एमपी में डॉक्टरों की हड़ताल खत्म, हाईकोर्ट के आदेश के बाद काम पर लौटे डॉक्टर, HC ने हड़ताल को बताया था अवैध

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The Sootr
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एमपी में डॉक्टरों की हड़ताल खत्म, हाईकोर्ट के आदेश के बाद काम पर लौटे डॉक्टर, HC ने हड़ताल को बताया था अवैध

BHOPAL. मध्यप्रदेश में सरकारी डॉक्टरों ने हड़ताल वापस ले ली है। डॉक्टरों ने हाईकोर्ट के आदेश के बाद काम पर लौटने का फैसला लिया है। चिकित्सक महासंघ के मुख्य संयोजक डॉ. राकेश मालवीय ने हड़ताल खत्म कर काम पर लौटने की पुष्टी की है। उन्होंने कहा है कि हाईकोर्ट के आदेश का हम सम्मान करते हैं। अभी कोर्ट का आदेश नहीं मिला है। आदेश को पूरा अध्ययन करने के बाद निर्णय लिया जाएगा।





हड़ताली डॉक्टर्स से बातचीत में जुटी रही सरकार





सरकार ने डॉक्टरों के काम पर लौटने के फैसले के बाद राहत की सांस ली है। इससे पहले सरकार दिनभर डॉक्टरों से बातचीत के साथ ही अस्पताल में वैकल्पिक व्यवस्था बनाने में जुटी रही। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने बुधवार को कहा था कि सरकार और डॉक्टरों के बीच कई मुद्दों पर सहमति भी बनी है।





हर हाल में डॉक्टरों की मांगों पर पहल करेंगे- सारंग





चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग का कहना है कि हमने सभी मांगे मान ली है। कुछ ही मांग बची है, वन प्लस थ्री की मांगे मानी है। सभी डॉक्टरों को हाईकोर्ट के निर्णय के बाद काम पर लौटना चाहिए। उनके निर्देश और गरीबों की इलाज के लिए काम पर लौटना चाहिए।





दे सकते हैं सामूहिक इस्तीफे 





बताया जा रहा है कि डॉक्टरों ने हड़ताल तो खत्म कर दी है, लेकिन उनका आंदोलन जारी रहेगा। डॉक्टर अब सामूहिक इस्तीफे की तैयारी कर रहे हैं। गुरुवार सुबह डॉक्टरों के संगठन बैठक करेंगे। इसके बाद इस्तीफे के बारे में कोई निर्णय लिया जाएगा।





ये हैं डॉक्टरों की प्रमुख मांगें







  • चिकित्सक महासंघ की सबसे प्रमुख मांग डायनेमिक एश्योर्ड करियर प्रोग्रेसिव स्कीम (डीएसीपी) है। इसके अंतर्गत डॉक्टरों को तय समय पर एक वेतनमान देने की मांग है।



  • प्रदेश में पहली बार स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा विभाग के डॉक्टरों के अलावा जूनियर डॉक्टर भी हड़ताल में शामिल हो रहे हैं। इससे सबसे ज्यादा दिक्कत गंभीर रोगियों को होगी।


  • केंद्र एवं अन्य राज्यों की तर्ज पर ही मध्य प्रदेश के चिकित्सकों के लिए डीएसीपी का प्रावधान हो इससे राज्य सरकार पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ भी नहीं आएगा।


  • स्वास्थ्य विभाग, चिकित्सा शिक्षा विभाग एवं बीमा अस्पताल (ईएसआई) की विसंगतियां दूर हों।


  • चिकित्सकीय विभागों में तकनीकी विषयों पर प्रशासनिक अधिकारियों का हस्तक्षेप खत्म किया जाए।


  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत कार्यरत संविदा चिकित्सकों (एमबीबीएस) की मप्र लोक सेवा आयोग के माध्यम से की जाने चयन प्रक्रिया में प्राथमिकता दी जाए।




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