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अंकुश मौर्य, BHOPAL. सेना में अहीर रेजिमेंट गठन की मांग को लेकर मध्य प्रदेश में जनजागृति यात्रा निकाली जा रही है। यात्रा की शुरुआत ग्वालियर से हुई है। 19 फरवरी से शुरु हुई यात्रा 26 फरवरी को भोपाल पहुंचेगी। अहीर रेजिमेंट के गठन की मांग कर रहे संगठनों का कहना हैं कि ये मांग 100 साल पुरानी है। 23 फरवरी को मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा था कि अहीर रेजिमेंट का गठन अनुकरणीय और प्रेरणादायी कदम होगा, उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है।
कई युद्धों में यादव सैनिक शहीद हुए, सरकार को रेजिमेंट बनाना चाहिए
24 फरवरी को यादव समाज के नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए यात्रा की जानकारी दी। युवा कांग्रेस के भोपाल जिलाध्यक्ष नरेंद्र यादव, समाजवादी पार्टी के नेता यश भारतीय ने बताया कि 1911 से सेना में अहीर रेजिमेंट के गठन की मांग हो रही है। इसके लिए 19 फरवरी से ग्वालियर से भोपाल के लिए जन जागृति यात्रा शुरू की गई थी। यह यात्रा 25 फरवरी को गुफा मंदिर लालघाटी पहुंचेगी। सुबह 10 बजे गुफा मंदिर से यात्रा प्रारंभ होकर पुरानी विधानसभा के पास मोतीलाल विज्ञान महाविद्यालय मैदान पर आकर संपन्न होगी। सेना में अहीर रेजिमेंट के गठन को लेकर राष्ट्रपति के नाम राज्यपाल मंगूभाई पटेल को ज्ञापन दिया जाएगा।
यादव समाज के नेताओं का कहना हैं कि देश की सुरक्षा को लेकर फर्स्ट और सेकंड वर्ल्ड वॉर समेत सभी युद्धों में यादव सैनिकों का गौरवशाली योगदान रहा है। द्वितीय विश्व युद्ध में हरियाणा के कोसली गांव के 243 यादव सैनिक शहीद हुए। 1962 में चीन के विरुद्ध रेजांगला, कारगिल युद्ध में भी यादव सैनिकों ने शहादत दी। जब जातिगत आधार पर जाट, सिख, राजपूत, डोगरा, मराठा रेजिमेंट बनी हुई है। ऐसे में सरकार को अहीर रेजिमेंट बनाने का निर्णय लेना चाहिए। अहीर रेजिमेंट बनाने की मांग लंबे समय से लंबित है। जिससे समाज स्वयं को उपेक्षित महसूस कर रहा है।
भारतीय सेना में रेजिमेंट का इतिहास
भारतीय सेना में 27 इन्फैंट्री रेजिमेंट हैं। इन रेजिमेंटों में कई ऐसी भी हैं जो किसी जाति के नाम पर बनाई गईं तो कुछ क्षेत्र के नाम पर बनीं। सेना की सबसे पुरानी रेजिमेंट पंजाब रेजिमेंट है, जिसका गठन 1705 में हुआ था। पंजाब रेजिमेंट उपमहाद्वीप की सबसे पुरानी इन्फैंट्री रेजिमेंटों में से भी एक है। 18वीं शताब्दी की शुरुआत में कर्नाटक में ईस्ट इंडिया कंपनी के पास अपने व्यापार की सुरक्षा के लिए भारतीय अधिकारियों द्वारा स्थापित सिपाहियों की स्वतंत्र कंपनियां थीं। 1757 में, इन स्वतंत्र कंपनियों को रॉबर्ट क्लाइव द्वारा तट बटालियनों में मिला दिया गया और इस प्रकार भारतीय सेना और इसकी इन्फैंट्री के इतिहास की शुरुआत हुई।
1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद ब्रिटिश हुकूमत ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी से ब्रिटिश भारत और इसकी रियासतों पर सीधा नियंत्रण स्थापित कर लिया था। यहीं से ब्रिटिश शासन और ब्रिटिश भारतीय सेना की शुरुआत हुई थी। इसी समय इन्फैंट्री सेना रेजिमेंटों को जाति, समुदाय या क्षेत्र के नाम से बुलाया जाने लगा था। इसी दौरान राजपूताना राइफल्स, जाट रेजिमेंट, एक गोरखा राइफल्स, सिख रेजिमेंट, गढ़वाल राइफल्स और महार रेजिमेंट जैसी रेजिमेंट का गठन हुआ।
मराठा लाइट इन्फेंट्री पहली थी जो एक वर्ग के नाम पर बनाई गई थी। इसका गठन 1768 में हुआ था। इसके बाद राजपूत रेजिमेंट 1798 में, राजपूताना राइफल्स और जाट रेजिमेंट 1817 में, डोगरा रेजिमेंट 1858 में और महार रेजिमेंट 1941 में गठित की गई।
वीडियो देखें-
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