Jabalpur. मध्यप्रदेश में पैरामेडिकल कॉलेजों द्वारा किए गए छात्रवृत्ति घोटाले के मामले में सरकार बेबस नजर आ रही है, हाईकोर्ट की इतनी सख्ती के बावजूद सरकार ने 24 करोड़ की घोटाले की राशि में से महज 7.87 करोड़ रुपए ही कॉलेजों से वसूले। जबकि अदालत ने स्पष्ट आदेश दिए थे कि सरकार हर हाल में पाई-पाई उन कॉलेजों से वसूले जिन्होंने छात्रों का फर्जी प्रवेश दिखाकर छात्रवृत्ति हड़पी थी। इस मामले में चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की डबल बेंच के सम्मुख सरकार ने अपनी एक्शन टेकन रिपोर्ट प्रस्तुत की। रिपोर्ट में बताया गया कि अभी तक 7 करोड़ 87 लाख रुपए की वसूली ही हो पाई है। सरकार ने आश्वासन दिया कि जल्द ही बाकी की राशि वसूल ली जाएगी। बता दें कि इंदौर खंडपीठ ने इस राशि में से 10 करोड़ की राशि की वसूली पर स्टे दे रखा है। फिर भी बाकी की राशि में से सरकार करीब-करीब आधा हिस्सा ही वसूल पाई है। जबकि अदालत को आदेश दिए 8 साल का वक्त बीत चुका है।
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कुर्की की कार्रवाई की दी जानकारी
राज्य सरकार ने अपनी एक्शन टेकन रिपोर्ट में यह बताया है कि मामले से संबंधित 8 पैरामेडिकल कॉलेजों पर कुर्की की कार्रवाई की गई है, जबकि 37 अन्य कॉलेजों को अंतिम अवसर प्रदान किया गया है। वहीं इंदौर खंडपीठ से स्थानांतरित होकर आए वसूली के मामलों पर भी अदालत में सुनवाई हुई। जिस पर अदालत ने कुल वसूली योग्य राशि में से 50 फीसदी राशि जमा करने की शर्त पर उक्त स्थगन को जारी रख दिया है। जमा कराई जाने वाली राशि इंदौर कलेक्टर को जमा करने कहा गया है जो कि कॉलेजों की याचिकाओं के अंतिम निर्णय के अधीन रहेगी।
ग्वालियर के प्रकरणों पर लगाई आपत्ति
इधर मामले के याचिकाकर्ता मध्यप्रदेश लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट विशाल बघेल के अधिवक्ता आलोक वागरेचा ने आपत्ति उठाई कि ग्वालियर संभाग से संबंधित वसूली के प्रकरणों और रिकवरी का स्टेटस सरकार की एक्शन टेकन रिपोर्ट में नहीं है। इस पर अदालत ने संबंधित कॉलेजों की स्थिति से अवगत कराने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं।