कूनो में नहीं थम रही चीतों की मौत; दो और शावकों की जान गई, अब तक तीन ने तोड़ा दम, एक गंभीर 

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Jitendra Shrivastava
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कूनो में नहीं थम रही चीतों की मौत; दो और शावकों की जान गई, अब तक तीन ने तोड़ा दम, एक गंभीर 

SHEOPUR. मध्य प्रदेश के पालपुर कूनो नेशनल पार्क में चीतों की मौत थम नहीं रही। 25 मई को दो शावकों की मौत हो गई। ये शावक ज्वाला मादा चीता के थे। एक अन्य शावक की हालत गंभीर है। इससे पहले 23 मई को एक शावक की मौत हुई थी। ज्वाला ने कूनो में ही 4 मार्च को 4 शावकों को जन्म दिया था। इसमें से 3 शावकों की मौत हो चुकी है और एक ही जिंदा है, जिसका इलाज चल रहा है।



चिकित्सकों की टीम ने दिनभर लगातार निगरानी की



23 मई मंगलवार को मादा चीता “ज्वाला के एक शावक की मौत के बाद प्रेसनोट जारी किया था। एक शावक की मौत के बाद शेष 3 शावक और मादा चीता ज्वाला की पालपुर में तैनात वन्यप्राणी चिकित्सकों की टीम और मानिटरिंग टीम ने दिनभर लगातार निगरानी की। दिन के समय चीता ज्वाला को सप्लीमैंट दिया गया। दोपहर बाद निगरानी के दौरान शेष 3 शावक की स्थिति सामान्य नहीं लगी। यहां यह भी ध्यान देने वाली दिनभर गर्म हवा और लू चलती रही। तीनों शावकों की असामान्य स्थिति और गर्मी को देखते हुए प्रबंधन और वन्यप्राणी चिकित्सकों की टीम ने तत्काल तीनों शावकों का आवश्यक इलाज करने का निर्णय लिया। 



2 शावकों को नहीं बचाया जा सका



2 शावकों की स्थिति ज्यादा खराब होने से इलाज के सभी प्रयासों के बावजूद भी उनको बचाया नहीं जा सका। एक शावक गंभीर हालत में गहन उपचार और निगरानी में पालपुर स्थित चिकित्सालय में रखा गया है। जहां उसका लगातार इलाज किया जा रहा है। इलाज के लिए नामीबिया और साउथ अफ्रीका के चीता विशेषज्ञों और चिकित्सकों से लगातार सलाह ली जा रही है। उक्त शावक वर्तमान में गहन उपचार में है और उसका स्वास्थ्य स्थिर है। मादा चीता ज्वाला वर्तमान में स्वस्थ है, जिसकी सतत निगरानी की जा रही है।



अफ्रीका में भी चीता शावकों का जीवित रहने का प्रतिशत बहुत कम



सामान्य से कम वजन और ज्यादा डिहाइडेटेड पाए गए। मादा चीता ज्वाला हैण्ड रियर्ड चीता है जो पहली बार मां बनी है। चीता शावकों की उम्र लगभग 6 हफ्ते है। इरा अवस्था में चीता शावक सामान्यतः जिज्ञासु होते हैं और मां के साथ लगातार चलते हैं। चीता शावकों ने अभी लगभग 8-10 दिन पूर्व ही मां के साथ घूमना शुरू किया था। चीता विशेषज्ञों के अनुसार सामान्यतः अफ्रीका में चीता शावकों का जीवित रहने का प्रतिशत बहुत कम होता है। स्टेंडर्ड पोटोकाल अनुसार पोस्टमार्टम की कार्यवाही की जा रही हैं।


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