संजय गुप्ता, INDORE. पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने इंदौर दौरे में मंत्री तुलसी सिलावट को घेरते हुए सवाल किया था कि वह क्या थे वो, अब क्या है? कौन सा धंधा चलता है सिलवावट जी का, आपका धंधा इतन बड़ा हो कैसे गया, कहां से पैसा आया? इस सवाल का औपचारिक जवाब तो उनके द्वारा साल 2020 के उपचुनाव के दौरान भरे गए शपथ पत्र में ही लिखा गया है- इसमें उनकी आजीविका के तौर पर कैबिनेट मंत्री के तौर पर मिलने वाला वेतन और कृषक के तौर पर होने वाली कमाई को बताया। उनके यहां तक पहुंचने से पहले देखते हैं कि शपथपत्र के हिसाब से वह कितने करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं।
परिवार में कौन है
सिलावट के परिवार में पत्नी है जो शिक्षा विभाग में सरकारी नौकरी में है। उनकी सालाना आय 10.96 लाख रुपए है। बड़ा बेटा चिंटू उर्फ नीतीश है जो पहले नमकीन का कारोबार करते थे लेकिन अब पिता की विधानसभा सांवेर के पूरे कामकाज संभालते हैं। दूसरा बेटा बंकिम खिलाड़ी है और बैडमिंटन, टेबल टेनिस खेलते हैं। चिंटू का एक बेटा भी है।
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शपथपत्र के हिसाब से संपत्ति
सालाना आय- उनकी सालाना आय 2020-21 में 11.17 लाख रुपए है, पत्नी की सालाना आय 10.96 लाख रुपए है।
- चल संपत्ति में सिलावट के पास करीब 51 लाख की संपत्ति है पत्नी के पास 40 लाख की संपत्ति है। इसमें उनके पास एक कार है, दंपत्ती के पास 18 लाख की ज्वेलरी है।
सब्जी बेचते थे माता-पिता, खुद भी बेचते थे, फिर पहलवान बने और राजनीति में आए
सिलावट के माता-पिता छावनी में जगन्नाथ धर्मशाला के पास रोड पर कपड़ा बिछाकर सब्जियां बेचते थे। सिलावट भी स्कूल की किताब लेकर वहां पहुंच जाते थे और सब्जियां बेचने में मदद करते थे। उनका पुराना घर चितावद पालदा में था। फिर पिता ठाकुरदीन सिलावट ने बगान लेना शुरू किया और इससे उनकी कमाई बढ़ती गई और आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ। तुलसी पहलवान बन गए और 30-40 कुश्तियां भी जीती। फिर वह आर्ट एंड कॉमर्स कॉलेज में गए वहां छात्र राजनीति में आ गए और चुनाव भी जीते। साल 1983 में पार्षद चुने गए और तब जगमोहन वर्मा को हराया था। साल 1985 में काग्रेस के टिकट से सांवेर से चुनाव में उतरे, तभी से राजनीति में सक्रिय है। साल 2020 में बीजेपी में आ गए और कैबिनेट मंत्री बने। इसके पहले कांग्रेस की कमलनाथ सरकार में स्वास्थ्य मंत्री थे।