BHOPAL. विधानसभा में जांच की कार्यवाही, मंत्रियों की सब बातें हवा-हवाई। यही कुछ हाल मध्यप्रदेश विधानसभा का है। विधानसभा में जब सवाल उठते हैं तो उनके जवाब में मंत्री जांच कराने, कार्रवाई करने या काम पूरा करने का आश्वासन तो दे देते हैं, लेकिन सत्र के बाद उस आश्वासन को पूरा करना भूल जाते हैं। खासतौर पर अधिकांश मामले भ्रष्टचार से जुड़े होते हैं। प्रदेश की विधानसभा में पिछले चार साल के साढ़े तीन हजार आश्वासन लंबित हैं। ये वे आश्वासन हैं जो मंत्रियों ने विधानसभा में विधायकों को दिए थे। कांग्रेस विधायकों के आश्वासन का लंबित होना तो समझ में आता है, लेकिन बीजेपी विधायकों को दिए आश्वासन भी सरकार पूरा करने में दिलचस्पी नहीं दिखाती।
क्या हुआ तेरा वादा
मध्यप्रदेश विधानसभा में फरवरी 2019 से लेकर मार्च 2022 में दिए गए सरकार के आश्वासन सालों बाद भी लंबित हैं। इस अवधि के दौरान सरकार की तरफ से अलग-अलग विभागों के मंत्रियों के विधायकों को दिए 3449 आश्वासन लंबित हैं। सवाल ये है कि जब विधानसभा में पूछे गए विधायकों के सवालों को लेकर कोताही बरती जाती है तो आम आदमी को उसके सवालों के जवाब कैसे मिलेंगे। ऐसा नहीं है कि मंत्री सिर्फ कांग्रेस विधायकों के आश्वासनों पर ध्यान नहीं देती। बल्कि, बीजेपी विधायकों को दिए गए आश्वासन भी पूरे नहीं हो रहे हैं। इन आश्वासनों मे एक और खास बात है। भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली सरकार के ज्यादातर वे आश्वासन हैं जो भ्रष्टाचार या अनियमितताओं से जुड़े हैं।
इस सत्र के इतने आश्वासन लंबित
- फरवरी 2019- 96
पिछले बजट सत्र में उठाए गए सवालों पर मिले आश्वासन और उनकी स्थिति
- राकेश मावई, कांग्रेस- प्याज बीज खरीदी घोटाले में दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही का आश्वासन पर जांच की कार्यवाही अभी प्रचलन में है।
आश्वासन समिति पर आश्वासन पूरे कराने की जिम्मेदारी
आश्वासन पूरे कराने के लिए विधानसभा ने इसकी जिम्मेदारी एक समिति को दी है जिसका नाम आश्वासन समिति है। विधानसभा में सुप्रीम पॉवर विधानसभा अध्यक्ष का होता है। विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम कहते हैं कि इसके लिए विधायकों को भी गंभीर होना पड़ेगा। वे आश्वासन पूरे कराने आश्वासन समिति के पास जाएं। स्पीकर ने इन लंबित आश्वासनों को पूरा कराने के लिए आश्वासन समिति को निर्देश जारी किए हैं।