Mandla/Balaghat. कोरोनाकाल के समय गरीबों को घटिया चावल वितरित किए जाने के मामले में काफी सियासत गर्माई थी। 19 लोगों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हुई थी और ईओडब्ल्यू ने जांच कर घोटाले में 16 करोड़ रुपए की धांधली के सबूत भी मिले। इस जांच के बाद सरकार ने मंडला और बालाघाट के नागरिक आपूर्ति निगम के दो जिला प्रबंधकों और चार क्वालिटी इंस्पेक्टर को नौकरी से बर्खास्त कर दिया है।
बालाघाट और मंडला का है मामला
करीब दो साल पहले मंडला और बालाघाट में 30 जुलाई से 2 अगस्त के बीच गरीबों को वितरित किए गए चावल के सैंपल लिए गए थे। जिनकी क्वालिटी भेड़-बकरियों और मुर्गियों को खिलाने लायक निकली थी। जांच दल की रिपोर्ट के बाद प्रदेश सरकार हरकत में आई और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत गरीबों को बंटने वाले राशन की कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हो गई।
ईओडब्ल्यू ने उजागर की 16 करोड़ की धांधली
सरकार ने मामले की जांच ईओडब्ल्यू को सौंपी थी। जिसने अधिकारी-कर्मचारी और राइस मिलर्स के 19 लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज की थी। पूरे राज्य में जब गोदामों की जांच हुई तो धांधली की परतें उधड़ती चली गईं। जांच में करीब 16 करोड़ रुपयों का गड़बड़झाला सामने आया था। जांच में बताया गया कि घटिया चावल वितरित कर पूरे प्रदेश में शासन को लगभग 700 करोड़ रुपए की क्षति पहुंचाई गई। राजनैतिक दबाव के चलते राईस मिलर्स ने अमानक स्तर का जो चावल सप्लाई किया था, उसे बदलकर ठीकठाक चावल गोदामों में डंप किया गया।
ये हुए बर्खास्त
इस मामले में सरकार ने भोपाल के प्रबंधक संचालक तरूण पिथोड़े, प्रभारी जिला प्रबंधक बालाघाट आर के सोनी, प्रभारी प्रबंधक मंडला मनोज श्रीवास्तव, गुणवत्ता इंस्पेक्टर राकेश सेन, नागेश उपाध्याय और मुकेश कनेरिया को नौकरी से बर्खास्त कर दिया है।