BHOPAL. मध्यप्रदेश में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा आई और गुजर भी गई। इस दौरान तकरीबन दो दर्जन विधायकों के दलबदल की अटकलें लगती रहीं। लेकिन राहुल की यात्रा को कमजोर करने के लिए बीजेपी कुछ खास कमाल नहीं दिखा सकी। क्या ये मध्यप्रदेश के 75 साल के कांग्रेसी नेता की कोई रणनीति थी जिसने सबकी प्लानिंग फेल कर दी और यात्रा में भी ऐसे छाए रहे कि 75 साल के बूढ़े नहीं बल्कि जवान हों।
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह
मध्यप्रदेश में राहुल गांधी की यात्रा जिसने करीब से देखी हो वो ये समझ गया होगा कि हम किस नेता की बात कर रहे हैं। हम बात कर रहे हैं कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह की। जिन पर खासतौर से एमपी में मिस्टर बंटाधार का टैग लगा है। 2003 के चुनाव से ये पहचान दिग्गी राजा के साथ बुरी तरह चिपकी हुई है। अब लगता है खुद दिग्विजय सिंह इस पहचान से उबरने की कोशिश नहीं कर रहे। क्योंकि उन्हें अब ये छवि उन्हें पार्टी में ज्यादा ताकतवर बना रही है और विरोधी दलों से कई मुद्दे छीन भी रही है।
दिग्विजय सिंह डांस करते हुए
ये वक्त है मध्यप्रदेश में बुरहानपुर के रास्ते राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के प्रवेश करने का। कांग्रेस कार्यकर्ताओं का उत्साह किसी से छिप नहीं पा रहा। कार्यकर्ताओं के इस हुजूम में 70 पार के दिग्विजय सिंह भी हैं। जिनकी एनर्जी किसी युवा कार्यकर्ता से कम नजर नहीं आती। इसके बाद उनकी फिटनेस को लेकर चर्चे भी हुए। आमतौर पर कैमरे की नजरों से दूर रहने वाली उनकी पत्नी उनकी फिटनेस का सीक्रेट भी शेयर करते नजर आईं।
दिग्विजय सिंह गिरते हुए
कार्यकर्ताओं की भीड़ के बीच खड़े दिग्विजय सिंह। अचानक धक्कामुक्की होती है और दिग्विजय सिंह गिर पड़ते हैं फिर उठ कर खड़े होते हैं।
दिग्विजय सिंह राहुल गांधी के साथ चलते हुए
राहुल गांधी के साथ दिग्विजय सिंह कंधे से कंधा मिलाकर चलते नजर आए। उनकी यही रफ्तार शायद जयराम रमेश को ये कहने पर मजबूर कर गई कि भारत जोड़ो यात्रा के सबसे युवा कार्यकर्ता दिग्विजय सिंह हैं।
भारत जोड़ो यात्रा के स्क्रिप्ट राइटर दिग्विजय सिंह
दिग्विजय सिंह इस पूरी भारत जोड़ो यात्रा के स्क्रिप्ट राइटर तो हैं ही। इन 3 तस्वीरों से ये भी साफ है कि वो मध्यप्रदेश में इस यात्रा के हीरो बनकर उभरे हैं। हालांकि वो बड़ी चालाकी से खुद को पीछे करते रहे हैं। मध्यप्रदेश में यात्रा के प्रवेश से पहले खुद ही दिग्विजय सिंह ने होर्डिंग और पोस्टर से अपनी तस्वीरें हटाकर कमलनाथ की तस्वीरें लगाने के लिए कहा ये कोई आम फैसला नहीं था। इस एक निर्देश के पीछे बड़ा कारण छुपा था। विरोधियों के कुछ मंसूबों को नाकाम करने के लिए ये जरूरी था। कांग्रेस के चाणक्य माने जाने वाले दिग्विजय सिंह ये खूब जानते हैं।
राजनीतिक खेल, खेल रहे दिग्विजय सिंह
दिग्विजय सिंह के एक-एक कदम को बारीकी से समझते हैं। किसी बेहतरीन स्क्रीन प्ले की तरह वो सियासत की नई कहानी लिखने की कोशिश में हैं। जिसमें विरोधियों के मंसूबों को नाकाम करना शामिल है और जो तीर कांग्रेस तक पहुंच ही जाएं उन्हें खुद पर झेलने की तैयारी में भी नजर आ रहे हैं। इसलिए खुद को हंसते-हंसते विरोधियों का पंचिंग बैग बताने से भी उन्हें एतराज नहीं है। इस पूरी रणनीति के बीच मिस्टर बंटाधार की छवि से उबरने की कोई कोशिश उनकी तरफ से अब तक नजर नहीं आ रही। बल्कि इस छवि को सामने रखकर वो लगातार राजनीतिक खेल, खेल रहे हैं।
