CHHINDWARA. छिंदवाड़ा में कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने मौलाना अरशद मदनी के बयान पर कहा- मनु ने अल्लाह की नहीं, ॐ यानी ब्रह्मा, विष्णु, महेश की पूजा की थी। 1200-1400 साल पहले तक अल्लाह को कोई नहीं जानता था। माई डियर, राम कब नहीं थे। अगर ॐ की पूजा करते हो, तो तुम सनातनी हो। इसे सीधे तौर पर स्वीकार कर लो, विवाद ही खत्म हो जाएगा। देवकीनंदन ठाकुर छिंदवाड़ा में शिवमहापुराण कथा के लिए पहुंचे हैं।
ॐ कार से अल्लाह की तुलना गलत हैः देवकीनंदन
कथा के दौरान कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने दिल्ली में हुए जमीयत उलेमा हिंद के सद्भावना सम्मेलन को लेकर कहा कि इसके आयोजक ने खुद ही पलीता लगवा लिया। ॐ कार से अल्लाह की तुलना गलत है। यह सीधे-सीधे हमारे धर्म पर हमला है। आप हमारे धर्म को लेकर इस तरह से नहीं बोल सकते, क्योंकि हम आपके धर्म पर नहीं बोलते। यदि आपने हमारे धर्म पर बोला, तो हम यह बर्दाश्त नहीं करेंगे।
ठाकुर बोले- ॐ ही ब्रह्मा-विष्णु-महेश का स्वरूप
मौलाना अरशद मदनी के बयान पर देवकीनंदन ठाकुर ने कहा- माई डियर, पहले ये बताओ कि राम कब नहीं थे, शिव कब नहीं थे। 1200-1400 साल पहले तो राम थे ही, लेकिन तब तक कोई अल्लाह को नहीं जानता था। यह कन्फर्म है। महाराज मनु ने अल्लाह की पूजा नहीं की, महाराज मनु ने ॐ कार की पूजा की। ॐ कार ही ब्रह्मा, विष्णु, महेश का स्वरूप है। यह तीन अक्षर से बना हुआ अ, ऊ और म, जो ब्रह्मा, विष्णु, महेश का स्वरूप हैं।
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ब्रह्मा जी के द्वारा ही सृष्टि रची गई
जिस समय महाराज मनु ने तपस्या की, उस समय शिव थे, हरि यानी राम थे, यानी कृष्ण थे, ब्रह्मा जी थे। रामायण पढ़ लेते। महाराज मनु तो ब्रह्माजी के बाद आए हैं। ब्रह्म की नाभि से कमल, कमल में से ब्रह्मा और ब्रह्मा जी के द्वारा ही सृष्टि रची गई। ब्रह्मा जी ने ही मानस पुत्र महाराज मनु को उत्पन्न किया। महाराज मनु ही पृथ्वी के पहले मानव हुए। मनु की औलाद होने के नाते ही हम मनुष्य हो गए।
आकाश मंडल में सिर्फ ॐ सुनाई देता है
अगर मैं आपकी बात मान भी लूं तो अल्लाह एक नाम हो सकता है, ब्रह्म नहीं। ॐ त्रिदेवों का प्रतीक है। ओम निर्गुण और निराकार है। ॐ उस ब्रह्म की उपासना है। जिस समय नारायण की नाभि से कमल उत्पन्न हुआ, कमल से ब्रह्मा जी हुए, ब्रह्मा जी के मुंह से पहले दो शब्द निकले- एक तो ॐ, इसे अंग्रेजी पढ़ने वाले बिग बैंग कहते हैं। आकाश मंडल में ॐ शब्द सुनाई पड़ता है। दूसरा शब्द है- अत:। इसका अर्थ है मंगल।
जैन संत लोकेश मुनि के लिए कहा- जो किया, सही किया
देवकीनंदन ठाकुर ने कहा- सद्भावना सम्मेलन में संत जमीन पर बैठे हुए थे। बाकी आयोजक कुर्सी पर बैठे हुए थे। इसी से सद्भावना सम्मेलन पर प्रश्नचिन्ह लग जाता है कि यह कैसा सद्भावना सम्मेलन है। ठाकुर ने कार्यक्रम का बहिष्कार करने वाले जैन संत लोकेश मुनि का भी समर्थन करते हुए कहा कि उन्होंने जो भी किया, सही किया। हम उनका सम्मान करते हैं। मैं जब भी उनसे मिलूंगा, उनका अभार प्रकट करूंगा। उन्होंने वहां पर सनातन की रक्षा की।
छिंदवाड़ा में आज कथा का छठवां दिन
छिंदवाड़ा में महाशिवरात्रि के उपलक्ष्य में शिवमहापुराण का आयोजन हो रहा है। महाशिवरात्रि 18 फरवरी को है और देवकीनंदन ठाकुर की कथा का मंगलवार को 6वां दिन है। इससे पहले भी वे कथा करने के लिए छिंदवाड़ा आ चुके हैं।
मदनी ने कहा था- मनु ॐ को पूजते थे, यानी अल्लाह
दिल्ली के रामलीला मैदान में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के 34वें अधिवेशन के आखिरी दिन मौलाना अरशद मदनी ने कहा था, तुम्हारे पूर्वज हिंदू नहीं, मनु थे यानी आदम। मैंने पूछा कि जब कोई नहीं था। न श्रीराम थे, न ब्रह्मा थे और न शिव थे; जब कोई नहीं था तो मनु पूजते किसको थे। कोई कहता है कि शिव को पूजते थे। बहुत कम लोग ये बताते हैं कि मनु ॐ को पूजते थे। ॐ कौन है? बहुत से लोगों ने कहा कि उसका कोई रूप-रंग नहीं है। वो दुनिया में हर जगह हैं। अरे बाबा इन्हीं को तो हम अल्लाह कहते हैं। इन्हें आप ईश्वर कहते हैं।