इंदौर कलेक्ट्रेट में कमरे ढूंढ रहे डिप्टी कलेक्टर, 50 करोड़ की बिल्डिंग में अधिकारी ज्यादा और दफ्तर कम

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Neha Thakur
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इंदौर कलेक्ट्रेट में कमरे ढूंढ रहे डिप्टी कलेक्टर, 50 करोड़ की बिल्डिंग में अधिकारी ज्यादा और दफ्तर कम

संजय गुप्ता, INDORE. मप्र के सबसे बड़े प्रशासनिक संकुल यानि कलेक्ट्रेट बिल्डिंग इंदौर की है, लेकिन इसकी हालत यह है कि अब यहां नए पदस्थ हुए अधिकारी कमरे ढूंढ रहे हैं। डिप्टी कलेक्टर यहां-वहां टेबल-कुर्सी डालकर या फिर किसी के कमरे में ही बैठकर काम निपटा रहे हैं। हालत यह है कि एक हॉल में फर्नीचर लगाकर तीन डिप्टी कलेक्टरों के बैठने की व्यवस्था करना पड़ रही है। अभी तो तहसीलदारों की पदस्थापना होना बाकी है, इनके आने के बाद तो और भी हालत खराब होना है।





इस तरह हो रही है हालत खस्ता





इंदौर में वर्तमान में 17 डिप्टी कलेक्टर पदस्थ हैं, महू, देपालपुर, सांवेर और हातोद के डिप्टी कलेक्टर तो वहीं बने दफ्तर में बैठते हैं, लेकिन इंदौर शहर में बनी तहसीलों जूनी इंदौर, कनाडिया, खुडैल-कंपैल, बिचौली हप्सी, कनाडिया, मल्हारगंज के एसडीएम इंदौर कलेक्ट्रेट में ही बैठते हैं। तीन साल से ज्यादा समय हो जाने वाले एसडीएम के ट्रांसफर सूची नहीं आई है, लेकिन नए छह डिप्टी कलेक्टर पदस्थ हो गए हैं। यह सभी जगह के लिए भटक रहे हैं, फिलहाल दो-तीन अधिकारियों की व्यवस्था कक्ष 108 के हॉल में विभाजन कर व्यवस्था की गई है, जो पहले अपर कलेक्टर के पास था।





तहसीलदारों के आने के बाद वह भी तरस जाएंगे





इंदौर जिले में 21 तहसीलदारों के पद है, लेकिन अभी यहां पर केवल पांच तहसीलदार है नए आना बाकी है। उधर नायब तहसीलदार भी है। ऐसे में इनकी भी लंबी संख्या आने वाले समय में होगी और उनके भी बैठने की स्थिति खराब होगी।





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इसलिए हो रही खराब हालत





दरअसल आईडीए ने पुराने राजस्व बकाया को चुकाने के लिए इंदौर कलेक्ट्रेट की नई बिल्डिंग बनाने का प्रस्ताव पास किया है। तत्कालीन कलेक्टर राकेश श्रीवास्तव के समय इसका काम शुरू हुआ और करीब 50 करोड़ की लागत से यह भवन बनकर तैयार हुआ। उस समय इसमें डिप्टी कलेक्टर के पद 10 ही थे, लेकिन आज तहसील बढ़ने के बाद यहां 19 डिप्टी कलेक्टर के पद है, इसी तरह तहसीलदारों के 21 पद है, बाकी नायब तहसीदार भी है। लेकिन दो मंजिला इस भवन में इतने कमरे ही नहीं है। इसके अलावा, यहां महिला व बाल विकास विभाग, खाद्य विभाग, सामाजिक सुरक्षा, कोषालय, आबकारी जैसे विभागों को भी कक्ष अलॉट है। इसके चलते दफ्तर पूरे ही नहीं पड़ रहे हैं।





अपर कलेक्टर के दो पद थे, अब चार हो गए-





इंदौर में पहले एक ही एडीएम या अपर कलेक्टर स्तर के अधिकारी होते थे, फिर समय के साथ दो हो गए और अब यहां पर 4 अपर कलेक्टर स्तर के अधिकारी हैं, एक अन्य पांचवे अधिकारी भू अभिलेख के अपर कलेक्टर स्तर के हैं। इन सभी को पांच कमरे अलग चाहिए। इसमें पहले एसडीएम के पास तीन कमरे थे जो अब अपर कलेक्टर के पास चले गए।





महिला अधिकारी भी परेशान





संकुल में तहसीलदारों के लिए केवल गिने-चुने कक्ष ही हैं, जो बाथरूम के साथ अटैच है। ऐसे में खासकर महिला तहसीलदारों, नायब तहसीलदारों के लिए बहुत मुश्किल होती है। यह सुविधा अपर कलेक्टर और मुख्य तहसीलों के एसडीएम के कक्ष में ही है।



 



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