इंदौर सेंट्रल जेल के 250 केदियों में ललक, कोई MBA तो कोई BA की पढ़ाई कर रहा

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Sootr Desk rajput
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इंदौर सेंट्रल जेल के 250 केदियों में ललक, कोई MBA तो कोई BA की पढ़ाई कर रहा

INDORE. कैदियों को सही मार्ग पर लाने के लिए इंदौर सेंट्रल जेल ने अनोखी पहल की. जेल में कैदी बैचलर और मास्टर डिग्री कर रहे हैं। 250 कैदियों ने अलग-अलग कोर्स में एग्जाम दिए हैं। हत्या के जुर्म में सजा काट रहे 5 खूंखार कैदियों ने एमकॉम, एमए और एमबीए के एग्जाम दिए हैं। जेल में अभी 2 हजार से ज्यादा कैदी हैं। कोरोना काल के बाद 10 प्रतिशत से ज्यादा कैदियों में पढ़ने की ललक फिर से जागी है।





जेल प्रबंधन ने उपलब्ध कराई सामग्री



जेल सुपरिंटेंडेंट अलका सोनकर ने बताया कि जेल में चोरी, लूट, डकैती, ड्रग्स और हत्या जैसे संगीन अपराध में कैदी सजा काट रहे हैं। समय के साथ इनके व्यवहार में बदलाव आ रहा है। कैदी पढ़ना चाह रहे हैं। पुरुष कैदियों का पढ़ाई की ओर ज्यादा झुकाव है। महिला कैदियों की रुचि कम है। महिला कैदियों ने 10वीं व 12वीं की परीक्षा दी थी, लेकिन ग्रेजुएशन के लिए इनमें रुचि नहीं है। जो कैदी पढ़ना चाहते हैं, इसके लिए उन्हें संबंधित सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है।





कैदियों ने दिए अलग-अलग एग्जाम



जेलों में स्कूली शिक्षा, ग्रेजुएशन व पोस्ट ग्रेजुएशन करवाया जा रहा है। जेल विभाग ने इसके लिए एक टीचर मंजू वर्मा को नियुक्त किया है। बीए के लिए 24 कैदियों ने एग्जाम दिए। बीकॉम के लिए 83 कैदियों, CFN यानी सर्टिफिकेट इन फूड इन न्यूट्रिशन के लिए सबसे ज्यादा 111 कैदियों ने एग्जाम दिए, इनमें 20 महिला कैदी हैं। वहीं CRD यानी सर्टिफिकेट इन रूरल डेवलपमेंट के लिए 27 कैदियों ने एग्जाम दिए।





उम्र कैद की सजा काट रहे कैदी कर रहे मास्टर्स



एम.कॉम के लिए तीन, एमए (हिस्ट्री) के लिए दो और एमबीए के लिए एक कैदी ने एग्जाम दिया है। इनमें से पांच उम्रकैद की सजा भुगत रहे हैं। इन 5 कैदियों ने पुरानी रंजिश, जमीन विवाद, आपसी लेन-देन आदि कारणों के चलते नजदीकी लोगों की हत्या की थी।


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