2003 में गिरी थी दिग्विजय सिंह की सरकार
साल 2003 में दिग्विजय सिंह की सरकार बुरी तरह गिरी। तूफानी वेग से आईं उमा भारती ने मिस्टर बंटाधार की तस्वीर गढ़ी और तब से लेकर आज तक दिग्विजय सिंह उस छवि में कैद होकर रह गए। या यूं कहें कि उन्होंने इस छवि से बाहर निकलने की कोशिश ही नहीं की। साल 2018 में जब कमलनाथ शपथ लेने के लिए मंच पर चढ़े तब तत्कालीन कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया उनके साथ थे। जीत की इबारत लिखने वालों में दिग्विजय सिंह भी एक थे लेकिन उन्होंने खुद नीचे बैठना चुना। जबकि मध्यप्रदेश की सत्ता में कांग्रेस में की वापसी में दिग्विजय सिंह की नर्मदा यात्रा का बड़ा योगदान माना गया।
दिग्विजय सिंह की नर्मदा यात्रा
चुनाव से कई महीने पहले उन्होंने 192 दिनों तक, यानी 6 महीने से भी लंबे समय तक नर्मदा परिक्रमा पदयात्रा करके राज्य में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को नए उत्साह से भर दिया था। 3 हजार 300 किलोमीटर की यात्रा के दौरान करीब 140 विधानसभा क्षेत्रों को दिग्विजय सिंह ने कवर किया था। इस दौरान वो पंगत में संगत करते थे। जहां मौजूद होते उस क्षेत्र के नाराज और उदासीन नेताओं के साथ एक साथ खाने पर बैठते। कांग्रेस नेताओं का दावा है कि पंगत में संगत की वजह से 10 से 15 सीटों पर कांग्रेस भितरघात से बच सकी।
पर्दे के पीछे कांग्रेस को मजबूत करने में जुटे दिग्विजय सिंह
राहुल गांधी की यात्रा मध्यप्रदेश में प्रवेश करे उससे पहले दिग्विजय सिंह ने बयान दिया कि बीजेपी अब तोड़फोड़ करेगी। इस बयान से भी सियासी गलियारों में खूब हलचल मची। सियासी पंडितों के मुताबिक दिग्विजय सिंह के एक बयान ने बीजेपी के हौसलों को पस्त कर दिया। नरेंद्र सलूजा जरूर बीजेपी में शामिल हुए लेकिन उनके लिए भी कमलनाथ ने यही कहा कि इसका अंदेशा पहले से ही था। अपने बयानों से अक्सर पार्टी का संकट मोचक बनने वाले दिग्विजय सिंह नेपथ्य में रहते हुए संगठन को जोड़ने में जुटे हुए हैं। 20-20 घंटे जनसंपर्क करना उनकी बड़ी ताकत है। दिल्ली में रहें, भोपाल में रहें या राघौगढ़ में उनके बंगले पर कार्यकर्ताओं की सबसे ज्यादा भीड़ अब भी नजर आती है। सियासी पंडितों की मानें तो पर्दे के पीछे रहकर दिग्विजय सिंह कांग्रेस को मजबूत करने में जुटे हैं।
विरोधियों के आरोपों के बाद भी रणनीतिक तैयारियों में जुटे दिग्गी
हालांकि राजनीति से जुड़ा एक तबका ये भी मानता है कि पार्टी के साथ-साथ दिग्विजय सिंह अपने बेटे के लिए भी फिक्रमंद हैं। जिनके सियासी भविष्य के लिए वो जमीन मजबूत करने में जुटे हुए हैं। हालांकि विरोधियों के इल्जामों के बावजूद दिग्विजय सिंह अपनी रणनीतिक तैयारियों में जुटे हुए हैं।
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2023 में कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती
2018 में कांग्रेस जीत का दम जरूर भर चुकी है। इसके बावजूद 2023 की जीत बहुत आसान नहीं होगी। बीजेपी भी पिछली गलतियों से सबक लेकर रणनीति तैयार कर रही है। देखना ये है कि जिस तरह नर्मदा परिक्रमा ने चुनावी तारीख को बदला था, क्या उसी तरह अब भारत जोड़ो यात्रा मध्यप्रदेश में कोई बदलाव ला सकेगी। इत्तेफाक से दोनों यात्राओं की पटकथा दिग्विजय सिंह ने ही लिखी है। चुनावी नतीजों में यात्रा का आंकलन होना भी लाजिमी होगा।