शिवपुरी में संबल योजना में भ्रष्टाचार, एक हितग्राही के पैसे दूसरे के खाते में डाले, एक ने रिश्वत नहीं दी तो केस रिजेक्ट कर दिया

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Jitendra Shrivastava
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शिवपुरी में संबल योजना में भ्रष्टाचार, एक हितग्राही के पैसे दूसरे के खाते में डाले, एक ने रिश्वत नहीं दी तो केस रिजेक्ट कर दिया

शेखर यादव, SHIVPURI. आपने कई बार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बयानों में संबल योजना का जिक्र सुना होगा। इस योजना में शासन के अंतिम व्यक्ति मजदूर को लाभ देने के लिए संबल/मप्र भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल योजना मप्र में लागू की गई थी। लेकिन इस योजना का लाभ लेने के लिए पात्र हितग्राहियो का संबल ही टूट जाता है। पैसा उनके नाम पर आता है और खा और कोई जाता है। 



मुख्यमंत्री जी, जनता का पैसा डकार गए आपके नाकारा अफसर



ये योजना उन मजदूरों के लिए है जो किसी हादसे के चलते अपनी जान गंवा देते हैं। सरकार के मुताबिक ऐसे सभी मजदूरों को मुआवजा राशि दी जाती है, लेकिन हम जमीनी स्तर पर देखें तो हालात कुछ अलग ही नजर आते हैं। ऐसे ही दो मामले मध्यप्रदेश के शिवपुरी में देखने में आए, जिनमें पीड़ित मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से निवेदन कर रहे हैं कि मुख्यमंत्री जी, जनता का पैसा डकार गए आपके नाकारा अफसर! कम से कम मृतकों का हक तो मत खाओ साहब!



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पहला मामलाः 



खोरघार निवासी लक्ष्मी जाटव को 3 साल में भी नहीं मिला पैसा



शिवपुरी जनपद के खोरघार गांव में निवास करने वाली लक्ष्मी जाटव के पति नेनेराम की मौत 3 साल पहले हो गई थी। लक्ष्मी की 5 बेटियां हैं अब इन ​बेटियों का मात्र एक सहारा है उनकी मां लक्ष्मी। लक्ष्मी मप्र भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल योजना की पात्र हितग्राही थी। लक्ष्मी के पति नेनेराम की मृत्यु उपरांत मप्र भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल का पैसा तो मिला, लेकिन चला गया किसी दूसरे के खाते में। सीधे शब्दों में कहे तो मरे का पैसा किन्नर भी नहीं लेते, लेकिन जनपद में बैठे इन कर्ताधर्ताओं ने लक्ष्मी के मरे हुए पति का पैसा खा लिया। भाजपा सरकार का अंतिम व्यक्ति लक्ष्मी के रूप में ऑफिसों के चक्कर लगा रही है। 



दूसरा मामलाः



ख्यादाकला निवासी उत्तम की मौत के 7 माह बाद केस रिजेक्ट कर दिया



शिवपुरी की जनपद के गांव ख्यादाकला से है। गांव में रहने वाले उत्तम रावत की मौत 7 माह पूर्व हो गई थी। मप्र भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल का पात्र हितग्राही था, परिवार को सहायता राशि मिलनी थी। आवेदन दिया, फाइल चली, पैसा बैंक में ट्रासंफर होने वाला था कि इस केस को रिजेक्ट कर दिया। कारण था रिश्वत। मृतक के बेटे नरेंद्र रावत का आरोप हैं की जनपद में पदस्थ PCO मनोज शर्मा के द्वारा 25000 हजार की रिश्वत की मांग की थी और उस समय शाखा प्रभारी रहीं साधना सिंह चौहान के द्वारा 10 हजार रुपए मांगे गए थे जनपद में बैठे मरे हुए आदमी का पैसा खाने वाले एक बाबू को रिश्वत के रूप में 25 हजार रुपए नहीं दिया गया। फाइल रिजेक्ट करते समय लिखा गया हितग्राही पर जमीन अधिक है, लेकिन मप्र भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल में ऐसा केाई प्रावधान नहीं है कि मजदूर के पास जमीन है तो योजना की सहायता नहीं मिलती।


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