इंदौर में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के निवेश करार सिर्फ छलावा, MP में 20 हजार करोड़ से ज्यादा नहीं होता इन्वेस्टमेंट

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Rahul Garhwal
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इंदौर में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के निवेश करार सिर्फ छलावा, MP में 20 हजार करोड़ से ज्यादा नहीं होता इन्वेस्टमेंट

संजय गुप्ता, INDORE. मध्यप्रदेश की कारोबारी राजधानी इंदौर एक बार फिर तैयार हो रहा देशी-विदेशी निवेशकों के स्वागत के लिए। सड़क पर डामरीकरण हो रहा है तो दीवारों पर रंग-रोगन, मतबल निवेशकों को लुभाने के लिए हर तरह के जतन किए जा रहे हैं। ये जतन आज से नहीं साल 2007 से ही रहे हैं, तब प्रदेश में गुजरात वाइब्रेंट से प्रभावित होकर पहली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट हुई थी।



इन्वेस्टर्स समिट केवल छलावा साबित हो रही



निवेशक भी आते हैं, समिट में लंबे-चौड़े वादे करने के साथ ही स्थानीय सरकार की दिल खोलकर तारीफ करके जाते हैं और फिर जो वादे किए थे उनका क्या हुआ ना सरकार पूछती है और ना उन्हें याद रहता है। ये हम नहीं कह रहे हैं, ये खुद केंद्र और राज्य की अलग-अलग निवेश रिपोर्ट ही बता रही हैं कि ये समिट केवल छलावा साबित हो रही है। केंद्र की औद्योगिक निवेश विभाग की रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश में कभी भी एक साल में 15 हजार करोड़ से ज्यादा का निवेश तो हुआ ही नहीं है। अब अक्टूबर 2016 की समिट की ही बात करें तो करार हुए थे 5 लाख 63 हजार करोड़ के और केंद्र की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2016 से अगस्त सितंबर तक मध्यप्रदेश में कुल निवेश आया मात्र 58 हजार करोड़ रुपए का। यानि साल 2016 की समिट में हुए कुल करार 5.63 लाख करोड़ का केवल 10 फीसदी।



द सूत्र का स्पेशल प्रोग्राम सूत्रधार देखिए.. ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट के हवा-हवाई दावे सिर्फ छलावा



कब कौनसी समिट में कितने करार हुए




  • साल 2007 की इंदौर की पहली समिट में 102 एमओयू और 1.20 लाख करोड़ रुपए के निवेश करार


  • साल 2010 में खजुराहो में हुई समिट में 107 एमओयू हुए और 2.35 लाख करोड़ के निवेश करार

  • साल 2012 में इंदौर में हुई समिट में 259 एमओयू हुए और 3.50 करोड़ के निवेश करार

  • साल 2014 में एमओयू हजार से ज्यादा हुए और 4.35 लाख करोड़ के निवेश करार 

  • साल 2016 में 2 हजार 360 एमओयू और 5.63 लाख करोड़ रुपए के निवेश करार



  • बीती समिट में सरकार का दावा- हमारे इतने करार हुए पूरे



    साल 2016 की समिट के दौरान मध्यप्रदेश शासन ने करारों पर उठ रहे सवालों के जवाब में बताया था कि उनके साल 2012 के साढ़े 3 लाख करोड़ के करार में से 1.62 लाख के पूरे हुए, साल 2014 की समिट में हुए 4.35 लाख करोड़ में से हमने 2.71 लाख करोड़ के पूरे कर लिए हैं।



    केंद्र की रिपोर्ट



    केंद्र के औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन विभाग की निवेश प्रस्ताव इंडस्ट्रियल इंटर्नप्रिन्योर मेमोरेंडम इंटेशन्स एंड इम्लीमेंटेंशनस रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश की निवेश पर ये स्थिति है।




    • साल 2016 में 16020 करोड़ के 84 प्रपोजल आए थे, अमल में आए 2823 करोड़ के 48 प्रस्ताव 


  • साल 2017 में 7161 करोड़ के 76 प्रपोजल आए, अमल में आए 11 हजार 715 करोड़ के 31 प्रस्ताव

  • साल 2018 में 23 हजार 909 करोड़ के 140 प्रपोजल हुए लेकिन अमल में 7352 करोड़ के 84 प्रस्ताव ही आए

  • साल 2019 में 17 हजार 262 करोड़ के 178 प्रस्ताव आए लेकिन अमल में आए 11 हजार 335 करोड़ के 121 प्रस्ताव 

  • साल 2020 में सबसे ज्यादा 30 हजार 972 करोड़ के 93 प्रपोपजल किए गए लेकिन इनमें से मात्र 60 प्रस्ताव ही धरातल पर आए और 5276 करोड़ का निवेश हुआ

  • साल 2021 में 113 प्रस्ताव हुए 21 हजार 859 करोड़ के और अमल में आए 14 हजार 500 करोड़ के 63 प्रस्ताव

  • साल 2022 में अगस्त माह तक मध्यप्रदेश में 5309 करोड़ राशि के कुल 50 प्रस्ताव हुए हैं और निवेश हुआ 26 प्रस्ताव के जरिए 4288 करोड़ का



  • मध्यप्रदेश इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (एमपीआईडीसी) की रिपोर्ट




    • साल 2011-12 में 13 हजार 616 करोड़ के 8 प्रपोजल अमल में आए, इससे 3507 को रोजगार मिला


  • साल 2012-13 में 1011 करोड़ के 13 प्रपोजल पूरे हुए और इससे 2406 रोजगार

  • साल 2013-14 में 12 हजार 978 करोड़ के 20 प्रपोजल अमल में आए और इससे 6190 रोजगार

  • साल 2014-15 में 5987 करोड़ के प्रपोजल पूरे हुए और इससे 7324 को रोजगार

  • साल 2015-16 में 1510 करोड़ के प्रपोजल पूरे हुए और 2664 को रोजगार मिला

  • साल 2012 से 2016 के बीच 35 हजार करोड़ का निवेश आया और 22 हजार को रोजगार मिला



  • विदेशी निवेश, मध्यप्रदेश के हिस्से में देश का मात्र 0.33 फीसदी आता है



    अक्टूबर 2019 से सितंबर 2022 तक देश में एफडीआई यानी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 12.61 लाख करोड़ रुपए का आया और इसमें से मध्यप्रदेश के हिस्से में कितना आया? मात्र 3864 करोड़ रुपए जो कुल निवेश का मात्र 0.33 फीसदी हिस्सा है।




    • महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 3.51 लाख करोड़, 27.87 फीसदी


  • कर्नाटक दूसरे नंबर पर 2.93 लाख करोड़ रुपए, 23 फीसदी

  • गुजरात तीसरे नंबर पर 2.28 लाख करोड़, 18 फीसदी

  • दिल्ली चौथे नंबर पर 1.65 लाख करोड़, 13 फीसदी

  • तमिलनाडु पांचवें नंबर पर 59 हजार करोड़, 4.66 फीसदी

  • मप्र 15वें नंबर पर 3864 करोड़ रुपए, 0.33 फीसदी (31 राज्यों की सूची में)


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