SHEOPUR. पिछले दिनों कूनो नेशनल पार्क का एक चीता ग्रामीण इलाके में पहुंच गया था। इसके बाद विभाग की टीम ने चीते का रेस्क्यू किया था। इस पूरे वाक्ये के बाद अब वन विभाग के एडिशनल डायरेक्टर जनरल एसपी यादव ने कहा कि जंगल में छोड़े गए चीते अपने रहने के लिए आवास की खोज कर रहे हैं, यह एक बहुत अच्छा संकेत है।
चीतों की इस तरह की आवाजाही एक प्राकृतिक घटना
पर्यावरण मंत्रालय ने कहा कि चीतों की इस तरह की आवाजाही एक प्राकृतिक घटना है और इसमें चिंता की कोई बात नहीं है। प्रोजेक्ट टाइगर के प्रमुख यादव ने बताया कि चार चीतों को पूरी तरह से छोड़ दिया गया है। वे जंगल में स्वतंत्र रेंजिंग कर रहे हैं। उनकी आवाजाही स्वाभाविक है। हम खुश हैं कि चीते घूम रहे हैं और इलाकों की खोज कर रहे हैं और अन्वेषण के आधार पर वे अपने उपयुक्त निवास स्थान की पहचान करते हैं।
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यदि चीते शिकार करेंगे तो हम देंगे मुआवजा
कूनो में छोड़े गए हर चीते पर चौबीसों घंटे नजर रखी जाती है। सरकार ने स्थानीय आबादी को चीतों से परिचित कराने और इनके द्वारा संभावित अन्य जानवरों के शिकार को कम करने के लिए "चीता मित्र" नियुक्त किए हैं। मध्य प्रदेश में वन अधिकारियों ने 51 गांवों के लगभग 400 "चीता मित्र" को ट्रेनिंग दी है। इनमें स्कूल टीचर, ग्राम प्रधान और पटवारी शामिल हैं। अगर छोटे जानवरों जैसे भेड़, बकरियों आदि का चीता शिकार करते हैं तो हमारी मुआवजा योजना तैयार है। उन्हें (मालिकों को) पर्याप्त मुआवजा दिया जाएगा।
कोरिया जिले में हुई थी अंतिम चीते की मौत
गौरतलब है कि भारत में चीता एकमात्र बड़ा मांसाहारी जानवर है, जो अत्यधिक शिकार और अन्य कारणों से पूरी तरह से विलुप्त हो गया। अंतिम चीता की मृत्यु वर्तमान छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में 1947 में हुई थी और इस प्रजाति को 1952 में विलुप्त घोषित कर दिया गया था। इसके बाद भारत सरकार ने चीतों को फिर से भारत की जमीन पर बसाने के तहत दक्षिण अफ्रीका से करार किया गया है, जिसके तहत वहां से अभी तक 20 चीतों को लाया गया है।
पीएम मोदी के जन्मदिन पर लाए गए थे 8 चीते
बता दें कि भारत सरकारी महत्वाकांक्षी चीता योजना के तहत पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 सितंबर को अपने 72 वें जन्मदिन पर नामीबिया से लाए गए आठ चीतों के पहले बैच - पांच मादा और तीन नर - को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा था। इनमें से एक साशा की गुर्दे से संबंधित बीमारी के कारण मौत हो गई। वहीं कूनो से एक खुशखबरी भी आई। यहां चीता सियाया ने चार शावकों को जन्म दिया है। वहीं चीतों का एक और बैच दक्षिण अफ्रीका से लाया गया है, जिसमें 12 चीते भारत आए और 18 फरवरी को कूनो में छोड़ा गया है।