भोपाल. राजधानी की आरकेडीएफ (राधाकृष्ण धर्मार्थ फाउंडेशन) ग्रुप की सर्वपल्ली राधाकृष्णन यूनिवर्सिटी (SRK) फर्जी डिग्रियां और सर्टिफिकेट बेचने को लेकर एक बार फिर सुर्खियों में हैं। देश के महान शिक्षक और धर्मार्थ फाउंडेशन की आड़ में शिक्षा का गोरखधंधा करने वाली इस यूनिवर्सिटी के एजेंट का नेटवर्क देशभर में फैला हुआ है। हाल ही में तेलंगाना की हैदराबाद पुलिस ने एसआरके यूनिवर्सिटी (SRK University) के एक टीचर को फर्जी डिग्री बेचने के मामले में गिरफ्तार किया है। हालांकि यूनिवर्सिटी के काले कारनामों का ये कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी ये छत्तीसगढ़ के एक विधायक के नाम पर डीसीए का फर्जी सर्टिफिकेट जारी करने के मामले में सवालों के घेरे में आ चुकी है।
बता दें कि हैदराबाद के मेहदीटनम में प्राइड एजुकेशन एकेडमी के नाम से एक कसंल्टेंसी एजेंसी चलाई जा रही थी। ये एजेंसी पैसा लेकर एसआरके यूनिवर्सिटी और सागर की स्वामी विवेकानंद यूनिवर्सिटी की डिग्रियां उपलब्ध कराती थी। 16 फरवरी को हैदराबाद पुलिस ने भोपाल से केतन सिंह नामक शख्स को दबोचा तो मामले का खुलासा हुआ। केतन सिंह एसआरके यूनिवर्सिटी का असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। उसने 29 फर्जी डिग्रियां डेढ़ से 3 लाख रुपए में बेची थी। इससे पहले भी यूनिवर्सिटी के कारनामे उजागर होते रहे हैं। छत्तीसगढ़ के विधायक डॉ. विनय जायसवाल का भी फर्जी डिप्लोमा जारी कर दिया गया था।
छत्तीसगढ़ के विधायक का बना दिया फर्जी सर्टिफिकेट: एसआरके यूनिवर्सिटी से छत्तीसगढ़ की मनेंद्रगढ़ सीट से विधायक डॉ. विनय जायसवाल का फर्जी सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया था। मास्टर ऑफ सर्जरी की पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री धारी डॉ. विनय जायसवाल को पता चला था कि मध्यप्रदेश की प्राइवेट यूनिवर्सिटी से बिना पढ़े ही डिग्रियां मिल जाती हैं। जिसके बाद उन्होंने एक एजेंट के जरिए एसआरके यूनिवर्सिटी के एडमिशन काउंसलर मोइन कादरी से संपर्क किया था। कादरी ने 6 जुलाई 2019 को यूनिवर्सिटी के खाते में पैसा जमा कराए और बैक डेट में 2018 वर्ष का डीसीए (डिप्लोमा इन कंप्यूटर एप्लीकेशन) सर्टिफिकेट बनाकर भेज दिया।
मुख्यमंत्री से भी की शिकायत लेकिन नहीं हुआ कार्रवाई: विधायक डॉ. विनय जायसवाल ने फरवरी 2021 में मामले की शिकायत मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से की थी। लेकिन एक साल बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। एसआरके यूनिवर्सिटी ने विधायक की शिकायत पर जवाब देते हुए बताया कि उक्त डिप्लोमा उनकी यूनिवर्सिटी का नहीं है। दूसरी तरफ शासन ने भी मामले के ठंडे बस्ते में डाल दिया है। जबकि उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने कहा था कि मामले की जांच कराई जाएगी, दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
उच्च शिक्षा विभाग ने आयोग के पाले में डाली गेंद: विधायक डॉ. विनय जायसवाल और आरटीआई कार्यकर्ता संजीव अग्रवाल की शिकायतें उच्च शिक्षा विभाग को सौंपी गई थी। उच्च शिक्षा विभाग ने मामले की जानकारी के लिए मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग को कई पत्र लिखे। जब पत्रों का जवाब नहीं मिला तो जांच आयोग को ही सौंप दी गई । आरटीआई कार्यकर्ता संजीव अग्रवाल ने बताया कि बीते 4 महीने से जांच ही चल रही हैं। RTI के तहत भी आयोग कोई जानकारी नहीं दे रहा।
दिल्ली हाईकोर्ट जाएंगे आरटीआई एक्टिविस्ट: पैसा लेकर फर्जी सर्टिफिकेट बनाए जाने के मामले में आरटीआई कार्यकर्ता संजीव अग्रवाल ने दिल्ली हाईकोर्ट जाने की तैयारी कर ली है। उनका कहना हैं कि RKDF यूनिवर्सिटी के खिलाफ उन्होंने यूजीसी में शिकायत की है। इसलिए यूनिवर्सिटी की मान्यता रद्द कराने के लिए वे दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। इस मामले में द सूत्र संवाददाता ने एसआरके यूनिवर्सिटी का पक्ष जानने के लिए इसके वाइस चांसलर और रजिस्ट्रार ऑफिस में संपर्क करने का प्रयास किया लेकिन वे चर्चा के लिए उपलब्ध नहीं हुए।