आदिवासी बाहुल्य राजपुर सीट पर कांग्रेस का रहा है एकतरफा राज, विधायकी का चौका मार चुके हैं बाला बच्चन, बीजेपी के सामने बड़ी चुनौती

author-image
Vivek Sharma
एडिट
New Update
आदिवासी बाहुल्य राजपुर सीट पर कांग्रेस का रहा है एकतरफा राज, विधायकी का चौका मार चुके हैं बाला बच्चन, बीजेपी के सामने बड़ी चुनौती

RAJPUR. बड़वानी से करीब 30 से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है राजपुर। कस्बे को दो भागों में बांटती है रुपा नदी। यहां ऐतिहासिक मां भवानी मन्दिर और हनुमानजी का मंदिर स्थित हैं। राजपुर में कुशवाह समाज के लोग बड़ी संख्या में हैं। ये इलाका आदिवासी बाहुल्य है। यहां मुद्दे और चेहरा दोनों ही अहम है।



सियासी मिजाज 



 कुक्षी, गंधवानी और झाबुआ की ही तरह इस आदिवासी बाहुल्य सीट पर भी कांग्रेस का एकतरफा राज रहा है। अब तक इस सीट पर हुए 14 चुनावों में 10 बार कांग्रेस। 3 बार बीजेपी और एक बार जनसंघ ने यहां से जीत दर्ज की। साल 1957 में अस्तित्व में आई इस विधानसभा सीट पर पहली बार कांग्रेस के मांगीलाल ताजसिंह ने जीत दर्ज की। आपातकाल के बाद हुए चुनाव में राजपुर से पहली बार जनता पार्टी के भगवान सिंह चौहान ने जीत दर्ज की। साल 1993 में पहली बार यहां से बाला बच्चन ने जीत दर्ज की। साल 2018 में कांग्रेस के बाला बच्चन ने बीजेपी के देवी सिंह पटेल को मात्र 1 हजार वोटों से भी के अंतर से हराकर कमलनाथ सरकार में गृहमंत्री की जिम्मेदारी संभाली थी। 



सियासी समीकरण 



 आदिवासी बाहुल्य इस सीट पर जातिगत समीकरण साधना दोनों ही दलों के लिए चुनौतीपूर्ण काम है। यहां देवी सिंह पटेल और बाला बच्चन की जीत में सबसे अहम भूमिका जातिगत समीकरण की ही है। जयस के आने से दोनों ही दलों के जातिगत समीकरण साधने के सभी दांव-पेंच खतरे में पड़ते नजर आ रहे हैं। बाला बच्चन राजपुर-पानसेमल से चार बार 2013, 2008, 1993 और 1998 में भी विधायक रह चुके हैं लेकिन 2018 में हुए चुनाव में 1 हजार से कम वोटों की जीत ने बाला बच्चन के लिए चिंताएं बढ़ा दी है। हालांकि बीजेपी के देवी सिंह पटेल के निधन के बाद से यहां कौन मैदान संभालेगा इसको लेकर खींचतान जारी है। वहीं इलाके में जयस की आमद होने से 2023 में क्या होगा इसका अंदाजा लगाना थोड़ा मुश्किल है।



यह भी पढ़ेंः अटेर सीट पर कोई भी लगातार दो बार नहीं जीता, क्या इस बार मिथक टूटेगा, पूर्व विधायक हेमंत कटारे पर लगे थे रेप के आरोप



जातिगत समीकरण 



 बड़वानी जिले की राजपुर सीट एक आरक्षित विधानसभा सीट है... यहां पर आदिवासी समाज की संख्या सबसे ज्यादा है जो कि चुनाव में जीत-हार में अहम भूमिका अदा करती है। इसके साथ ही इलाके में कुशवाह समाज के मतदाता भी बड़ी संख्या में मौजूद है।



मुद्दे 



 राजपुर में जातिगत समीकरण के साथ मुद्दे भी अहम भूमिका निभाते हैं। आदिवासी बाहुल्य इस इलाके में मूलभूत सुविधाओं की कमी और रोजगार के लिए पलायन एक बड़ी समस्या है। वहीं सड़क-बिजली-पानी और शिक्षा को लेकर इस इलाके में हालत खराब है।  किसान खाद के लिए लाइनों में लगने को मजबूर हैं तो अस्पतालों में डाक्टरों की कमी जस की तस बनी हुई है। इन सवालों के जवाब में दोनों दलों के नेताओं ने एक-दूसरे पर जमकर आरोप-प्रत्यारोप लगाए।



इसके अलावा द सूत्र ने इलाके के प्रबुद्धजनों, वरिष्ठ पत्रकारों और आम जनता से बात की तो कुछ सवाल निकलकर आए।




  •  15 महीने की सरकार में आपके इलाके के कितने किसानों का कर्जा माफ हुआ आंकडा बताएं ?


  • 15 महीने की सरकार में आपके इलाके के कितने युवाओं को बेरोजगार भत्ता मिला ?

  •  मंत्री, विधायक रहते आपने कितनी राशि इलाके के विकास कार्यों पर खर्च की ?

  •  शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए आपने कितनी राशि विधायक निधि से खर्च की

  •  ग्रामीण इलाकों में आपने 4 साल में कितनी सड़कों का निर्माण करवाया ?

  • विधायक के पास जनता के इन सवालों का कोई जवाब नहीं था.... विधायक जनता के सवालों से भागते नजर आए....



  • MOOD_OF_MP_CG2022 #MoodofMPCG

     


    MP News मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव MP Assembly Election 2023 Madhya Pradesh Assembly Election mp election Mood of MP CG mp chunav Mood_of_MP_CG2022 Rajpur assembly seat Bala Bachchan