दमोह में है 950 ई. का प्राचीन शिव मंदिर, कल्चुरी कालीन शासकों ने करवाया था कोड़ल मंदिर का निर्माण, लगा भक्तों का तांता

author-image
Rajeev Upadhyay
एडिट
New Update
दमोह में है 950 ई. का प्राचीन शिव मंदिर, कल्चुरी कालीन शासकों ने करवाया था कोड़ल मंदिर का निर्माण, लगा भक्तों का तांता

Damoh. दमोह जिला मुख्यालय से लगभग 59 किमी दूर तेंदूखेड़ा ब्लाक के कोड़ल गांव में भगवान शिव का अति प्राचीन मंदिर हैं जो हजारों वर्ष प्राचीन है। 950 ईसवी में कल्चुरी कालीन शासकों ने इस मंदिर का निर्माण कराया था। वर्तमान में यह मंदिर पुरातत्व विभाग सागर के अधीन है। यहां पूरे जिले के साथ प्रदेश के कई जिलों से श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शनों के लिए आते हैं। आज महाशिवरात्रि पर्व पर भी हजारों की संख्या में लोग भगवान शिव के दर्शनों के लिए पहुँच रहे हैं ।



ऐसा है मंदिर का इतिहास



तेंदूखेड़ा से तारादेही सड़क मार्ग पर ग्राम पंचायत कोड़ल है। जहां स्थित है कल्चुरी शासकों द्वारा बनवाया गया प्राचीन शिवमंदिर। यह शिव मंदिर सांस्कृतिक व पुरातत्व की धरोहर है। मंदिर के चारों ओर अद्भुत कलाकृतियों की नक्कासी पत्थरों पर की गई है। खजुराहो की तरह कलाकृतियों का यह मंदिर 950 ईसवी में कल्चुरी शासकों द्वारा बनवाया गया था, लेकिन कुछ लोग इसे चंदेलवंशी भी मानते हैं। मंदिर की कलाकृतियां अनोखी हैं जिसकी देखरेख वर्तमान में पुरातत्व विभाग सागर के जिम्मे है। शासन द्वारा मंदिर में समय-समय पर धुलाई की जाती है साथ ही मंदिर की पूर्ण सुरक्षा के लिए एक स्मारक परिचायक व दो दैनिक कर्मचारी भी नियुक्त हैं।




  • यह भी पढ़ें 


  • ग्वालियर के अचलेश्वर, गुप्तेश्वर, कोटेश्वर और गिरगांव समेत सभी महादेव मंदिरों में भक्तों की लंबी कतार, दोपहर बाद निकलेगी शिव बारात



  • यह है विशेषताएं



     मंदिर परिसर के अंदर एक बड़ा मढ़ा भी बना हुआ है। पूर्व में इस मढ़ का कुछ हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था। क्षतिग्रस्त हिस्से का शासन द्वारा जीर्णोद्धार कराया गया है। गांव के बुजुर्गों के द्वारा बताया गया कि पूर्व में उनके बुजुर्गों द्वारा बताया गया कि इस मढ़ा में ब्राह्मणों को शिक्षा दी जाती थी। मंदिर के आसपास काफी पुरात्विक धरोहरें हैं। महाशिवरात्रि के दिन भगवान के दर्शनों के लिए अपार जनसमूह एकत्रित होता है।



    आसपास के गांव से लेकर सागर, देवरी, जबलपुर, पाटन, महाराजपुर, दमोह के भक्त भगवान की आराधना करने के लिए कोड़ल पहुंचते हैं। स्मारक परिचायक मुन्नाालाल अग्रवाल द्वारा बताया गया कि मंदिर की सफाई शासन द्वारा कराई जाती है। मंदिर की पूर्ण सुरक्षा के लिए वे यहां पदस्थ है। मंदिर में गजबियार जानवर के निशान भी हैं। जिसके कारण यह मंदिर चंदेल राजाओं द्वारा निर्मित प्रतीत होता है। यह शिव मंदिर 950 ईसवी में लगभग बनाया गया था जिसकी देखरेख पुरातत्व विभाग सागर के अधीनस्थ है।




    Damoh News दमोह न्यूज़ Kalchuri period Shiva temple in Damoh devotees throng on Shivratri was built in 950 AD दमोह में कल्चुरीकालीन शिव मंदिर शिवरात्रि पर लगा भक्तों का तांता 950 ई में हुआ था निर्माण