कांग्रेस की कोशिश, दो दशक पुरानी सफलता को दोहरा दे

author-image
Ravindra Vyas
एडिट
New Update
कांग्रेस की कोशिश, दो दशक पुरानी सफलता को दोहरा दे

Chhatarpur, रवींद्र व्यास. बुंदेलखंड में कांग्रेस अपने दो दशक पुराने अतीत को दोहराने के लिए एड़ी चोटी  का जोर लगा रही है। प्रदेश के साथ बीते दो दशकों में मध्यप्रदेश के साथ बुंदेलखंड से भी कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया था। 2018 के चुनाव में सागर संभाग की 26 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस ने अपने वोट बैंक में जबरदस्त सुधार किया था,  जिसके चलते दोनों के मत प्रतिशत में अंतर मात्र 3 फीसदी का रहा था। इस बार कांग्रेस ने अभी से कमर कस ली है दिग्विजय के बाद कमलनाथ ने सभा कर बुंदेलखंड के कांग्रेसियों को जाग्रत करने के लिए दौरे भी कर लिए हैं। 24 घंटे चुनावी मोड में रहने वाली बीजेपी ने बुंदेलखंड में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए जो अभियान 2019 के लोकसभा चुनाव के साथ शुरू किया था वह अब भी जारी है। 





शिवराज-कमलनाथ के बीच वादों की होड़





बुंदेलखंड में पार्टियों के चुनावी अभियान के मध्य समानांतर समीकरणों का भी खेल चल रहा है। सियासत के इस संघर्ष में छतरपुर,  दमोह और टीकमगढ़ में मेडिकल कालेज के मुद्दे को जोर शोर से उठाया जा रहा है। छतरपुर में तो 2018  के चुनाव की तर्ज पर  मेडिकल कॉलेज के मुद्दा को लेकर धरना प्रदर्शन जारी है। हालांकि छतरपुर में मेडिकल कॉलेज स्वीकृत हो चुका है बजट भी मिल चुका है, एक बार टेंडर भी हो चुके हैं। ओबीसी और अजा और अजजा  वर्ग को बीजेपी  के विरुद्ध करने के लिए सुनियोजित राजनीति की जा रही है।





20 अप्रैल को बीना आए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्य मंत्री कमलनाथ ने बीना को जिला बनाने , बीना रिफाइनरी सहित उद्योगों में स्थानीय लोगों को रोजगार देने, बीना के 88 करोड़ की लागत से बने अस्थाई कोविड  हॉस्पिटल के गायब होने, सागर जिले में बीजेपी के आतंक और अत्याचार , किसानो की कर्ज माफी, बिजली जैसे मुद्दों पर बीजेपी को घेरन की कोशिश की। हालंकि उन्होंने दिग्विजय के उस बयान की भी हवा निकाल दी जिसमे उन्होंने कहा था कि कांग्रेस का संगठन कमजोर है ,कमलनाथ ने साफ किया की हमारा संगठन  कमजोर नहीं है, बल्कि बूथ को और मजबूत किया जा रहा है। दरअसल बीना को जिला बनाने की मांग काफी लंबे समय से की जाती रही है। शिवराज सिंह चुनावी भाषणों में बीना को जिला बनाने का आश्वासन भी देते रहे हैं, पर कभी ये जिला नहीं बना।





कसती कमान





कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दल अपने सियासी समीकरणों को मजबूत करने में जुटे हैं। बीजेपी के संगठन मंत्री और जिलों के प्रभारी नियमित बैठक कर, लोगों से फीडबैक ले रहे हैं। संगठन को घर घर तक पहुंचाने के लिए बूथ से लेकर पन्ना प्रमुखों को अपना दायित्व सौंपा जा रहा है। बीजेपी के प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव हर जिले में पहुंच रहे हैं | पिछले दिनों वे जब दमोह आये थे तो उन्होंने स्पष्ट कर दिया था कि आगामी 25 वर्ष तक बीजेपी ग्राम पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक, कैसे गांव, प्रदेश और देश की सेवा करने में सक्षम हो इसके लिए पार्टी की संगठनात्मक तैयारियां की जा रही हैं। राव का यह कहना बीजेपी की तैयारी और भावी सियासी रणनीति की ओर इशारा करती है। सियासी समीकरण बनाने के लिए कांग्रेस भी अपनी तैयारियों में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है। जिलों के प्रभारियों के अलावा उसने भी बूथ प्रभारी के लिए कार्य शुरू किया है| सागर संभाग के प्रभारी को बदला गया है, एआईसीसी के राष्ट्रीय सचिव और एमपी के सहप्रभारी सीपी मित्तल को सागर संभाग की कमान सौंपी गई है।





