इंदौर में निगम ने सीवरेज लाइन बावड़ी में डाल दी, इसी कारण इसमें पानी और कीचड़ था, जिससे हुई 36 मौतें

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Jitendra Shrivastava
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इंदौर में निगम ने सीवरेज लाइन बावड़ी में डाल दी, इसी कारण इसमें पानी और कीचड़ था, जिससे हुई 36 मौतें

योगेश राठौर, INDORE. श्री बेलेशवर महादेव झूलेलाल मंदिर की बावड़ी में अधिकांश मौत का कारण पानी में डूबने का रहा। बावड़ी में करीब दस फीट पानी था, नीचे कीचड़, गाद थी, जिसमें लोग फंस गए और फिर जिंदा वापस नहीं निकल सके। द सूत्र द्वारा मौके पर छानबीन करने और लोगों से जानकारी लेने पर चौंकाने वाली बात सामने आई की बावड़ी तो सालों पहले सूख गई थी, वैसे भी गर्मियों के सीजन में पानी तो रहने का सवाल ही नहीं उठता। यह पानी जो इसमें भरा हुआ था यह सीवरेज का पानी है। 



सीवरेज लाइन के पाइप बावड़ी में खुल रहे हैं



दरअसल नगर निगम ने बगीचे में डालने वाले पानी और बारिश आदि के कारण वहां होने वाले जलजमाव को बाहर करने के लिए एक सीवरेज लाइन बना रखी थी और इसके पाइप बावड़ी में खुल रहे हैं। बावड़ी के कोने पर यह दो पाइप साफ देखे जा सकते हैं। इन्हीं पाइप से बगीचे में डला पानी व अन्य जगह से आया पानी बावड़ी में जाकर जमा हो जाता था। यह पानी इतना गंदा था कि इससे खतरनाक गैस भी बनती थी, जो गुरुवार को रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान महसूस की गई, इसके चलते अधिकारियों और टीम ने मास्क लगाकर रखे थे और सभी की हालत खराब हो रही थी। 



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औपचारिक बात करने से मना कर दिया



मौके पर जब संवाददाता ने निगम कर्मचारियों से बात करनी चाही तो सामान्य चर्चा में तो बता दिया और पाइप भी दिखा दिए कि वहां से पूरा पानी बावड़ी में जाता है लेकिन औपचारिक बयान देने और चर्चा करने से मना कर दिया गया। सभी को फिलहाल कार्रवाई का डर लग रह है कि बड़े तो बच जाएंगे, छोटे कर्मचारियों को सबसे पहले बलि का बकरा बनाया जाएगा। 



सालों पुरानी है बावड़ी, पहले नहीं था कोई निर्माण



बावड़ी सालों पुरानी है और जब आईडीए ने कॉलोनी काटी तो यहां बगीचा प्रस्तावित हुआ और बाद में बगीचा बना। लेकिन कुछ लोगों द्वार बावड़ी के पास पहले शिव भगवान और फिर भगवान झूलेलाल की मूर्ति स्थापित कर दी गई। बाद में टिन शेड बन गया और अतिक्रमण कर बावड़ी पर जालियां लगाकर टाइल्स और सीमेंटीकरण कर छत डालकर उसे बंद कर दिया गया। 



सड़ चुकी थी जालियां, भारी बोझ नहीं सह सकी



बावड़ी में लगी जालियां, गर्डर पूरी तरह सड़ चुकी थी। इस पर आए एक साथ 55-60 लोगों का वजन यह सह नहीं पाई और इसके टूटने से सभी बैठे हुए 54 लोग एक साथ बावड़ी में समा गए। हादसे के पीड़ितों ने यह भी बताया कि मंदिर में हवन तो हर नवरात्रि में होता है लेकिन पहले यह मंदिर के बाहर आंगन में होता था, लेकिन वहा अन्य निर्माण काम चलने के कारण इस बार पहली बार मंदिर के अंदर यह हवन हुआ और अधिकांश को तो पता ही नहीं था कि जहां वह बैठे हैं, उसके नीचे गहरी बावड़ी भी है। क्योंकि यह सालों पहले ही बंद हो चुकी थी। एक साथ सभी के बैठने से बावड़ी की छत टूट गई और सभी गिर गए।


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