देव श्रीमाली, GWALIOR. ग्वालियर के गजराराजा मेडिकल कॉलेज सहित प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में पढ़ रहे जूनियर डॉक्टरों को अब तीन-तीन महीने जिला और सिविल अस्पताल में सेवाएं देनी होंगी। इसको लेकर अब तैयारी शुरू हो गई है। किस डॉक्टर की पदस्थापना कहां की जाए इसको लेकर मेडिकल कॉलेज और स्वास्थ्य विभाग के अफसरों में विचार विमर्श चल रहा है।
डीआरपी प्रोग्राम लागू
गजराराजा मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ अक्षय निगम का कहना है कि नेशनल मेडिकल कौंसिल से हमें पत्र प्राप्त हुआ है, जिसके तहत हमारे यहां डिस्ट्रिक्ट रेजीडेन्सी प्रोग्राम (डीआरपी) लागू किया गया है। इसके तहत हमारे यहां पीजी करने वाले प्रत्येक छात्र को तीन-तीन माह की ड्यूटी किसी जिले में जाकर प्रेक्टिशनर के रूप में देनी होगी। इसमें पीएसएम की हेड डॉ रंजना तिवारी पूरा शेड्यूल बना रही है। इसका रोस्टर बनाया जा रहा है क्योंकि हमें अपना भी पूरा काम चलाना है और डीपीआर के तहत भी भेजना है।
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अफसरों की बैठक हुई
इसे लेकर सीएमएचओ डॉ. मनीष शर्मा एवं जीआरएमसी के डीन डॉ. अक्षय निगम के निर्देश पर पीएसएम विभाग के डॉक्टरों के साथ बैठक हुई है। डीन के मुताबिक एक मार्च से जीआरएमसी के विभिन्न विभागों के जूनियर डॉक्टर 3-3 माह के लिए जिला और सिविल अस्पताल हजीरा व डबरा में सेवाएं देंगे। इसके बाद इन्हें प्रमाण पत्र दिया जाएगा। इसके बाद ही जूनियर डॉक्टर फाइनल परीक्षा में बैठ सकेंगे।
जिलों को मिलेगा डॉक्टर्स का लाभ
डॉ निगम का कहना हैं कि इस योजना से एक तरफ हमारे पीजी छात्र छात्राओं को प्रेक्टिस का व्यवहारिक ज्ञान मिलेगा। वहीं विभिन्न विभागों के पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे जूनियर डॉक्टरों के जिला अस्पताल और सिविल अस्पताल में सेवाएं देने से इन अस्पतालों में आने वाले मरीज लाभान्वित होंगे। साथ ही जिन विषयों के विशेषज्ञ अस्पतालों में नहीं हैं उनकी जगह जूनियर डॉक्टर मरीजों को सेवाएं देंगे। जूनियर डॉक्टरों के जिला और सिविल अस्पताल में आने से मरीजों को जेएएच रैफर नहीं करना पड़ेगा।