मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले की तहसील बक्स्वाहा के जंगल में हीरों के लिए 2.15 लाख पेड़ काटने के खिलाफ पर्यावरण प्रेमी मैदान में उतर गए हैं। जंगल 380.131 हेक्टेयर में फैला हुआ है। पर्यावरण प्रेमियों के मुताबिक अगर इसे काटा गया तो इसका सीधा असर पूरे बुंदेलखंड पर पड़ेगा। इसलिए बक्स्वाहा को बचाने के लिए पर्यावरण प्रेमियों ने मूवमेंट छेड़ दिया है। इसी के तहत शुक्रवार को जंगल बचाने के लिए 17 राज्यों की 60 हस्त्तियों ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा।
जंगल काटने से होने वाले नुकसान पर की चर्चा
रिपोर्ट्स के मुताबिक बक्स्वाहा जंगल बचाओ आंदोलन के महेश शर्मा, पूर्णिमा वर्मा सहित कुछ सदस्यों ने 23 जुलाई को राज्यपाल मंगुभाई पटेल को ज्ञापन सौंपा। पर्यावरण प्रेमियों ने राज्यपाल को जंगल काटने से होने वाले नुकसानों की जानकारी दी। पर्यावरण प्रेमियों ने बताया कि जंगल काटने से वहां के लोगों की जिंदगी पर इसका असर पड़ेगा। जंगल के कटने से बुदेलखंड पानी के लिए तरसेगा। आदिवासियों का जीवन जंगल पर ही निर्भर है। अगर इसे काटा गया तो उनका क्या होगा।
विरोध में साइकिल यात्रा निकालेंगे
22 जुलाई शाम को गूगल मीट के माध्यम से हुई मीटिंग में ,17 राज्यों की 60 हस्त्तियों ने विचार विमर्श के बाद बक्स्वाहा के जंगल को बचाने की रणनीति और कार्यक्रम तय किए। जिसके अनुसार 25 जुलाई से 29 जुलाई तक छतरपुर से बक्स्वाहा के खनन प्रभावित गांव तक साईकिल यात्रा निकाली जाएगी।
साइकिल यात्रा का यह है उद्देश्य
इस संबंध में बक्स्वाहा जंगल बचाओ आंदोलन के बहादुर आदिवासी और हिसाबी राजपूत ने बताया कि इस साईकिल यात्रा का उद्देश्य बक्स्वाहा के जंगल बचाने और जंगलों में पाए जाने वाले स्टोनएज शैलचित्रों को नष्ट होने से बचाना है।