Jabalpur. बुंदेलखंड- पुराना नाम जेजाकभुक्ति, कभी यहां चंदेलों ने अपनी राजधानी बनाई और खजुराहो की विश्वप्रसिद्ध कलाकृतियां और मंदिर बनवाए। फिर ओरछा के वीर सिंह बुंदेला ने जहांगीर के साथ यारी निभाई और उनके तख्त के रास्ते में आने वाले अबुल-फजल और सिख गुरू अंगददेव को रास्ते से हटाया। फिर कभी औरंगजेब के सिपाही रहे महाराजा छत्रसाल ने बगावत की और बुंदेलखंड राज्य की स्थापना की। इस बुंदेलखंड की जमीन और बोली दोनों पथरीली हैं। लेकिन कुछ भी हो सूबे की सियासत में इस पथरीले अंचल का भी विशेष योगदान रहता है। यही कारण है कि अब कांग्रेस यहां नजरें जमाए हुए हैं। पीसीसी चीफ कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह बुंदेलखंड में सत्ता की चाबी खोजने खाक छानने निकल रहे हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह मंगलवार यानी कल से बुंदेलखंड के दौरे पर निकलेंगे। उनकी यात्रा का मकसद कांग्रेस नेताओं के मनमुटाव को खत्म कर उन्हें एकजुट करते हुए एमपी की सत्ता में कांग्रेस की वापसी कराना है। उधर कमलनाथ सागर में एक बड़ी जनसभा करने जा रहे हैं। बुंदेलखंड में कांग्रेस को बीजेपी के अलावा समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की दखल से भी निपटना बड़ी चुनौती है।
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विजयवर्गीय ने ली चुटकी
जबलपुर पहुंचे बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय से जब दिग्विजय सिंह की इस यात्रा के बारे में सवाल पूछा गया तो वे चुटकी लेने से खुदको रोक नहीं पाए। कैलाश बोले कि यह यात्रा बीजेपी के लिए शुभ होगी। उन्होंने कहा कि अच्छी बात है कि इस उम्र में भी दिग्विजय सिंह का जज्बा कायम है, लेकिन यात्रा का परिणाम क्या होगा सबको पता है। 15 माह के शासनकाल में जनता ने कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को देख लिया। अब कांग्रेस पर लोगों का भरोसा नहीं रहा।
सपा-बसपा का भी बुंदेलखंड में प्रभाव
बुंदेलखंड का इलाका उत्तरप्रदेश में भी है। यह यूपी की सीमा से भी सटा हुआ है। लिहाजा यहां सपा और बसपा का प्रभाव होना भी लाजमी है। बीते चुनाव में दमोह की पथरिया से बसपा और छतरपुर के बिजावर की सीट से सपा के प्रत्याशी जीत चुके हैं। ऐसे में बुंदेलखंड की 26 सीटें जीतने कांग्रेस को काफी कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। जिसमें कांग्रेसी हमेशा फिसड्डी साबित होते हैं।
सागर में जनसभा लेंगे कमल नाथ
दिग्विजय सिंह का दौरा होने के बाद 20 अप्रैल को कमलनाथ सागर जिले के दौरे पर जाएंगे। सागर जिले की खुरई, रहली, सुरखी, बीना और सागर विधानसभा को जीतने के लिए कांग्रेस खास रणनीति बना रही है। खुरई और सुरखी विधानसभा में कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर दर्ज हो रहे मुकदमों को लेकर भी कांग्रेस बड़ा मुद्दा बना रही है। उधर दमोह में बागेश्वर धाम की रामकथा करवाने के बाद अजय टंडन सात घोड़ों के रथ पर सवार हैं। लेकिन दमोह के इतर बाकी सीटों में कांग्रेस का पंजा काफी कमजोर है।