INDORE. इंदौर में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 7 साल की बच्ची के हत्यारे सद्दाम को मृत्युदंड की सजा सुनाते हुए तीखी टिप्पणी की- 'जिस प्रकार बालिका की बर्बरतापूर्वक, जघन्य तरीके से हत्या की गई वह उसकी (आरोपी) क्रूर, बर्बर मानसिकता, संवेदनहीनता, पाशविक प्रकृति को दर्शित करता है। ऐसा अपराधी किसी भी प्रकार की दया, संवेदना का पात्र नहीं है।'
ये है मामला...
ये वारदात पिछले साल 23 सितंबर को इंदौर के आजाद नगर क्षेत्र में हुई थी। सुबह 11 बजे वाटर पंप के पास एक सात वर्षीय बालिका घर के बाहर खेल रही थी। आरोपी सद्दाम उसे जबरदस्ती उठाकर खुद के घर गणेश चौक ले गया। आरोपी की यह हरकत देख उसे छुड़ाने के लिए वहां रहने वाली एक महिला उसके पीछे दौड़ी, लेकिन उसके पहुंचने से पहले ही सद्दाम ने कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। इसके बाद उसने बालिका पर चाकू से वार कर उसे जान से मार डाला था।
बच्ची के विरोध करने और पकड़े जाने के डर से उसकी हत्या कर दी
आरोपी सद्दाम उर्फ वाहिद गलत नीयत से बच्ची को कमरे में ले गया था। लेकिन बच्ची के विरोध करने पर और पकड़े जाने के डर से उसने बच्ची पर चाकू से हमला कर उसकी हत्या कर दी। जान लेने से पहले आरोपी ने बालिका के हाथ की नस काट दी थी। घटना के बाद इलाके में सनसनी फैल गई थी और आक्रोशित लोगों ने जमकर पथराव व हंगामा किया था।
मानसिक रोगी बनने के दांव-पेच काम नहीं आए
कोर्ट में सुनवाई के दौरान आरोपी सद्दाम ने खुद को मानसिक रोगी बताते हुए बचने की कोशिश भी की थी। उसके वकील ने इस संबंध में आवेदन भी दिया था। जिसमें कहा गया था कि सद्दाम मानसिक चिकित्सालय में भर्ती भी रहा है, लेकिन ये दांव-पेच न्यायालय में काम नहीं आए। अभियोजन ने कोर्ट को बताया कि मानसिक चिकित्सालय ने पूरी तरह से स्वस्थ होने के बाद ही सद्दाम को डिस्चार्ज किया था। आखिरकार कोर्ट ने उसे दोषी माना।
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जिस 12 वर्षीय बच्चे ने हत्या करते हुए देखा था उसी की गवाही को माना
विशेष लोक अभियोजक सुशीला राठौर ने बताया कि विशेष न्यायाधीश सुरेखा मिश्रा की अदालत ने 7 वर्षीय मासूम के हत्याकांड के आरोपी सद्दाम को दोषी करार देते हुए धारा 302 आईपीसी में मृत्युदंड एवं धारा 364 आईपीसी में आजीवन कारावास तथा 363 आईपीसी और 9एम/10 पॉक्सो एक्ट में 7-7 वर्ष की जेल तथा 342 भादंवि में 01 वर्ष का सश्रम कारावास तथा कुल 9000/- रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है। अदालत के समक्ष अभियोजन ने 23 गवाहों को पेश किया था। इस केस में अदालत ने 12 वर्षीय बालक की गवाह को महत्वपूर्ण माना। वह बालिका की फूफी का लड़का है और तब वह उसके साथ था। उसने सद्दाम को बालिका की हत्या करते हुए देखा था।
विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) ने मौत की सजा सुनाई
अभियोजन की ओर से पैरवी करते हुए डीपीओ संजीव श्रीवास्तव और विशेष लोक अभियोजक सुशीला राठौर द्वारा सभी गवाहों के बयान तत्परता से करवाए गए और सभी अभियोजन साक्ष्यों को प्रदर्शित करवाकर 23 जनवरी 2023 तक ट्रायल को अंतिम रूप दिया गया। जिस पर न्यायालय द्वारा अंतिम बहस के बाद 31 जनवरी 2023 को आरोपी पर लगे आरोपों को सिद्ध पाया गया और 4 फरवरी 2023 को अभियोजन की ओर से आरोपी को मृत्युदंड दिए जाने का निवेदन किया गया। सोमवार को माननीय न्यायालय सुरेखा मिश्रा तेरहवीं अपर सत्र न्यायाधीश और विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) ने उसे मौत की सजा सुनाई।
कोर्ट की पूरी टिप्पणी
कोर्ट ने आगे कहा- 'उसके द्वारा भविष्य में किसी अन्य बालिका के साथ इस प्रकार के अपराध की पुनरावृत्ति किए जाने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। अभियुक्त द्वारा मृतिका मासूम बालिका के साथ बर्बरतापूर्वक इस तरह का अपराध किया जाना किसी भी सामान्य मस्तिष्क की चेतना में आक्रोश व घृणा उत्पन्न कर सकता है। अभियुक्त द्वारा जिस बर्बर तरीके से अमानवीयता की हदों को पार करके यह अपराध किया गया है, वह स्पष्ट करता है कि अभियुक्त पूरे समाज के लिए खतरनाक है, समाज के लिए नासूर है, उसका पुनर्वास होना संभव नहीं है। अत: इस मामले में अभियुक्त द्वारा किया गया अपराध विरल से विरलतम की श्रेणी में आता है।'