संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर की परंपरागत रंगपंचमी की गेर रविवार सुबह नौ बजे से निकलेगी। राजवाड़ा एवं इसके आसपास के क्षेत्रों में परम्परागत गेर का आयोजन होगा। इस वजह से आसपास के मार्गो, बाजार क्षेत्र में अत्यधिक भीड़ रहेगी। इसे देखते हुए ट्रैफिक प्लान बनाया गया है। जवाहर मार्ग एवं राजवाड़ा क्षेत्र में सिटी बस एवं अन्य लोडिंग वाहन पूर्णत प्रतिबंधित रहेंगे। सिटी बस एवं दोपहिया एवं चार पहिया वाहन मृगनयनी, सुभाष मार्ग, गंगवाल बस स्टैंड, महू नाका चौराहा, पलसीकर चौराहा, टावर चौराहा, भवरकुआँ से आना-जाना कर सकेंगे। साथ ही नगर निगम द्वारा गेर निकलने के बाद ही तत्काल मार्ग की सफाई अभियान किया जाएगा। उधर यूनेस्को की टीम भी रहेगी, जो इसे वर्ल्ड हेरिटेज में लाए जाने की मांग को लेकर नजर रखेगी।
ट्रैफिक को लेकर यह रहेगी व्यवस्था
क्रेन व सपोर्ट द्वारा सभी डयूटी पॉइंट, डाइवर्शन पॉइंट पर बेरिकेट्स व स्टॉपर्स रखे जा रहे हैं। रंगपंचमी इंतजाम व्यवस्था के दौरान क्यूआरटी टीमें भ्रमण कर माइक से एनाउंस व वीडियो ग्राफी कर यातायात प्रबंधन का कार्य करेंगे। संपूर्ण गेर मार्ग पर गेर में शामिल वाहनों के अतिरिक्त सभी प्रकार के वाहनों का प्रवेश और पार्किंग प्रतिबंधित रहेगा।
यह रहेगा प्रतिबंधित मार्ग
- हैमिल्टन रोड एवं फ्रूट मार्केट से राजवाड़ा की ओर।
डायवर्शन पॉइंट
- जो आमजन मृगनयनी से एयरपोर्ट एवं गंगवाल बस स्टैंड जाना चाहते हैं, वह मृगनयनी, ईमली बाजार, जिंसी, बड़ा गणपति की ओर सभी प्रकार के वाहन आना-जाना कर सकेंगे।
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गेर में शामिल होने वाले वाहनों की पार्किंग व्यवस्था
गेर में शामिल होने वाले आमजनमानस के वाहनों की पार्किंग व्यवस्था का प्रबंधन मृगनयनी चौराहे पर स्थित शिवाजी मार्केट पार्किंग स्थल, संजय सेतु रिवर साइड पार्किंग, मच्छी बाजार पर नई रोड, हरसिद्धि मंदिर के पास, मालगंज सब्जी मंडी में वाहनों का पार्किंग प्रबंधन सुनिश्चित किया गया है।
रंगपंचमी की गेर को यूनेस्को में कराना है शामिल
इंदौर और मालवा की पहचान रंगपंचमी की गेर 12 मार्च को निकलने जा रही है। इसमें पांच लाख से ज्यादा लोगों के सारोबार होने की उम्मीद की जा रही है, जिसके लिए तैयारियां शुरू हो गई है। वहीं साल 2019-20 में शुरु हुई ईस गेर को यूनेस्को की वलर्ड हेरिटेज में दर्जा दिलाने की मुहिम एक बार फिर शुरू की जाएगी। गेर का इतिहास करीब 300 साल पुराना है। वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल होने के लिए मुख्य तौर पर शर्त रहती है कि यह पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही घटना हो और इसका ग्लोबल कनेक्ट हो।
महापौर बैठक में यह हुआ फैसला
