दमोह में 2 हजार की आबादी वाले गांव के तालाब में 4 जातियों के लिए अपना-अपना घाट, सरपंच बोलीं- ये पुरानी परंपरा, इससे दिक्कत भी नहीं

author-image
Vijay Choudhary
एडिट
New Update
दमोह में 2 हजार की आबादी वाले गांव के तालाब में 4 जातियों के लिए अपना-अपना घाट, सरपंच बोलीं- ये पुरानी परंपरा, इससे दिक्कत भी नहीं

DAMOH. दमोह से 8 किलोमीटर दूर हिनौती पिपरिया गांव है। गांव की आबादी 2 हजार से ज्यादा है। गांव में एक तालाब है। जो ढाई हेक्टेयर में फैला है। इस तालाब में पानी भरने, सूर्य की रोशनी देने और मछलियों को जीवन देने के लिए प्रकृति ने किसी के साथ भेदभाव नहीं किया, लेकिन गांव के लोग एक दूसरे से भेदभाव कर रहे हैं। गांव में चार समाजों ने एक ही तालाब के चार घाटों में आपस में बांट लिया है। कोई दूसरे समाज का व्यक्ति दूसरे घाट पर नहीं जा सकता है। इसकी वजह छुआछूत है।



इस कुप्रथा को कुछ लोग बदलना चाहते हैं



इस गांव के कुछ लोग छुआछूत की इस कुप्रथा को बदलना चाहते हैं, लेकिन छुआछूत मानने वालों की संख्या ज्यादा है। इससे गांव में इस कुप्रथा का बदलाव नहीं हो सका। सरपंच नीता अहिरवार ने बताया- पुरानी परंपरा है, पहले के लोगों ने कोई पहल नहीं की, इसलिए आज भी ऐसी स्थिति बनी हुई है। 75 साल के बुजुर्ग हरि सिंह लोधी ठाकुर ने इस परंपरा बताया और उन्होंने कहा कि इस परंपरा से किसी को आपत्ति भी नहीं है।






इन समाजों ने बांटे घाट और उनकी आबादी



ठाकुर, 1200



बंसल, 200



प्रजापति, 25



चौधरी, 450



गांव में 4 हैंडपंप, लेकिन पानी नहीं आता



गांव में पानी की टंकी बनी थी, लेकिन उसमें दरारें आ गई हैं। चार हैंडपंप लगाए गए थे, उनमें पानी नहीं निकला। ऐसे में निस्तारित तालाब और लंबरदार का कुआं पानी के लिए रह जाता है, जिसके सहारे पूरा गांव रहता है।



गांव के रूप सिंह ने बताया कि तालाब के पानी का उपयोग नहाने, धोने के लिए होता है। पीने का पानी भरने गांव से 600 मीटर दूर कुएं पर जाते हैं, वहां पर जिस समाज के लोग पहले पहुंचते हैं, वे पहले पानी भर लेते हैं, उसके बाद दूसरी समाज के लोग पानी भरते हैं।


MP News Casteism Madhya Pradesh casteism water Damoh 4 societies divided pond Damoh casteism village Damoh number water well Damoh मध्यप्रदेश में जातिवाद दमोह में पानी के लिए जातिवाद दमोह में 4 समाजों ने बांटा तालाब दमोह के इस गांव में जातिवाद कुप्रथा