देव श्रीमाली, GWALIOR. मंगलवार को नगर निगम दफ्तर में अपनी गुहार लेकर पहुंची एक महिला की करुण गाथा सुनकर हर कोई दुखी हो गयी। महिला बोली उसके पति ने छोड़ दिया। छह माह से सफाई कर रही हूं। उसे एक पैसा भी नहीं मिला इस बीच अभाव में उसका इकलौता बच्चा भी मर गया। अफसर पहले कहते रहे कि उसके वेतन की फ़ाइल चल रही है और अब कहने लगे उसका कोई रिकॉर्ड ही नहीं है।
महिला ने रोते हुए सुनाई व्यथा
महिला आज नगर निगम दफ्तर पहुंची और आयुक्त से मिली। यहां उसने रोते - रोते बताया कि वह गरीबी हालत में है। उसका पति उसे छोड़कर भाग गया। पेट भरने के लिए उसने वार्ड में सफाई करना शुरू कर दिया और तब से लगातार काम करती रही लेकिन मुझे वेतन कभी नहीं मिला। उसका कहना है कि मैंने छह माह पहले कमिश्नर को आवेदन दिया था। उन्होंने इसे मार्क करके गुर्जर साहब के पास भेज दिया। साहब ने फोन करके अजय के पास भेजा तो उन्होंने ज्वाइन करा लिया। मैं वहां काम करती रही। वेतन के लिए जब भी मैं अपने दरोगा से बोलती तो वे कहते आपकी नोटशीट बन रही है लेकिन छह महीने हो गए। अब पूछताछ शुरू की तो कह रहे हैं हमें कुछ नहीं पता।
अभाव में सात साल के बच्चे की मौत हो गयी
उसका कहना है कि उसे काम करते हुए छ महीने हो गए लेकिन पैसे नहीं मिले। मेरा सात साल का बच्चा था भूख ,प्यास से मर गया। मैंने सागर ताल से शिंदे की छावनी तक पैदल ड्यूटी की लेकिन कोई नहीं बता रहा कि उसे तनख्वाह कब मिलेगी। वहीं आयुक्त ने कहा कि जांच के बाद यथोचित कार्यवाही करेंगे। महिला का कहना है कि आज वह फिर नगर निगम के आयुक्त किशोर कन्याल से मिली थी तो उन्होंने कह दिया कि अपर आयुक्त गुर्जर साहब से मिल लो। जबकि आयुक्त कान्याल का कहना है कि वह महिला मुझसे मिली थी। मैं इस मामले की पूरी जांच करा रहा हूं और इसमें जो भी तथ्य प्रकाश में आएंगे उसके अनुसार यथोचित कार्रवाई करूंगा।