भोपाल के वन विहार में शेर-बाघ के साथ जिराफ-जेब्रा भी दिखाई देंगे, मास्टर ले-आउट प्लान अप्रूव, प्रोजेक्ट में लगेंगे 1.5 करोड़

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BP Shrivastava
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भोपाल के वन विहार में शेर-बाघ के साथ जिराफ-जेब्रा भी दिखाई देंगे, मास्टर ले-आउट प्लान अप्रूव, प्रोजेक्ट में लगेंगे 1.5 करोड़

BHOPAL. मध्यप्रदेश के पशु प्रमियों के लिए अच्छी खबर आई है। प्रदेश में विदेशी चीता आने के बाद अब जिराफ और जेब्रा को लाने की तैयारी है। इसके लिए भोपाल के वन विहार के मास्टर ले-आउट प्लान को जू-अथॉरिटी ऑफ इंडिया से अप्रूवल मिल गई है। इस प्रोजेक्ट के लिए वन विहार मैनेजमेंट ने सरकार से डेढ़ करोड़ रुपए का प्रस्ताव दिया है। अफसरों का कहना है कि जू अथॉरिटी और सरकार से प्रोसेस पूरी होने के बाद जिराफ और जेब्रा लाने के प्रोजेक्ट में तेजी आएगी। वन विहार आने वालों को भविष्य में शेर, बाघ और हिरण के साथ जिराफ और जेब्रा भी दिखाई देंगे।



जिराफ-जेब्रा प्रोजेक्ट का मास्टर ले-आउट प्लान अप्रूव



वन विहार प्रबंधन ने करीब 8 महीने पहले जू अथॉरिटी ऑफ इंडिया को प्रस्ताव भेजा था। वहीं, वन मंत्री डॉ. विजय शाह भी अफ्रीका से जिराफ-जेब्रा लाने की बात कह चुके हैं, इसलिए प्रोजेक्ट में और तेजी आई। वन विहार की डायरेक्टर पद्मप्रिया बालकृष्णन ने बताया कि मास्टर ले-आउट प्लान को अप्रूवल मिल गई है। वहीं, प्रोजेक्ट के लिए सरकार भी राशि मांगी गई है। जू अथॉरिटी के निर्देशानुसार आगे की प्रोसेस की जा रही है।



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शेर-बाघ के साथ देख सकेंगे जिराफ-जेब्रा



अभी वन विहार में शेर, बाघ, भालू, लोमड़ी, तेंदुआ, हिरण, बारहसिंगा समेत अन्य जानवर हैं। जिनके दीदार के लिए बड़ी संख्या में रोजाना टूरिस्ट पहुंचते हैं। अगले कुछ महीनों में उन्हें जेब्रा और जिराफ के भी दीदार हो सकेंगे।



वन विहार में सालभर में डेढ़ से दो लाख पर्यटक आते हैं



वन विहार देश का इकलौता ऐसा नेशनल पार्क है, जो किसी राजधानी के बीचों-बीच है। 26 जनवरी 1983 को इसे नेशनल पार्क का दर्जा मिला था। वन विहार बड़े तालाब के पास पहाड़ी और आसपास के 445.21 हेक्टेयर क्षेत्र को मिलाकर बना है। हर साल यहां डेढ़ से दो लाख पर्यटक आते हैं। इसलिए जिराफ और जेब्रा के लिए इसे बेहतर माना जा रहा है। वन विहार में बबूल की प्रजातियों की पत्तियां, फल और फूल के पेड़-पौधे भी हैं, इसलिए यह जिराफ-जेब्रा के लिए अनुकूल माना गया है।



एमपी में दो शिफ्ट में आ चुके 20 चीते



 मध्यप्रदेश चीता स्टेट भी बन चुका है। पिछले साल 18 सितंबर को कूनो नेशनल पार्क में 8 चीते छोड़े गए थे। इसके बाद 12 चीते और आए थे। इस तरह 20 चीते यहां आ चुके हैं। इनमें से दो की मौत हो गई है। अब शेष 18 चीते हैं। वहीं, एक मादा चीता ने चार शावकों को भी जन्म दिया है।


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