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BHOPAL. मध्यप्रदेश पुलिस विभाग में बड़ा बदलाव हुआ है। इंदौर और भोपाल के कमिश्नर आपस में बदले गए हैं। मकरंद देऊस्कर को इंदौर का कमिश्नर बनाया गया है। वहीं हरिनारायण चारी मिश्र को भोपाल का कमिश्ननर बनाया गया है। इससे पहले मकरंद देऊस्कर भोपाल और हरिनारायण चारी मिश्र इंदौर की जिम्मेदारी संभाल रहे थे।
MP में 12 आईपीएस के तबादले
मकरंद देऊस्कर इंदौर पुलिस कमिश्नर बनाए गए। हरिनारायणचारी मिश्र भोपाल पुलिस कमिश्नर होंगे। इसके अलावा प्रमोद वर्मा आईजी सागर, अभय वर्मा,आईजी देहात भोपाल, इरशाद वली,आईजी होशंगाबाद और सुशांत कुमार सक्सेना आईजी चंबल बनाए गए।
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— TheSootr (@TheSootr) March 16, 2023
12 IPS का ट्रांसफर
इंदौर-भोपाल के कमिश्नर समेत 12 IPS का ट्रांसफर हुआ है। प्रमोद वर्मा को सागर का आईजी बनाया गया है। अभय वर्मा देहात भोपाल के आईजी होंगे। इरशाद वली को नर्मदापुरम का आईजी बनाया गया है। वहीं सुशांत कुमार सक्सेना चंबल जोन के आईजी बनाए गए हैं।
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क्या है कमिश्नर सिस्टम ?
मध्यप्रदेश के 2 बड़े शहर भोपाल और इंदौर में कमिश्नर सिस्टम लागू है। इसके तहत जिला अधिकारी, एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट के अधिकार पुलिस अधिकारियों के पास हैं। पुलिस के पास होटल, बार लाइसेंस, हथियार के लाइसेंस देने का भी अधिकार है। धरना प्रदर्शन की अनुमति भी पुलिस देती है। वहीं दंगे के दौरान लाठी चार्ज और बल प्रयोग का फैसला सीधे पुलिस लेती है।
कमिश्नर सिस्टम के फायदे
कमिश्नर सिस्टम के कई फायदे हैं। पुलिस कमिश्नर को मजिस्ट्रेट की पावर है। पुलिस के अधिकार बढ़ गए हैं। आकस्मिक स्थिति होने पर अब पुलिस को कलेक्टर के आदेश का इंतजार नहीं करना पड़ता। पुलिस खुद किसी भी स्थिति में फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है।
कमिश्नर सिस्टम लागू होने पर क्या बोले थे सीएम शिवराज
भोपाल और इंदौर में कमिश्नर सिस्टम लागू होने पर सीएम शिवराज ने ट्वीट कर कहा था कि मध्यप्रदेश शांति का टापू रहा है। कानून व्यवस्था दुरुस्त बनाए रखने, नागरिकों की सुरक्षा के साथ अपराधी तत्व पर कठोर अंकुश के लिए यह व्यवस्था अधिक प्रभावी साबित होगी। पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली अपराधों पर अंकुश, आपराधिक मामलों के निराकरण और यातायात व्यवस्था के लिहाज से बेहतर होगी। क्राइम ब्रांच, ट्रैफिक के लिए अलग-अलग डीसीपी होंगे। क्राइम ब्रांच संगीन अपराधों की छानबीन करेगी। यातायात व्यवस्था दुरुस्त करने का जिम्मा ट्रैफिक डीसीपी का होगा। पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली प्रदेश में शांति व्यवस्था की बहाली में महत्वपूर्ण साबित होगी। किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए पुलिस स्वयं निर्णय लेगी। जिले की कानून व्यवस्था से जुड़े फैसले लेने का अधिकार कमिश्नर के पास होगा।