हरीश दिवेकर, Bhopal. प्रदेश में नगर निगमों (Municipal council) के महापौर (Mayor) का चुनाव सीधे जनता से जबकि नगर पालिका (Municipality) और नगर परिषद (Municipal Council) अध्यक्ष (President) का चुनाव पार्षदों के माध्यम से कराने के प्रस्ताव पर सरकार गंभीरता से चिंतन-मनन कर रही है। बताया जा रहा है कि ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले के बाद राज्यपाल (Governor) द्वारा चुनाव के बारे में पुराना अध्यादेश (Ordinance) लौटाए जाने के बाद सरकार अधिनियम के बदलाव कर नया अध्यादेश लागू कराना चाह रही है। इस मामले में पार्टी के स्तर पर सहमति कायम करने के लिए प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा (BJP President VD Sharma) के भोपाल लौटने का इंतजार किया जा रहा है। वे पार्टी के राष्ट्रीय पदाधिकारियों के सम्मेलन में शामिल होने के लिए जयपुर प्रवास पर हैं।
मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की मंशा
सरकार के विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक नगर पालिका और नगर परिषद अध्यक्ष के चुनाव प्रत्यक्ष के बजाय अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराने विचार के पीछे मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) की मंशा बताई जा रही है। वे चाहते हैं कि नगरीय निकाय की इन संस्थाओं में अध्यक्ष पद पर पार्टी के समर्पित और सक्रिय कार्यकर्ताओं को मौका मिले। यदि अध्यक्ष के लिए चुनाव प्रत्यक्ष तरीके से कराए जाते हैं तो इस पद के लिए पार्टी के टिकट की बाजी ज्यादातर क्षेत्र के बड़े और स्थापित नेता मार ले जाते हैं। यदि अध्यक्ष पद का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली यानी चुनकर आने वाले पार्षदों से कराया जाए तो इस पद पर निचले पायदान के नेता चुने जा सकते हैं। इसीलिए अब सिर्फ प्रदेश की 16 नगर निगमों के महापौर का चुनाव ही सीधे जनता से कराने पर सहमति कायम करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
अध्यादेश राज्यपाल को भेजा जाएगा
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद निगम महापौर, नगर पालिका अध्यक्ष एवं नगर परिषद अध्यक्षों को सीधे जनता से चुने जाने का अध्यादेश मंगलवार, 18 मई को राज्यपाल ने सरकार को लौटा दिया था। चूंकि यह अध्यादेश सरकार ने ओबीसी आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले ही मंजूरी के लिए राज्यपाल को भेजा था। अब मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप नगर पालिका अधिनियम में अपेक्षित बदलाव कर इसे नए सिरे से मंजूरी के लिए राज्यपाल को भेजा जाएगा। हालांकि इस मामले में अंतिम रूप से पार्टी लाइन तय करने के लिए बीजेपी के प्रदेश मुखिया वीडी शर्मा से भी सलाह मशविरा किया जाना है। जो उनके जयपुर से लौटने के बाद संभवतः 22 मई को होगा।
बीजेपी ने पलटा था कमलनाथ सरकार का अध्यादेश
बता दें कि इससे पहले कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने अप्रत्यक्ष प्रणाली से महापौर का चुनाव कराने का फैसला लिया था। लेकिन मार्च 2020 में कांग्रेस सरकार गिरने के बाद जैसे ही बीजेपी की शिवराज सरकार सत्ता में आई, उसने कमलनाथ सरकार के फैसले को पलट दिया था। लेकिन इसके लिए जरूरी अध्यादेश विधानसभा में डेढ़ साल तक पेश नहीं किया गया था।