इन सबके बावजूद कांग्रेस में संगठनात्मक स्तर पर जो कसावट होना चाहिए उसका अभाव देखने को मिल रहा है।  कांग्रेस अभी भी गुटों मेंबटी नजर आ रही है। दावेदारों की भरमार बुंदेलखंड के सागर संभाग की 26 विधानसभा सीटों में से 6 विधानसभा सीट अजा के लिए आरक्षित हैं, जिनमे से चार पर बीजेपी और एक पर कांग्रेस और एक पर बीएसपी का  कब्जा है।





बीजेपी ने जो सीटें जीती भी थी उनमें से एक सीट को छोड़ कर अन्य सीटों पर  बहुत ज्यादा अंतर नहीं था। अजा की सीटें जीतने  के लिए दोनों ही दल अपनी कसावट बनाने में जुटे हैं। असल में इन सीटों के माध्यम से यह संदेश देने का प्रयास कर रहे हैं कि अजा वर्ग उनके साथ है। जिसका असर अन्य विधानसभा सीट पर भी मिलेगा। यही कारण है की इन सीटों पर भी दोनों दलों के  दावेदारों की अच्छी खासी संख्या है। शेष बची 20 विधानसभा सीटों पर बीजेपी के दावेदारों की संख्या अधिक है,  इनमें से कुछ ऐसे भी हैं जो बीजेपी के सदस्य नहीं हैं पर आरएसएस से जुड़े हैं। जबकि कांग्रेस में दावेदारों की संख्या अपेक्षाकृत कम है।





कांग्रेस नेता अब इसी मुगालते में कह रहे हैं की बीजेपी के ज्यादा दावेदार ही बीजेपी को निपटाने का कार्य करेंगे। कोंग्रेसी शायद इस बात को भूल जाते हैं कि अब तक के चुनाव में चुनाव के पहले जो भी विरोध बीजेपी में  रहता है वह टिकट वितरण के बाद सिर्फ घर तक रह जाता है, जो समाज में आते हैं उन्हें पार्टी बाहर का रास्ता दिखाने में देर नहीं करती| यही कारण है कि बीजेपी जहां हर विधायक और पार्टी के संभावित प्रत्याशी का फीडबैक ले रही है, वहीं कांग्रेस वर्तमान विधयकों पर दांव लगाने की तैयारी में है। जबकि कांग्रेस के वर्तमान विधायकों  के विरुद्ध दावेदार खुल कर मैदान में जोर आजमाइश कर रहे हैं।





धर्म का सहारा





सागर में बीजेपी नेता ,विधायक, मंत्री इन दिनों धर्म के सहारे अपनी राजनीतिको धर्म नीति बताने का प्रयास कर रहे हैं। जगह जगह धर्म कथाओं का आयोजन हो रहा है। शारदा देवी मंदिर में श्री सीताराम नाम जप 1008 कुंडीय महायज्ञ हो रहा है, आयोजन तो सार्वजनिक बताया जा रहा है पर आयोजन के परदे के पीछे बीजेपी के नेता और मंत्री  गोविंद राजपूत का सहयोग बताया जा रहा है। नरयावली विधानसभा क्षेत्रमें बागेश्वरधाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की कथा शुरू हो गई है यहां से बीजेपी के प्रदीप लारिया विधायक हैं। छतरपुर जिले के महाराजपुर विधानसभा क्षेत्र के नीरज दीक्षित ने तो सितंबर माह तक के तमाम धार्मिक कार्यक्रमों की रूप रेखा तैयार कर ली है। विधान सभा क्षेत्र के अलग स्थानों पर कथा, शिव पूजन जैसे कार्यक्रम होंगे। बुंदेलखंड में सियासत दिनों दिन गर्म होती जा रही है, धर्म, जाति, वर्ग  को प्रमुखता से साधने का काम हो रहा है।





बीजेपी के लिए वोट बैंक बड़ी चुनौती





इन सबके बीच अगर 2018 के समीकरणों को देखा जाये तो एक अलग तरह की तस्वीर उभरकर सामने आती है। 2018 के चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस में मत का अंतर सागर संभाग में 3  फीसदी का था संभाग में बीजेपी को 37. 45 फीसदी और कांग्रेस को 34. 45 फीसदी मत मिले थे। जबकि छतरपुर जिले की छह विधानसभा सीट पर कांग्रेस को 2.90  फीसदी ज्यादा मत मिले थे।  जबकि बीजेपी ने टीकमगढ़ में 3. 33 , दमोह में 5. 32 और पन्ना में सर्वाधिक 7. 57 प्रतिशत ज्यादा मत प्राप्त किए थे। देखना दिलचस्प होगा बीजेपी अपने वोट बैंक को यथावत रख पाती है अथवा नहीं।



Whose government will be formed in MP गर्भ में सरकार-किसकी होगी जय-जयकार एमपी में किसकी बनेगी सरकार एमपी विधानसभा चुनाव 2023 Assembly Election MP-2023 एमपी में कांग्रेस की चुनौती एमपी में बीजेपी की चुनौती Scindia-Chambal and JYAS will decide the results in MP एमपी में सिंधिया-चंबल और जयस तय करेंगे नतीजे MP Assembly Election 2023