Indore. गरीब की रोटी पर जीएसटी लगाने के विरोध में अब आंदोलन शुरू होगा। 11 जुलाई को इस संबंध में दिल्ली में बैठक होगी। जिसमें इंदौर के व्यापारी भी शामिल होने जा रहे हैं। दरअसल, एक जुलाई 2017 को जब देश में जीएसटी लागू हुई तो केंद्र सरकार ने घोषणा की थी कि रोटी, कपड़ा और मकान जीएसटी से मुक्त रहेंगे। लेकिन सरकार धीरे-धीरे अपने वादे से पलट रही है। कपड़ा और मकान पर तो पहले ही जीएसटी लागू कर दिया गया था। लेकिन जीएसटी काउंसिल ने लेबल्ड अनाज, दाल और खाद्य सामग्री पर जीएसटी लगा दिया। जिसके बाद अब इस फैसले का विरोध हो रहा है।
फैसले का लगातार हो रहा विरोध
जून के आखिरी हफ्ते में हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में अनाज और खाद्य सामग्री पर 5 प्रतिशत जीएसटी लागू करने का फैसला लिया गया। सकल अनाज दलहन तिलहन व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष गोपालदास अग्रवाल के अनुसार महासंघ इस निर्णय का विरोध करता है। यह जनता के लिए खाना महंगा करने वाला कदम है। सरकार सिर्फ कुछ बड़े उद्योगों के इशारे पर मनमाने निर्णय ले रही है। आटा, दाल, चावल, शकर और तमाम अनाज भी इस निर्णय से महंगा हो जाएगा। सरकार हर वस्तु पर तो जीएसटी ले रही है। ऐसे में अब उसने लोगों के भोजन पर भी टैक्स वसूलने का मन बना लिया है। यह पूरी तरह गलत है। वित्तमंत्री को पत्र लिखकर महासंघ ने जीएसटी लागू करने का निर्णय वापस लेने की मांग की है। राजस्थान, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के व्यापारी संगठनों से भी बात हुई है।
महंगाई और मिलावट दोनों बढ़ेंगी
अहिल्या चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष रमेश खंडेलवाल के अनुसार खाद्य सामग्री पर जीएसटी लगाने का निर्णय न केवल आम लोगों के लिए खाना महंगा कर देगा बल्कि इस फैसले से मिलावट भी बढ़ेगी और लोगों के स्वास्थ्य का नुकसान होगा। सरकार ने लेबल्ड खाद्य सामग्री पर जीएसटी लगाने का निर्णय लिया है। इसके चलते खुली खाद्य सामग्री के विक्रय को प्रोत्साहन मिलेगा। ऐसे मौके का लाभ मिलावटखोर उठाएंगे।