BHOPAL. मध्य प्रदेश में इस साल नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। उससे पहले बीजेपी सरकार में निगम मंडलों में नियुक्तियों का सिलसिला शुरू हो गया है। प्रदेश में निगम/बोर्ड/मंडल में रिक्त पदों पर लंबे समय से सियासी नियुक्तियों को लेकर चर्चा चल रही थी। बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से लौटने के बाद शिवराज सरकार ने चार पदों पर नियुक्तियां की है। इसमें कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग के मध्य प्रदेश माटीकला बोर्ड में रामदयाल प्रजापति को दो वर्ष के लिए अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। प्रजापति भोपाल के रहने वाले हैं। वह पार्षद और भोपाल नगर निगम में अध्यक्ष रह चुके हैं। उनको मुख्यमंत्री का विश्वसनीय माना जाता हैं। निवाड़ी जिले के नंद राम कुशवाह को पशुपालन एवं डेयरी विभाग के मध्य प्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम में उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है। बताया जा रहा है कि कुशवाह बाय इलेक्टशन के समय कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए थे। इसके चलते उनको एडजस्ट किया गया हैं।
डाबर को वन निगम में अध्यक्ष बनाया
पूर्व विधायक माधो सिंह डाबर को मध्य प्रदेश राज्य वन विकास निगम लिमिटेड भोपाल के संचालक मंडल का अध्यक्ष मनोनीत किया गया है। अलीराजपुर निवासी माधो सिंह 2018 में जोबट से चुनाव हार गए थे। इसके बाद जोबट में उप चुनाव में कांग्रेस से सुलोचना रावत के बीजेपी ज्वाइंन करने पर टिकट दे दिया गया था। उस समय माधो सिंह को रावत का विरोध नहीं करने के लिए कहा गया था। अब उनको वन निगम का अध्यक्ष बना कर इनाम देने के रूप में देखा जा रहा हैं।
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सत्येंद्र भूषण वन विकास निगम में उपाध्यक्ष
भोपाल निवासी सत्येंद्र भूषण को वन विभाग के मध्य प्रदेश राज्य वन विकास निगम लिमिटेड भोपाल के संचालक मंडल में उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया हैं। सत्येंद्र भूषण प्रदेश कार्यालय मंत्री रह चुके हैं। बीजेपी शर्मा के अध्यक्ष बनने के बाद से उनको संगठन में कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं मिली थी।
इनका कार्यकाल 2 साल तक होगा
नंद राम कुशवाहा को मध्यप्रदेश राज्य पशुधन और कुक्कुट विकास निगम में उपाध्यक्ष बनाया गया है। रामदयाल प्रजापति को मध्यप्रदेश माटीकला बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया है। वहीं माधव सिंह डाबर को राज्य वन विकास निगम लिमिटेड भोपाल के संचालय मंडल का संचालक नियुक्त किया गया है। सत्येन्द्र भूषण सिंह को मध्यप्रदेश राज्य वन विकास निगम लिमिटेड भोपाल के संचालक मंडल का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है। इनका कार्यकाल 2 साल तक होगा।
इन नियुक्तियों से विपक्ष लगातार हमलावर है
बता दें कि इन निगम-मंडलों में लंबे समय से राजनीतिक नियुक्तियां लंबित थी। इससे विपक्ष भी लगातार हमला बोल रहा था। कल ही नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह ने सरकारी नौकरी का कलेंडर जारी करने पर सवाल उठाते हुए कहा था कि शासकीय विभागों के साथ ही निगम-मंडलों, स्थानीय संस्थाओं कोऑपरेटिव में बड़ी संख्या में पद खाली पड़े हैं।