जबलपुर में तेंदुए के इलाके में अब क्रांक्रीट का जंगल, SFRI ने 20 किमी के इलाके का सर्वे किया, कहा- डरें नहीं, अलर्ट रहें

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Rajeev Upadhyay
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जबलपुर में तेंदुए के इलाके में अब क्रांक्रीट का जंगल, SFRI ने 20 किमी के इलाके का सर्वे किया, कहा- डरें नहीं, अलर्ट रहें

Jabalpur. जबलपुर के एक बड़े इलाके में तेंदुए की लगातार मूवमेंट ने लोगों को डरा कर रखा हुआ है। दूसरी तरफ पुलिस है कि तेंदुए से संबंधित बातें सोशल मीडिया में फैलाने वाले दो लोगों पर कार्रवाई कर चुकी है। इसी बीच स्टेट फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (SFRI) की टीम ने इलाके का निरीक्षण करने के बाद जो खुलासा किया है, उसने पुलिस की कार्रवाई के साथ-साथ अंधाधुंध विकास पर भी कई सवालिया निशान लगा दिए हैं। दरअसल स्टेट फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक डॉ अनिरुद्ध मजूमदार और उनकी टीम ने शोभापुर से लेकर पचपेढ़ी तक के इलाके का निरीक्षण करने के बाद यह खुलासा किया है कि यह इलाका असल में तेंदुओं की पुरानी टेरेटरी ही है। टीम ने उन सभी इलाकों का निरीक्षण किया, जहां तेंदुआ होने की सूचनाएं मिली थीं। 



निरीक्षण में यह मिला



टीम ने बताया कि न्यू शोभापुर के जिस मकान के सीसीटीवी कैमरे में तेंदुए की तस्वीरें कैद हुईं। उसके आसपास महीनों पहले शिकार किए गए छोटे वन्य जीवों के अवशेष मिले हैं। इसके अलावा पेड़ों और चट्टानों पर तेंदुओं की निशानदेही समेत अन्य प्रमाण मिले हैं। निरीक्षण के बाद टीम ने स्थानीय लोगों से बातचीत कर उन्हें तेंदुए से डरने के बजाय अलर्ट रहने और पालतू पशुओं की सुरक्षा करने की समझाइश दी है। 



4 साल पहले भी निकला था यही नतीजा



करीब 4 साल पहले बरगी हिल्स, नया गांव क्षेत्र में भी तेंदुओं के मूवमेंट से आतंक का माहौल बन गया था। तेंदुए की अनेक तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी। तब वन्य प्राणी विशेषज्ञों ने डुमना से लेकर ठाकुरताल और नयागांव क्षेत्र में तेंदुओं के पुराने कॉरीडोर होने की बात का खुलासा किया था। बीते करीब डेढ़ दशक तक शहर के आसपास के इलाकों में तेंदुओं का मूवमेंट बंद हो गया था और केवल खमरिया की पहाड़ियों और डुमना क्षेत्र में सीमित था लेकिन हाल के वर्षों में खासकर ठंड के दिनों में तेंदुओं का मूवमेंट अन्य क्षेत्रों में बढ़ जाता है। 



करिया पाथर की पहाड़ियों में भी मूवमेंट



न्यू शोभापुर और जीसीएफ के बाद अब करिया पाथर की पहाड़ियों पर भी तेंदुए का मूवमेंट होने की बात सामने आ रही है। हालांकि अभी इसके कोई प्रमाण नहीं मिले हैं। वन्य प्राणी विशेषज्ञों का कहना है कि ठंड के मौसम में जब तेंदुओं की खुराक बढ़ जाती है तो वे आबादी की तरफ मूवमेंट करने लगते हैं। यही वजह है कि 3-4 साल पहले नया गांव और ठाकुर ताल इलाके के बाद अब तेंदुए इन रहवासी इलाकों की तरफ तफरी कर रहे हैं। 


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