अक्षय बारिया, DHAR. धार की ऐतिहासिक भोजशाला में 26 जनवरी को सूर्योदय के साथ ही तीन दिवसीय वसंत पंचमी पर मां वाग्देवी सरस्वती की पूजा आराधना का दौर शुरू हो गया है। ये आयोजन 3 दिनों तक चलेगा। हर साल की तरह इस साल भी भोज उत्सव समिति ने भोजशाला परिसर को आकर्षक रूप से सजाया संवारा है। उसके साथ ही प्रशासन ने भी एहतियातन पुख्ता सुरक्षा इंतजाम किए हैं।
पूरे शहर में निकाली गई शोभायात्रा
इस साल बसंत पंचमी महोत्सव 26 जनवरी के दिन होने से लोगों में खासा उत्साह है। नगर में तिरंगे ध्वजों के साथ ही केसरिया पताका लगाकर नगर को सजाया गया है। हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु भोजशाला में बसंत पंचमी पर पहुंचते हैं और मां वाग्देवी के दर्शन-पूजन कर अपने आप को धन्य महसूस करते हैं। इस साल भी भारी ठंड और कोहरे के बीच भोजशाला में श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया है। धार के लालबाग से शोभायात्रा निकाली गई। जिसमें मां वाग्देवी सरस्वती के प्रतीक तेल चित्र को विराजित कर नगर के प्रमुख मार्गो से होते हुए भोजशाला तक लाया गया। इसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु हर साल शामिल होते हैं।
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महाआरती के बाद आज का कार्यक्रम खत्म
वहीं भोजशाला के गर्भगृह में उक्त तेल चित्र को विराजित कर पहले धर्म सभा होगी, इसके बाद महाआरती कर आज का कार्यक्रम खत्म होगा। आयोजन में मुख्य अतिथि के रुप में वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार और राज्यसभा सांसद सुमेर सिंह सोलंकी रहेंगे। वहीं 3 दिनों तक भोजशाला में बसंत पंचमी महोत्सव मनाया जाएगा। इसको लेकर प्रशासन ने पुख्ता सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं। शहर समेत भोजशाला परिसर क्षेत्र में चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात है साथ ही सीसीटीवी कैमरा और ड्रोन की मदद से भी निगरानी की जा रही है।
राज भोज ने कराया था भोजशाला का निर्माण
भोजशाला का निर्माण राजा भोज ने 10वीं 11वीं सदी में कराया था जिसमें संस्कृत महाविद्यालय चलता था। यहां देश-विदेश से छात्र शिक्षा ग्रहण करने आते थे। कॉलेज को मुस्लिम शासन काल में तोड़ दिया गया था और बदलाव कर दिए थे जिसके बाद से यहां मुस्लिम पक्ष भी दावा करता है और हर शुक्रवार को नमाज भी अदा करता है। वहीं हर मंगलवार हिन्दू पक्ष यहां दर्शन-पूजन करते है। अंग्रेज काल में यहां विराजित मां वाग्देवी की प्रतिमा को अंग्रेज इंग्लैंड ले गए जिसको लेकर भी सरकार वापसी लाने के दावे करती रही है।
राजनीति में भी भोजशाला का खास प्रभाव
क्षेत्र की राजनीति में भी भोजशाला का खासा प्रभाव है। कोर्ट में भोजशाला को लेकर हिंदू और मुस्लिम पक्ष के बीच लड़ाई चल रही है, कई बार बसंत पंचमी शुक्रवार को होने से क्षेत्र और जिले में विवाद की हालात भी बन जाते हैं। इसके चलते प्रशासन को खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।