हमेशा जातिवाद हावी रहता है सुमावली विधानसभा सीट पर, विकास से कोई सरोकार नहीं, होता है त्रिकोणीय मुकाबला 

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Vivek Sharma
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हमेशा जातिवाद हावी रहता है सुमावली विधानसभा सीट पर, विकास से कोई सरोकार नहीं, होता है त्रिकोणीय मुकाबला 

 SUMAVALI. मुरैना जिले की महत्वपूर्ण विधानसभा सीट सुमावली दल बदल वाली सीट है।  इस सीट पर साल 2020 में उपचुनाव हुए। इस चुनाव में दल बदल कर चुनाव लड़ रहे ऐंदल सिंह कंसाना को कांग्रेस के अजब सिंह कुशवाह ने धूल चटाई थी। सुमावली मुरैना लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है।  मुरैना से वर्तमान में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर सांसद हैं।



सियासी समीकरण 



सुमावली विधानसभा सीट मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में आती है। साल 2018 में कांग्रेस के एदल सिंह कंसाना यहां से कांग्रेस चुनाव लड़े और विधायक बने लेकिन कमलनाथ सरकार में मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज होकर इस्तीफा दिया था और 2020 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े थे मंत्री रहते चुनाव लड़े कंसाना विधायक का चुनाव हार गए थे। कंसाना 4 बार विधायक रह चुके हैं। इसमें दो बार मंत्री की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। कंसाना पहली बार साल 1998 में दिग्विजय सिंह के समय और साल 2020 में शिवराज के समय सत्ता का सुख ले चुके हैं। 



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सियासी मिजाज 



 इस इलाके में किसी पार्टी का एकाधिकार नहीं रहा। शुरु से ही यहां मतदाता जातिगत आधार, मुद्दों और चेहरा देखकर वोटिंग करते हैं। यहां कांग्रेस-बीजेपी और बसपा के बीच कड़ा मुकाबला होता है। बसपा यहां चुनाव 90 के दशक में दो बार जीत चुकी है लेकिन हर बार हार जीत का अंतर बढ़ाने में अहम भूमिका निभाती है।



जातिगत समीकरण 



 सुमावली में 40 हजार कुशवाहों के वोट हैं। इसके बाद 32 हजार गुर्जरों के मतदाता है और 31 हजार ठाकुरों के वोट हैं। तीनों ही समुदायों से प्रत्याशी प्रमुख दलों से चुनाव मैदान में उतरते रहे हैं। यहां 25 हजार ब्राह्मण वोट निर्णायक साबित होते हैं। वहीं 18 हजार किरार वोट भी चुनाव की दिशा और दशा तय करने वाले साबित होते हैं।



मुद्दे 



 सुमावली इलाके में बाकी जगहों की तरह ही मूलभूत सुविधाओं का अभाव देखने को मिलता है। इस इलाके में जनता को आज भी सड़क-बिजली और पानी की दरकार है।  शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए जनता सरकार से उम्मीद लगाए बैठी है तो युवा वर्ग रोजगार की तलाश में दर-दर भटकने को मजबूर है। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर इलाके से सांसद जरुर है लेकिन क्षेत्र को उनके मंत्री बनने से कोई खास फायदा होता नजर नहीं आता।

इन मुद्दों पर जब हमने स्थानीय नेताओं से बात की तो वे बजाय समस्या के समाधान करने के एक-दूसरे पर आरोप लगाते नजर आए।



इसके अलावा द सूत्र ने इलाके के प्रबुद्धजनों, वरिष्ठ नागरिकों और आम जनता से बात की उसमें कुछ सवाल  निकल कर आए




  • सड़क-शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए आपने कितनी राशि खर्च की ?


  • इलाके में खराब कानून व्यवस्था में सुधार के लिए क्या कदम उठाए ?

  • किसानों को फसलों के भाव नहीं मिल रहे, इसके लिए आपने क्या प्रयास किए ?

  • मूलभूत सुविधाओं के लिए आपने कितनी राशि खर्च की ?

  • जनता के इन सवालों के विधायक के पास कोई जवाब नहीं थे, विधायक जनता के सवालों से भागते नजर आए।



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