महापौर श्री पुष्यमित्र भार्गव ने बताया कि मेयर इन कौंसिल की बैठक में इंदौर में रंगपंचमी पर निकलने वाली गैर की परम्परा को आगे बढाने के साथ ही इंदौर के पर्यटन को बढावा देने के उददेश्य से गैर को वर्ल्ड हेरिटेज में दर्जा दिलाने के लिए कार्रवाई करने के लिए प्रयास करने का फैसला पहले ही लिया जा चुका है। इसी तरह कलेक्टोरेट में हुई बैठक में भी इस पर काम करने पर सहमति बनी थी। इसके लिए फोटोग्राफी प्रतियोगिता भी आयोजित हो रही है। रंगपंचमी पर टोरी कार्नर महोत्सव समिति, संगम कार्नर, मॉरल क्लब, रसिया कार्नर, राधाकृष्ण फाग यात्रा, श्री कृष्ण फाग यात्रा, संस्था संस्कार, बाणेश्वर समिति, माधव फाग यात्रा आदि द्वारा गेर/फाग यात्रा निकाली जाएगी। इसके अलावा अन्य संस्थाओं द्वारा भी शहर के विभिन्न क्षेत्रों में रंगारंग गेर निकाली जाएंगी।
यूनेस्को में शामिल करने के लिए दस्तावेज चाहिए
बैठक में कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी ने कहा कि इंदौर की परम्परागत गेर को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल कराने के लिए एक बार फिर पुरजोर प्रयास होंगे। उन्होंने आग्रह किया कि जिनके पास भी गेर के संबंध में दस्तावेज हो, वे कलेक्टर कार्यालय में जमा करा सकतें है। उन्होंने कहा कि इस बार दस्तावेजी करण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। फोटोग्राफ, वीडियो सहित अन्य दस्तावेजों का संग्रहण होगा। पुलिस आयुक्त हरिनारायण चारी मिश्र ने सुरक्षा व्यवस्था संबंधी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि गेर के दौरान सीसीटीवी और अन्य माध्यमों से निगरानी रखी जायेगी। उन्होंने कहा कि यह प्रयास होंगे कि कोई भी व्यक्ति मदिरा या अन्य मादक पदार्थ पीकर गेर में शामिल नहीं हो। महिलाओं की सुरक्षा पर विशेष ध्यान रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि आयोजन के दौरान किसी के भी साथ अभद्रता का व्यवहार नहीं हो।
रंगपचंमी की गेर का इतिहास
इंदौर की यह परंपरा 300 साल से चली आ रही है, कहा जाता है कि सौ साल पहले सामाजिक रूप से मनाने शुरुआत हुई थी। होलकर राजघराने के लोग पंचमी के दिन बैलगाड़ियों में फूलों और रंग-गुलाल लेकर सड़क पर निकल पड़ते थे। रास्ते में उन्हें जो भी मिलता, उन्हें रंग लगा देते। इस परंपरा का उद्देश्य समाज के सभी वर्गों को साथ मिलकर त्योहार मनाना था. यही परंपरा साल दर साल आगे बढ़ती रही. कोरोना के कारण 2020 और 2021 में आयोजन पर रोक लग गई थी. इस साल फिर वही जोश से पंचमी मनाई जा रही है.
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शहर के प्रसिद्ध कवि सत्यनारायण सत्तन ने बताया कैसे गेर की शुरूआत हुई। उन्होंने बताया पश्चिम क्षेत्र में गेर 1955-56 से निकलना शुरु हुई थी, लेकिन इससे पहले शहर के मल्हारगंज क्षेत्र में कुछ लोग खड़े हनुमान के मंदिर में फगुआ गाते थे एक दूसरे को रंग और गुलाल लगाते थे। 1955 में इसी क्षेत्र में रहने वाले रंगू पहलवान एक बड़े से लोटे में केशरिया रंग घोलकर आने-जाने वाले लोगों पर रंग मारते थे। यहां से रंग पंचमी पर गेर खलने का चलन शुरू हुआ। रंगू पहलवान अपनी दुकान के ओटले पर बैठेकर करते थे। वहां इस तरह गेर खेलने सार्वजनिक और भव्य पैमाने पर कैसे मनाएं चर्चा हुई। तब तय हुआ कि इलाके की टोरी कार्नर वाले चौराहे पर रंग घोलकर एक दूसरे पर डालेंगे और कहते हैं वहां से इसने भव्य रूप ले लिया।