भोपाल. मध्यप्रदेश सरकार ने मेडिकल की पढ़ाई कर रहे अनुसूचित जाति (Scheduled Caste) के स्टूडेंट्स की स्कॉलरशिप में कटौती की है। यह कटौती करीब 15 फीसदी है। पहले निजी कॉलेज में पढ़ाई कर रहे MBBS प्रथम वर्ष के SC के छात्रों को 12 लाख 15 हजार रुपए की स्कॉलरशिप (Scholarship) मिलती थी, लेकिन कोरोना (Corona) महामारी के कारण की गई कटौती के बाद छात्रों को अब 10 लाख 32 हजार 750 रुपए ही दिए हैं। जबकि अन्य छात्रों को 12 लाख 15 हजार रुपए ही दिए जा रहे हैं। इससे छात्रों पर 1 से 2 रुपए तक की फीस का अतिरिक्त बोझ आ गया है। जिसके विरोध में छात्रों ने 27 सितंबर को प्रदर्शन (Medical Student Protest) करके स्कॉलरशिप में कटौती के फैसले को वापस लेने की मांग की।
कॉलेज वाले नियम मानने को तैयार नहीं
मध्यप्रदेश शासन का नियम है कि विनियामक आयोग भोपाल द्वारा जो फीस निर्धारित की जाएगी, उसका पूरा वहन मध्यप्रदेश शासन द्वारा किया जाएगा। कोरोना के कारण कॉलेज नहीं लगे, इसलिए सरकार ने 15 फीसदी की कटौती की है। वहीं, कॉलेज वालों का कहना है कि उन्हें इससे कोई लेना देना है। वह पूरी फीस लेंगे। सरकार ने जो कटौती की है, वह छात्रों को देना होगी। इस कारण छात्रों पर फीस की बोझ बढ़ा है।
छात्रों ने भेदभाव बताया
छात्रों ने बताया कि हमारी आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं है कि हम घर से फीस दे सकें। दूसरे छात्रों की छात्रवृत्ति में कोई कटौती नहीं की गई है। यह अनुसूचित जाति के छात्रों के साथ पूरी तरह से भेदभाव है। इस प्रकार फीस नहीं मिलने के कारण कितने छात्रों की पढ़ाई पूरी नहीं होगी या कॉलेज छोड़ देंगे।
इसके विरोध में इंदौर समेत प्रदेश भर के छात्र राजधानी भोपाल में इकठ्ठा हुए। पहले उन्होंने सतपुड़ा भवन में उच्च शिक्षा अधिकारियों और फिर CM हाउस में एक आवेदन दिया। छात्रों की शिकायत पर अधिकारियों ने विश्वास दिलाया कि मामले की जांच की जाएगी।