।
एडवोकेट बोले बगैर तथ्य जांचे पुलिस ने चालान भी पेश कर दिया
इस मामले में एडवोकेट अवधेश सिंह भदौरिया ने अपने पक्षकार शैलेंद्र कुमार मिश्रा की और से हाईकोर्ट के समक्ष तर्क प्रस्तुत कर बताया कि पुलिस ने मामले की निष्पक्ष विवेचना कर सच्चाई जानने का प्रयास ही नहीं किया है। भोपाल में रहने वाले ताऊ ससुर मुन्नालाल मिश्रा, भिंड में रहने वाले जेठ बृजमोहन मिश्रा, गुवाहटी इंटेलिजेंस ब्यूरो में पदस्थ देवर योगेंद्र मिश्रा और गर्भवती देवरानी रजनी मिश्रा के खिलाफ झूठा प्रकरण दर्ज कर आरोप पत्र प्रस्तुत कर दिया जबकि एफआईआर में दहेज प्रताड़ना के आवश्यक तथ्य ही मौजूद नहीं है। हाईकोर्ट ने तर्कों से सहमत होते हुए ऐसे प्रकरण को कानून का दुरुपयोग बताया और सभी आरोपियों के खिलाफ जेएमएफसी न्यायालय में चल रहे मुकद्दमे को निरस्त कर दिया है।
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ये है पूरा मामला
आपको बता दें कि ग्वालियर के शताब्दीपुरम निवासी शैलेंद्र कुमार मिश्रा का विवाह 2013 में दीनदयाल नगर निवासी निशा से हुआ था। 20 जून 2022 को दोनों के बीच विवाद हुआ और उसके बाद निशा ने अपने पति सहित ससुराल पक्ष के सभी लोगों के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज करवा दिया था। इस एफआईआर को खत्म करने के लिए पीड़ित पक्ष ने कोर्ट में याचिका दायर की थी जिस पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने कहा- घरेलू विवाद को दहेज प्रताड़ना का रूप देना कानून का दुरुपयोग, केस रद्द
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देव श्रीमाली, GWALIOR. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने दहेज प्रताड़ना के मामले पर एक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा है कि घरेलू विवाद को दहेज प्रताड़ना का रूप देना कानून का दुरुपयोग है। ऐसे केस खारिज किए जाएं। भिण्ड के जेएमएफसी न्यायालय में चल रहे ऐसे ही एक (दहेज प्रताड़ना) केस को हाईकोर्ट ने निरस्त किया है। कोर्ट ने मामले में आरोपी बनाये गए रिश्तेदार और परिजन के नाम एफआईआर से निकालकर इसे खारिज करने के आदेश दिए।
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दहेज प्रताड़ना के एक मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए कहा है कि परिवार में होने वाले छोटे-छोटे घरेलू विवाद को दहेज प्रताड़ना का रूप देना और फिर पूरे परिवार को पुलिस केस में फंसा देना कानून व न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है। ऐसे मामलों को खारिज कर देना चाहिए।
एडवोकेट बोले बगैर तथ्य जांचे पुलिस ने चालान भी पेश कर दिया
इस मामले में एडवोकेट अवधेश सिंह भदौरिया ने अपने पक्षकार शैलेंद्र कुमार मिश्रा की और से हाईकोर्ट के समक्ष तर्क प्रस्तुत कर बताया कि पुलिस ने मामले की निष्पक्ष विवेचना कर सच्चाई जानने का प्रयास ही नहीं किया है। भोपाल में रहने वाले ताऊ ससुर मुन्नालाल मिश्रा, भिंड में रहने वाले जेठ बृजमोहन मिश्रा, गुवाहटी इंटेलिजेंस ब्यूरो में पदस्थ देवर योगेंद्र मिश्रा और गर्भवती देवरानी रजनी मिश्रा के खिलाफ झूठा प्रकरण दर्ज कर आरोप पत्र प्रस्तुत कर दिया जबकि एफआईआर में दहेज प्रताड़ना के आवश्यक तथ्य ही मौजूद नहीं है। हाईकोर्ट ने तर्कों से सहमत होते हुए ऐसे प्रकरण को कानून का दुरुपयोग बताया और सभी आरोपियों के खिलाफ जेएमएफसी न्यायालय में चल रहे मुकद्दमे को निरस्त कर दिया है।
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आपको बता दें कि ग्वालियर के शताब्दीपुरम निवासी शैलेंद्र कुमार मिश्रा का विवाह 2013 में दीनदयाल नगर निवासी निशा से हुआ था। 20 जून 2022 को दोनों के बीच विवाद हुआ और उसके बाद निशा ने अपने पति सहित ससुराल पक्ष के सभी लोगों के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज करवा दिया था। इस एफआईआर को खत्म करने के लिए पीड़ित पक्ष ने कोर्ट में याचिका दायर की थी जिस पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया।